टिकाऊ सौर ऊर्जा के साथ, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रोगियों का बिना बाधा के इलाज करने, आपातकालीन सुविधाएं प्रदान करने, जनरेटर के लिए डीजल खर्च को कम करने में सक्षम है और एक मॉडल के रूप में काम करती है।
हाल ही में, संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंटोनियो गुटेरेस ने, महामारी के बावजूद नवीकरणीय ऊर्जा की खपत को 17% से 24% तक बढ़ाने के लिए भारत की प्रशंसा की। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा, क्योंकि देश के कई हिस्सों में इसका उपयोग बढ़ा है।
राजधानी भुवनेश्वर से 55 किलोमीटर दूर, ओडिशा के पुरी जिले के सदर प्रशासनिक ब्लॉक के चंदनपुर में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) ऐसा ही एक उदाहरण है। सीएचसी में एक सौर ऊर्जा प्रणाली है, जो आपात स्थिति से निपटने के लिए, ग्रिड पावर और डीजल जनरेटर सेट के विकल्प के रूप में काम करती है।
चंदनपुर सीएचसी की प्रमुख नर्स, ध्यानप्रभा दास का कहना था – “कोई आपदा हो या बिजली चले जाना, गर्मियों में इस स्वास्थ्य केंद्र पर कर्मचारियों को समुदाय को निरंतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था, जो इस केंद्र पर निर्भर हैं। पिछले साल अक्टूबर में यहां सौर ऊर्जा व्यवस्था स्थापित करने के बाद से, बिजली न होने के कारण होने वाली समस्याएं कम होने लगी।”
सीएचसी का एकल डीजल इंजन, 1 लाख से अधिक की आबादी को सेवा प्रदान करने के लिए काफी नहीं था। अब सीएचसी की छत पर सोलर पैनल लग जाने से हालात पूरी तरह बदल गए हैं। नवीकरणीय ऊर्जा अब स्वास्थ्य केंद्र की ज्यादातर आवश्यकताओं को पूरा करती है।
चक्रवात के समय बिजली गुल होना
3 मई, 2019 को ओडिशा तट पर आए चक्रवात ‘फानी’, जो इस स्वास्थ्य केंद्र से केवल 7 किलोमीटर दूर तट से टकराया था, के दो दिन पहले ही, स्थानीय प्रशासन ने आपदा आने पर स्वास्थ्य-संकट से बचने के लिए, निचले इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोगों को बहुउद्देशीय चक्रवात-शरणस्थलों में स्थानांतरित कर दिया था।
ख्यानप्रभा दास ने जीवन और आजीविकाओं को बर्बाद कर देने वाले, 1999 के ‘सुपर-साइक्लोन’ और 2019 के चक्रवात ‘फानी’ के समय सीएचसी के स्वास्थ्य कर्मचारियों द्वारा सामना की गई घटनाओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा – “प्रशासन ने चक्रवात फानी से ठीक पहले, इस ब्लॉक की गर्भवती महिलाओं को चंदनपुर सीएचसी में भेज दिया था।”
ख्यानप्रभा दास, जो इस सीएचसी में 1994 से काम कर रही हैं, VillageSquare.in को बताया – “उसी दिन हमने मोबाइल फोन की फ्लैशलाइट की मदद से एक प्रसव करवाया, जबकि वहां पानी की आपूर्ति नहीं थी और तूफान हमारे ऊपर आ रहा था। “यह निश्चित रूप से एक चमत्कार था।”
और नवजात शिशु को गर्मी के लिए इनक्यूबेटर की जरूरत थी। उन्होंने कहा – “इनक्यूबेटर को डीजी सेट से जोड़ना संभव नहीं था, इसलिए हमने परम्परागत प्रक्रिया का पालन किया और गर्माहट देने के लिए बच्चे को एक तौलिया में लपेट दिया। हमारे लिए वह समय इतना कठिन था, कि यह अभी भी हमारे दिमाग में ताजा है।”
सौर ऊर्जा अपनाना
स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए आवश्यक बिजली की आपूर्ति, चक्रवात फानी के बाद करीब ढाई महीने तक जिले भर में पूरी तरह से ठप हो गई थी। बिजली के अभाव के बावजूद, कर्मचारियों ने दुर्घटना पीड़ितों की देखभाल की, और प्रतिदिन चार या पांच बच्चों का प्रसव करवाया।
चक्रवात फानी के समय और बाद में, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पूरी तरह जनरेटर पर निर्भर था। सौर पैनल लगने से, यह निर्भरता बदल गई है। सौर ऊर्जा से सीएचसी का डीजल पर खर्च भी कम हुआ है। जनरेटर चलाने के लिए सीएचसी औसतन एक दिन में लगभग 45 लीटर डीजल खर्च करता था। अब यह कम हो गया है।
सौर पैनल अक्टूबर में लगाए गए थे और दिसंबर से काम कर रहे हैं। कर्मचारी अब किसी भी आपात स्थिति या बिजली न होने पर आने वाले मरीजों की देखभाल करने को लेकर आश्वस्त हैं। प्रमुख नर्स कहती हैं – “पहले हमें डीजी सेट शुरू करने के लिए ऑपरेटर का इंतजार करना पड़ता था और तब हम मरीजों को देख पाते थे। अब यह सिर्फ एक स्विच दूर है।”
सौर प्रणाली लगने के बाद, सफलता की कहानियों में से एक, जिसे ध्यानप्रभा दास याद करती हैं, एक महीने पहले प्रसव पीड़ा में आई एक महिला की है, जो बिजली कटौती के समय सीएचसी में आई थी। दास ने कहा कि यह एक जटिल मामला था और वे प्रसव के दौरान मां की सहायता के लिए ‘वैक्यूम एक्सट्रैक्शन प्रोसीजर’ (वेंटाउस) का उपयोग इसलिए कर सकते थे, क्योंकि उनके पास सौर पैनलों से बिजली थी।
टिकाऊ ऊर्जा
सीड्स (SEEDS), एक गैर-लाभकारी संगठन, और सेल्को फाउंडेशन ने सामुदाय की झेल लेने की क्षमता और दीर्घकालिक टिकाऊपन के लिए ऊर्जा के इस मॉडल का निर्माण किया है। SEEDS के सह-संस्थापक मनु गुप्ता ने कहा – “आपदाओं के समय बिजली आपूर्ति सबसे पहले बाधित होती है, जिससे स्वास्थ्य केंद्र के लिए जरूरतमंदों को सेवाएं प्रदान करना मुश्किल हो जाता है।”
मनु गुप्ता ने VillageSquare.in को बताया – “हमारा दृष्टिकोण आपदाओं के समय एक विश्वसनीय और लचीला विकल्प सुनिश्चित करने और ग्रिड पावर पर निर्भरता को कम करने के लिए, टिकाऊ ऊर्जा प्रदान करना था।”
जनरेटर केवल कुछ सुविधाओं को आपूर्ति कर सकता है। लेकिन सौर एक पूर्ण परिवर्तन है। नवीकरणीय ऊर्जा ऑपरेशन थिएटर, लेबर रूम, लेबर वार्ड और अन्य आवश्यक सेवाओं को बिजली प्रदान करती है। चंदनपुर सीएचसी की, ब्लॉक कार्यक्रम प्रबंधक, मधुस्मिता स्वैन ने कहा – “प्रमुख सुविधाएं सौर ऊर्जा प्रणाली से जुड़ी हैं। बाकी को भी जल्द ही जोड़ दिया जाएगा।”
सामुदायिक स्वामित्व
सौर पैनल सीएचसी की छत पर लगाए गए थे और अब स्वास्थ्य केंद्र की प्रमुख जरूरतों से जुड़े हैं। कर्मचारियों को आपात स्थिति में नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करने के लिए भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। स्विच बोर्ड को हरे रंग से रंगा गया है, ताकि समुदाय और स्वास्थ्य कर्मचारी इसके बारे में जागरूक हों और इसका उपयोग करें।
SEEDS के एक सदस्य बताते हैं – “सौर पैनलों पर धूल रिचार्जिंग को धीमा कर देती है और आपात स्थिति में बिजली आपूर्ति में बाधा उत्पन्न कर सकता है। इसलिए, सौर पैनलों को साफ़ रखने के लिए, समुदाय के युवाओं को प्रशिक्षित किया गया है और वे नियमित रूप से पैनलों की सफाई करते हैं। इससे समुदाय में स्वामित्व की भावना पैदा करता है।” आगे चलकर रास्तों की लाइट, चार्जिंग स्टेशन, वॉटर हीटर और वॉटर पंप सौर प्रणाली से चलाए जाएंगे।
प्रमुख नर्स का कहना था – “स्वास्थ्य सुविधाओं में बिजली सभी चीजों का सार है, विशेष रूप से आपात स्थिति में। सौर शक्ति व्यवस्था ने हमें ग्रिड पावर और डीजल जेनरेटर का विकल्प दिया है। मुझे लगता है, दूरदराज के गांवों में, जहां बिजली एक दूर का सपना है, सौर ऊर्जा सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधाओं का हिस्सा बन सकती है।”
गर्मी के दिनों में, ग्रामीण इलाकों में 4 से 5 घंटे बिजली कटौती आम बात है और चंदनपुर भी इसका अपवाद नहीं है। किसी भी छोटी या बड़ी स्वास्थ्य सम्बन्धी जरूरत के लिए, पहले ग्रामीणों को इंतजार करना पड़ता था या दूर जिला अस्पताल जाना पड़ता था। अब चीजें पूरी तरह बदल चुकी हैं।
चंदनपुर निवासी रामचंद्र नायक ने VillageSquare.in को बताया – “क्योंकि चंदनपुर सीएचसी में सौर पैनलों के कारण बिजली है, अब आपात स्थिति और बिजली कटौती के समय आस-पास के गांवों के लोग भी यहां आते हैं और इलाज करवाते हैं। यह हमारा पैसा और समय बचाने में मदद करता है। हरित ऊर्जा हमारे जैसे गरीब और जरूरतमंद लोगों के लिए एक वरदान है।”
राखी घोष भुवनेश्वर स्थित पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं। ईमेल: rakhighosh@rediffmail.com
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