परम्परागत फूलो-फलो आशीर्वाद, जो हर नवविवाहित जोड़े को मिलता है, एक भौतिकवादी आशीर्वाद लगता है। जनन-क्षमता को लेकर इसके गहरे मतलब के अनुसार, यह महिलाओं को प्रजनन स्वास्थ्य को समझने में मदद करता है
महिलाओं के लिए यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकारों (SRHR) पर कार्यशालाएं आयोजित करने के लिए, मैं एक महीने से मध्य प्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के अंदर विभिन्न गांवों की यात्रा कर रही थी। ‘इंडिया फेलो’ पूर्व छात्रों द्वारा स्थापित एक मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य पर काम करने वाले गैर-लाभकारी संगठन, ‘कोशिका’ ने मुझे इन कार्यशालाओं के संचालन के लिए अवसर प्रदान किया था।
मैंने पन्ना टाइगर रिजर्व में उन 10 गाँवों में कार्यशालाएँ आयोजित कीं, जिन में वे काम करते हैं। मैं कई प्रशिक्षण-टूल्स और गतिविधियों के साथ गई थी, लेकिन जितना मैं लेकर गई थी, उससे कहीं ज्यादा वापस ले कर आई। मेरे लिए एक ऐसा ही सबक एक महान उपमा है, जो एक महिला ने प्रजनन तंत्र को समझने के लिए मेरे साथ साझा की।
मेरी बाईं ओर बीना, उन 20 अन्य महिलाओं के बीच बैठी थी, जो सभी झिझक के साथ सोच रही थी कि मैं आगे क्या कहूँगी। बीना एक साहसी महिला थी। फिर भी जब मैंने उसे माहवारी शब्द जोर से बोलने के लिए कहा, तो वह मेरी ओर देखकर झल्लाई और बोली, “हम इस तरह की बकवास चीजों के बारे में बात नहीं करते हैं।” और यह ग्रामीण समुदाय में आयोजित, मेरी सबसे पहली कार्यशाला के पहले 10 मिनट के भीतर हुआ।
मैं दंग रह गई। हालाँकि मुझे इस तरह की प्रतिक्रियाओं की उम्मीद हमेशा रहती थी, लेकिन असल में कोई भी सामने नहीं आई थी। कोई भी मुझे SRHR मुद्दों के बारे में बात करने से नहीं रोकता, यह केवल एक आम धारणा है कि बातचीत मुश्किल होगी। लेकिन इस बार जब मैंने अपने दिमाग से इस धारणा को निकाल दिया था, तो यह सामने आ गई।
तो, निषेध विषय को सार्वजनिक रूप से अस्वीकार करती हुई, यहाँ वह थी। मेरे अंदर की प्रतिक्रिया थी, “उह-ओह, क्या वे सभी मुझे नकारने और अपने गांव से बाहर निकालने जा रही हैं? क्या वे कभी मुझे फिर से आने देंगी? क्या इस मुद्दे पर उनसे बात करने की मेरी वैधता पर सवाल उठाएंगी?”
मैंने भी अब तक की अपनी यात्रा के हर कदम पर खुद से सवाल किया था। इसलिए जब ये सारे विचार मेरे दिमाग में चल रहे थे, तो अपना बैग उठाकर चलने से पहले, यदि ऐसा हुआ, बीना को उसकी बात जारी रखने और अपने विचार व्यक्त करने देना था। जब मैंने उससे पूछा कि यह विषय चर्चा करने लायक क्यों नहीं है, तो उसकी जगह किसी और ने जवाब दिया, कि यह असल में महत्वपूर्ण है।
एक नियम जिसे मैंने छोड़ दिया था, उसने सत्र में अपना रास्ता बना लिया, कि एजेंडा और मकसद प्रतिभागियों के साथ साझा करें! चर्चा के 15 मिनट के बाद, चीजें बहुत सुचारु रूप से चलनी शुरू हो गई। शुरुआती अस्वीकृति अब बहुत व्यस्त भागीदारी बन गई। अब बीना थी, जिसके पास सारे उत्तर थे और वह हमारी मण्डली की एक बहुत महत्वपूर्ण सम्पर्क बन गई।
फूलो-फलो – एक नई समझ
जब मैंने महिलाओं से पूछा कि मासिक धर्म के चूक जाने पर क्या होता है, तो बीना ने ही मुझे ‘फूलो-फलो’ की उपमा की जानकारी दी। यह उपमा सदियों पुराना फूलो-फलो का आशीर्वाद है, जो हर नवविवाहित जोड़े को दिया जाता है।
मेरे पूरे जीवन में इस आशीर्वाद की समझ लगातार बदलती रही। जैसे-जैसे मैं बड़ी होती जा रही हूँ, मैं इसके साथ और ज्यादा अर्थ जोड़ने में समर्थ हूँ। शुरू में एक बच्चे के रूप में इसका मतलब था, फूल और फल के साथ धन्य हो। यह एक मासूम और कुछ हद तक सही समझ थी।
तब एक किशोरी के रूप में मैंने समझा कि केवल विवाहित जोड़ों को ही यह आशीर्वाद दिया जा रहा है। मैंने समझा कि इसका बच्चों के होने से संबंधित कुछ मतलब होना चाहिए। शायद पेट का आकार बढ़ना (फूलो का एक और अर्थ) और गर्भावस्था के फल मिलना।
अब एक वयस्क के रूप में, बीना ने मुझे इस आशीर्वाद का तार्किक मतलब समझाया। उसने बताया कि हर महीने महिला फूल देती है, और कभी-कभी वह फल भी दे सकती है। यहां फूलों का अर्थ है मासिक-धर्म चक्र, और कभी-कभार फल, यानि गर्भावस्था और संतान। इस प्रकार आशीर्वाद का तात्पर्य मासिक धर्म और प्रसव से था। आशीर्वाद स्वस्थ जनन-क्षमता के बारे में था!
एक उपमा
मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह उपमा कितनी सही थी। बेशक पौधों में भी फूल, प्रजनन की ओर एक कदम है और फल में वंश-वृद्धि के लिए बीज होते हैं। वे जैविक रूप से उपयुक्त उपमा का उपयोग मानव प्रजनन के लिए कर रही थी!
तब मुझे याद आया कि 9वीं कक्षा की जीव विज्ञान (बायोलॉजी) की किताबों में भी, जब हमें मानव प्रजनन के बारे में पढ़ाया गया था, तो पहला भाग हमेशा पौधों में प्रजनन के बारे में था। मैं वह कनेक्शन तब क्यों नहीं बना सकी?
बीना और उनके समुदाय ने कभी भी वह बायोलॉजी की पुस्तक नहीं पढ़ी थी। वे तो असल में कभी स्कूल भी नहीं गए थे। उनके लिए यह एक सामाजिक पड़ताल की बात रही होगी, कि पौधे कैसे प्रजनन करते हैं और वहाँ से उन्होंने पौधों और मनुष्यों में प्रजनन सम्बन्धी समानता को लिया होगा। युगों से चला आ रहा आशीर्वाद, औपचारिक शिक्षा से नहीं उपजी, बल्कि प्रकृति में प्रजनन व्यवस्था के ध्यान से किए अध्ययन की समझ से उपजी है।
कई दूसरे उदाहरणों में, जहां मैं उनके साथ यौन क्रिया और लैंगिकता के बारे में जानकारी साझा कर रही थी, मुझे एहसास हुआ कि मैं जो कुछ भी बता रही थी, वह उनके लिए नई जानकारी नहीं थी। मैं बस उनकी समझ में कुछ कमी पूरा कर रही थी और उन्हें पहले से ही चल रहे उनके यौन व्यवहार के बारे में विश्लेषणात्मक रूप से सोचने के लिए प्रोत्साहित कर रही थी।
विकल्पों का चयन
कंडोम का इस्तेमाल अच्छा है या बुरा, इन कारणों की बजाय इस चर्चा पर पहुँच गई कि कंडोम, गर्भनिरोधक के रूप में कैसे काम करता है और यह कैसे यौन-जनित रोगों से बचाता है। कारणों के बारे में जानकर, वे स्वयं अपनी पसंद तय कर सकते हैं।
ईमानदारी से, मैं तब डर गई थी, जब सत्र के बीच में मैंने महसूस किया कि जिस धारणा से मैं कार्यशाला का संचालन कर रही थी, मुझे वो बदलना होगा। लेकिन यदि देखें तो मेरा काम बहुत आसान हो गया। व्यवहारों में बदलाव और ग्रामीण समुदायों में यौन शिक्षा के प्रभाव को दिखाना मेरी जिम्मेदारी नहीं है।
शिक्षा अपने आप में मृत जानकारी है, जब तक कि शिक्षार्थी जो सीखते हैं उसे लागू नहीं करते हैं। यौन शिक्षा का प्रभाव तब देखा जाएगा, जब समुदाय मेरे द्वारा साझा की गई जानकारी को लागू करने का विकल्प चुने। जानकारी को लागू करने के लिए, उन्हें चुनाव करना होगा। क्या वे सभी अपनी इच्छा के आधार पर चुनाव कर सकते हैं? कोई नहीं कर सकता, जब समुदाय के तार आपको कठपुतली की तरह पकड़ते हैं। मुझे अपना काम वहां करना चाहिए, जहां उन विकल्पों को चुनने का अधिकार है।
सिमरन सांगानेरिया 2018 ‘इंडिया फेलो’ और एक ‘यौन एवं प्रजनन स्वास्थ्य और अधिकार’ समन्वयक हैं। विचार व्यक्तिगत हैं। ईमेल: simransanganeria@gmail.com
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