COVID-19 सहायता से ग्रामीणों को मिली पैर जमाने में मदद
ओडिशा आजीविका मिशन के आर्थिक सहायता ने, बहुत से कमजोर ग्रामीण परिवारों, विशेष रूप से महिला उद्यमियों को महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के आर्थिक झटके से उबरने में सक्षम बनाया है।
ओडिशा आजीविका मिशन के आर्थिक सहायता ने, बहुत से कमजोर ग्रामीण परिवारों, विशेष रूप से महिला उद्यमियों को महामारी के कारण हुए लॉकडाउन के आर्थिक झटके से उबरने में सक्षम बनाया है।
भबसमिता साहू (32) मयूरभंज जिले के खुंटा प्रशासनिक खंड की करकचिया पंचायत में किराने की एक छोटी दुकान चलाती हैं। उनका गांव ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर से करीब 300 किलोमीटर दूर है। 2020 में महामारी के कारण हुए लॉकडाउन ने उनके व्यवसाय को कमजोर कर दिया, क्योंकि उन्हें राज्य सरकार द्वारा जारी लॉकडाउन नियमों के अनुसार, छह महीने से ज्यादा अपनी दुकान बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
भबसमिता साहू याद करती हैं – “लॉकडाउन हमारे लिए एक बुरे सपने की तरह था। हमारे पास कृषि भूमि नहीं है। यह दुकान ही हमारी आमदनी का माध्यम है। और क्योंकि हम बहुत समय तक दुकान नहीं खोल पाए, इसलिए हमारा काफी स्टॉक खराब हो गया। नुकसान असहनीय था।” उनके पति एक सीजन किसानी करते हैं।
इस तरह के संकट का सामना करने वाली साहू अकेली नहीं हैं। प्रमिला साहू, जिनकी करकचिया पंचायत में एक दुकान है, की स्थिति भी उन्हीं जैसी है। प्रमिला साहू कहती हैं – “लॉकडाउन की घोषणा से ठीक एक हफ्ते पहले, हमने नया सामान खरीदने के लिए कर्ज लिया था। लॉकडाउन में हमारी कोई आमदनी नहीं हुई। और साहूकार अपना ब्याज लेने के लिए हमारे घर आया करता था।” उसका एक बेटा और दो बेटियां हैं; उनके पति एक किसान हैं।
भबसमिता साहू और प्रमिला साहू के हालात मयूरभंज जिले की सैकड़ों ग्रामीण महिला उद्यमियों की स्थिति को दर्शाते हैं। उन्हें महामारी के कारण असामान्य रूप से सामाजिक-आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
लॉकडाउन हटने के बाद भी, कारोबार फिर से शुरू करने की स्थिति चुनौतीपूर्ण बनी हुई थी। ओडिशा आजीविका मिशन (ओएलएम), खुंटा के आजीविका विकास समन्वयक, राम चंद्र दलाई का कहना है – “अधिकांश महिलाओं ने बताया कि कम बिक्री, खराब बाजार मांग, सीमित आवागमन, आय के वैकल्पिक स्रोतों का अभाव और असल में ही किसी भी तरह की सुरक्षा न होने के कारण, वे तनाव में थीं।”
सरकार द्वारा सहायता
कोरोनावायरस संकट के समय गरीबों और कमजोर समुदायों की सहायता के उद्देश्य से, ओडिशा सरकार ने 26 अगस्त, 2020 को 500 करोड़ रुपये के बजट के साथ COVID-19 सहायता पैकेज (CAP) की शुरुआत की। CAP का उद्देश्य, मौजूदा ग्रामीण उद्यमों को मजबूत करके आजीविका बहाल करना, उन्हें पुनर्जीवित करना और आर्थिक संसाधनों तक पहुँच प्रदान करके उनके सुचारू संचालन को सुनिश्चित करना था।
यह कार्यक्रम पंचायती राज और पेयजल विभाग, ओडिशा सरकार के सहयोग से, OLM द्वारा कार्यान्वित किया गया था। CAP के प्राथमिकता वाले लक्षित समूहों में गरीबी रेखा से नीचे के लोग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और विशेष रूप से कमजोर आदिवासी समूह (PVTGs), एकल महिला मुखिया वाले परिवार, ट्रांसजेंडर, दिव्यांग व्यक्ति, बुजुर्ग और स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) शामिल हैं।
प्रवासियों के लिए सहायता
बारीपाड़ा, मयूरभंज के OLM जिला परियोजना प्रबंधक, अजय कुमार नायक का कहना था – “मार्च 2020 और अक्टूबर 2020 के बीच कुल 10,07,330 प्रवासी कामगार ओडिशा वापिस आए।”
नायक ने बताया – “हमने CAP अंतर्गत प्रवासियों को रोजगार सहायता प्रदान की है, जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS), दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना (DDUGKY), शहरी मजदूरी रोजगार पहल (UWEI) और मिशन शक्ति जैसी विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से लागू किया गया है।’
खुंटा के औद्योगिक संवर्धन अधिकारी, अपराजित दास ने कहा – “सीएपी के अंतर्गत हमने 1,176 कुशल और अर्द्ध-कुशल ओडिया लौटने वाले पवासियों को रु. 908.27 लाख वितरित किए हैं। अप्रैल 2020 से दिसंबर 2020 तक मनरेगा के तहत कुल 7.73 लाख प्रवासियों को रोजगार प्रदान किया गया है। इससे 15.57 करोड़ व्यक्ति-दिवस का काम प्राप्त हुआ है।”
प्रभाव
CAP के द्वारा 51,443 ग्रामीण उद्यमियों को उनके उद्यमों को पुनर्जीवित करने और बनाए रखने के लिए, रु. 131.63 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की है। इनमें से लगभग 90% लाभार्थी ग्रामीण और आदिवासी महिलाएं हैं।
खुंटा में प्रभाव उल्लेखनीय रहा है, क्योंकि CAP के माध्यम से समय पर आर्थिक सहायता प्रदान करके, 500 से अधिक ग्रामीण महिला उद्यमियों की आजीविका बहाल करके उनके परिवारों की कमजोरियों को काफी हद तक कम कर दिया है। इनमें से ज्यादातर महिलाएं अपने परिवार की मुख्य कमाने वाली हैं और अपनी पारिवारिक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
भबसमिता साहू का कहना था – “OLM ने अक्टूबर, 2020 में हमें अपनी दुकान को दोबारा शुरू करने के लिए 40,000 रुपये दिए। अब हमने नया माल ख़रीदा है। और ग्राहक हमारी दुकान पर ज्यादा आ रहे हैं। हमने पिछले तीन महीनों में लाभ के रूप में लगभग 10,000 रुपये कमाए हैं।”
प्रमिला साहू को भी नवंबर 2020 में OLM से 40,000 रुपये मिले। “इससे हमें अपने व्यवसाय को एक बार फिर से पटरी पर लाने में मदद मिली है। हमारी दुकान में अब पर्याप्त स्टॉक है। और पिछले दो महीनों में हमने लगभग 8,200 रुपये का मुनाफा कमाया है। हमने इस आमदनी का एक हिस्सा अपने पुराने कर्ज चुकाने के लिए इस्तेमाल किया है।”
महिला और ग्रामीण अर्थव्यवस्था
चांदपुर पंचायत में OLM के साथ मास्टर बुककीपर (एमबीके) के रूप में काम करने वाली सस्मिता पंडित ने, CAP कार्यक्रम के अंतर्गत आयोजित, क्षमता निर्माण सम्बन्धी विभिन्न कार्यक्रमों की प्रक्रिया के बारे में बताया। उन्होंने कहा – “हमने सभी महिला उद्यमियों को आर्थिक-प्रशिक्षण प्रदान किया है। आर्थिक सहायता को विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई। हमने महिलाओं में पैसे की बचत की संस्कृति को भी प्रोत्साहित किया है।”
बसीपीठ पंचायत की एमबीके बबीता पात्रा ने कहा – “CAP ने महिला उद्यमियों को आशा की एक नई किरण दी है। पहले वे गहरे संकट में थीं। लेकिन अब वे वित्तीय पूंजी से लैस हैं। धीरे-धीरे, वे फिर से अपने पुराने स्थान पर पहुँच रही हैं।”
ओडिशा प्रशासनिक सेवा के खुंटा विकास अधिकारी, मानस रंजन सामल का कहना था – “महिला स्व-सहायता समूहों की अध्यक्षता वाले छोटे उद्यमों के लिए, अनुदान वाले ऋण प्रदान करने की आवश्यकता है। COVID-19 महामारी के युग में, समावेशी ऋण सुविधाओं तक पहुँच प्रदान करना, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित कर सकता है।”
आदिवासी महिलाओं की उनकी पारिवारिक अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका का उल्लेख करते हुए, बसीपीठ पंचायत की सरपंच, सरस्वती मरांडी कहती हैं – “महिलाएं अपने परिवार के भोजन और पोषण संबंधी सुरक्षा की रीढ़ हैं। और महामारी संकट ने उनके आमदनी के स्रोतों को कमजोर कर दिया है। उन्हें सहायता की जरूरत है, अन्यथा वे आगे गरीबी के दुष्चक्र में फंस सकती हैं।”
OLM, खुंटा के ब्लॉक आजीविका विकास प्रबंधक, श्रीनिबास दास कहते हैं – “कोविड-19 जैसे संकट को प्रभावी ढंग से कम करने के लिए, महिलाओं को प्रतिक्रिया और बहाली कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए। हमें व्यवसाय के नए मॉडलों को बढ़ावा देने की जरूरत है, जो महिला उद्यमियों को उनके आर्थिक नुकसान से निपटने में मदद करे।”
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