क्योंकि उपलब्ध आंकड़े बाढ़ और कोरोनावायरस संक्रमण के अधिक मामलों के बीच एक संबंध की सम्भावना की ओर इशारा करते हैं, इसलिए 2021 के मानसून की योजना में इन साथ-साथ आई विपत्तियों पर विचार करने की जरूरत है।
मई, 2020 में विकास अण्वेष फाउंडेशन के एक शोधकर्ता, निर्मल्य चौधरी और मैंने संयुक्त रूप से, एक ऑनलाइन मैगज़ीन, ‘Gaon Connection’ के लिए एक लेख लिखा था, जिसका शीर्षक था ‘क्या उत्तर बिहार COVID-19 और वार्षिक बाढ़ की साथ-साथ आने वाली चुनौती के लिए तैयार है?’
लेख में हमने उन बस्तियों की कमजोरियों को दूर करने के लिए रणनीतिक तैयारियों और नियोजित प्रतिक्रिया की जरूरत पर प्रकाश डाला था, जिन पर आने वाले महीनों में COVID-19 महामारी और बाढ़ का खतरा आने की संभावना थी।
ठीक एक साल बाद, फिर से अतीत को और अधिक महत्वपूर्ण संदर्भ में देखा जा रहा है, इस उम्मीद के साथ कि आगामी मानसून में पर्याप्त तैयारी और सुनियोजित प्रतिक्रिया के साथ इन साथ-साथ आने वाले खतरों को संबोधित किया जाएगा।
यह अर्थपूर्ण होगा कि महामारी और बाढ़ के कुछ महत्वपूर्ण रुझानों और पिछले वर्ष (2020) में उसी क्षेत्र में उनकी संभावित पुनरावृत्ति को उजागर किया जाए। बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, 31 दिसंबर, 2020 को राज्य में कुल 2,52,792 संक्रमण के मामले और 1,397 मौतें दर्ज की गईं।
इसलिए यह दावा गलत नहीं होगा कि 31 दिसंबर, 2020 को स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों को, कैलेंडर वर्ष और महामारी की पहली लहर के समय को समान मानते हुए, COVID-19 की पहली लहर के प्रभाव के रूप में माना जाए।
13 जुलाई, 2020 तक, बिहार में COVID-19 संक्रमण के मामले 17,421 थे और 134 लोगों की मृत्यु हुई, जबकि 09 सितंबर, 2020 को, संक्रमण के मामलों की कुल संख्या 1,52,192 और मृत्यु 775 थी। 13 जुलाई से 09 सितंबर, 2020 के बीच , 134,771 मामलों की वृद्धि हुई, जो कि बिहार में दर्ज किए गए कुल मामलों का 53% हैं, जैसा कि 31 दिसंबर, 2020 को प्रकाशित हुआ। यही वह अवधि (13 जुलाई – 09 सितंबर) है, जब उत्तर बिहार में पिछले साल बाढ़ आई। (देखें: तालिका-1)
आपदा प्रबंधन विभाग (डीएमडी) द्वारा 13 जुलाई, 2020 को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित पहली रिपोर्ट थी, जिसमें उत्तर बिहार में बाढ़ के प्रभाव को उजागर किया गया, जिसके अनुसार सात जिले – सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज बाढ़ प्रभावित जिलों में शामिल थे। कुल 23 प्रशासनिक ब्लॉक, 98 पंचायत और 1,68,668 व्यक्ति प्रभावित हुए।
उसी दिन, सीतामढ़ी जिले में 187 सक्रिय मामले और 39 नए संक्रमण के मामले, शिवहर में 117 और 18, सुपौल में 370 और 61, किशनगंज में 237 और 27, दरभंगा में 405 और 192, मुजफ्फरपुर में 787 और 240 और गोपालगंज में 471 सक्रिय और 170 नए संक्रमण के मामले थे।
सार्वजनिक रूप से उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर, निश्चित रूप से सात जिलों के 23 बाढ़ प्रभावित ब्लॉकों के 747 सक्रिय मामलों के बीच एक संबंध दिखा पाना मुश्किल है। लेकिन साथ ही इसका उल्टा साबित करने के भी तर्क नहीं हैं। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार दर्ज आंकड़ों के अनुसार इन सात जिलों में 13 जुलाई, 2020 को 747 सक्रिय मामले थे।
इन साथ-साथ आई विपत्तियों का मुद्दा तब और पेचीदा हो जाता है, जब 09 सितंबर, 2020 के बाढ़ और COVID-19 के आंकड़ों की तुलना की जाती है। सार्वजनिक क्षेत्र में उपलब्ध आपदा प्रबंधन विभाग की दैनिक बाढ़ पर अंतिम रिपोर्ट (9 सितंबर, 2020 तक) के अनुसार, कुल 16 जिले प्रभावित हुए थे।
सीतामढ़ी, शिवहर, सुपौल, किशनगंज, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, खगड़िया, सारण, समस्तीपुर, सीवान, मधुबनी, मधेपुरा और सहरसा जिले बाढ़ से प्रभावित हुए, जिसमें 130 प्रशासनिक ब्लॉक, 1,333 पंचायतें और 836,2451 लोग शामिल हैं।
हालाँकि, 23 और 26 सितंबर, 2020 के बीच उत्तरी बिहार में दोबारा बाढ़ आई, लेकिन फॉर्म IX उपलब्ध न होने के कारण, बाढ़ के कुल प्रभाव को सार्वजनिक रूप से दर्शाने वाली 2020 की अंतिम बाढ़ रिपोर्ट, आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा 09 सितंबर, 2020 को जारी अंतिम रिपोर्ट को कुल प्रभाव ही मान लिया गया है।
13 जुलाई से 09 सितंबर, 2020 के बीच बाढ़ से प्रभावित जिलों में 09 सितंबर, 2020 को निम्नलिखित तरीके से COVID-19 के सक्रिय और नए संक्रमण के मामले दर्ज किए:
जिला
संक्रमण के नए मामले
सक्रिय मामले
प्रभावित ब्लॉक
प्रभावित लोग
जनसंख्या (2011 मतगणना)
पश्चिम चंपारण
3,991
428
9
143,283
3,922,780
पूर्वी चंपारण
5,626
599
18
1,020,009
5,082,868
शिवहर
896
149
4
17,178
656,916
सीतामढ़ी
2,997
283
13
358,753
3,419,622
दरभंगा
2,618
351
15
2,082,005
3,921,971
मधुबनी
5,163
614
4
264,805
4,476,044
सुपौल
2,914
426
5
81,198
2,228,397
किशनगंज
2,468
373
5
1,435
1,690,948
सहरसा
3,833
512
4
336,307
1,897,102
मधेपुरा
2,488
388
3
292,286
1,994,618
खगड़िया
2,403
141
7
152,056
1,657,599
समस्तीपुर
3,715
386
10
340,000
4,254,782
मुजफ्फरपुर
6,726
785
15
1,969,740
4,778,610
सीवान
3,226
279
4
162,125
3,318,176
सारण
4,796
508
9
725,895
3,943,098
गोपालगंज
3,144
404
5
415,376
2,558,037
कुल
57,004
6,626
130
8,362,451
49,801,568
तालिका 1 – COVID-19 संक्रमण मामले और बाढ़-ग्रस्त जिले
16 बाढ़ प्रभावित जिलों (2020) में 09 सितंबर, 2020 तक के कुल 57,004 संक्रमण मामले, 31 दिसंबर, 2020 तक दर्ज किए गए कुल मामलों का 37% थे। उसी दिन, स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि 08 सितंबर, 2020 तक 38 जिलों में COVID-19 के कुल 44.5 लाख व्यक्तियों की जाँच की गई, जो राज्य स्तर की सामान्यीकृत गणना के आधार पर प्रति जिला औसतन 1.1 लाख जाँच हैं।
राज्य में परीक्षणों की कुल संख्या बिहार की कुल जनसंख्या का मात्र 4% है। 2011 की जनगणना के अनुसार, उत्तरी बिहार के 16 बाढ़ प्रभावित जिलों की कुल जनसंख्या 4.98 करोड़ है। यदि 38 जिलों में औसतन 1.1 लाख परीक्षण प्रति जिला किए गए, तो 16 बाढ़ प्रभावित जिलों में लगभग 17.6 लाख परीक्षण किए गए।
यह इन जिलों की कुल आबादी का 3.53% है। बाढ़ प्रभावित जिलों के 3.53% परीक्षण के साथ, 13 जुलाई और 09 सितंबर, 2020 के बीच साथ-साथ आए खतरों की स्थिति के प्रश्न का उत्तर नहीं होगा, और इसी तरह उन खतरों के प्रभाव का भी होगा।
उत्तर बिहार में राज्य की कुल जनसंख्या का 63% है यानि राज्य की कुल 10.38 करोड़ आबादी में से 6.55 करोड़, जिसका अनुमानित जनसंख्या घनत्व राज्य के 1,102 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी के मुकाबले 1,294 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है, यानि आबादी घनी है।
स्वास्थ्य विभाग की 27 मई, 2021 की दैनिक रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर बिहार के भागलपुर सहित 22 बाढ़ प्रभावित जिलों में निम्नलिखित संक्रमण और सक्रिय मामले हैं। (बिहार के अन्य जिले, जहां कभी-कभार बाढ़ आती है, वे हैं बक्सर, भोजपुर, लखीसराय, मुंगेर, पटना, नालंदा, नवादा, जहानाबाद और अरवल)
जिला
संक्रमण के मामले
सक्रिय मामले
2000 और 2020 के बीच जिले में कितने वर्ष बाढ़ आई
पश्चिम चंपारण
20,530
704
18
पूर्वी चंपारण
18,281
972
13
शिवहर
4,197
416
9
सीतामढ़ी
8,441
510
14
दरभंगा
10,066
620
16
मधुबनी
17,577
926
17
सुपौल
16,080
1,268
21
अररिया
14,144
1,095
14
किशनगंज
9,360
984
11
पूर्णिया
23,152
797
18
कटिहार
17,287
922
17
भागलपुर
25,333
701
17
मधेपुरा
11,862
828
14
सहरसा
16,890
483
20
खगड़िया
9,545
373
19
बेगुसराय
26,240
1,503
11
समस्तीपुर
19,032
1,442
15
मुजफ्फरपुर
30,232
1,556
19
वैशाली
19,153
532
9
सीवान
14,544
536
6
सारण
22,322
640
10
गोपालगंज
15,587
646
14
तालिका 2 – बाढ़-संभावित जिले, 2021 में COVID-19 के मामले और बाढ़ की दर
शिवहर, सीवान और वैशाली जिलों को छोड़कर, बिहार के 19 बाढ़-संभावित जिलों में 2000 और 2020 के बीच कम से कम 10 वर्ष बाढ़ आई। पिछले दो दशकों में जिन जिलों में 15 से ज्यादा वर्ष बाढ़ आई, वे हैं सुपौल, सहरसा, खगड़िया, मुजफ्फरपुर, पश्चिम चंपारण, पूर्णिया, भागलपुर, कटिहार, मधुबनी, दरभंगा और समस्तीपुर।
दूसरी ओर, 27 मई, 2020 के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिन 22 बाढ़-संभावित जिलों में 15,000 से ज्यादा COVID-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं, वे हैं मुजफ्फरपुर (2000 और 2020 के बीच 19 साल बाढ़ आई), बेगूसराय (11) , भागलपुर (17), पूर्णिया (18), सारण (10), पश्चिम चंपारण (18), वैशाली (9), समस्तीपुर (15), पूर्वी चंपारण (13), मधुबनी (17), कटिहार (17), सहरसा ( 20), सुपौल (21) और गोपालगंज (14)। कुल मिलाकर 27 मई, 2020 तक 14 बाढ़-संभावित जिले हैं, जिनमें 15,000 से ज्यादा COVID-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए हैं।
यह अंतर-संबंध एक ऐसा पक्ष है, जिसे आगामी 2021 मानसून सीजन की योजना बनाते समय गहराई से समझा जाना चाहिए, क्योंकि यह महामारी की दूसरी लहर की वर्तमान स्थिति और भविष्य में तीसरी लहर की संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए, चिंता का विषय है।
04 मई, 2021 को जिला स्तर पर आगामी मानसून के लिए बाढ़ की तैयारियों के बारे में, आपदा प्रबंधन विभाग ने विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किए। इसी तरह 05 मई, 2021 को, बिहार सरकार ने जल संसाधन विभाग (WRD) द्वारा तैयार एक बाढ़ नियंत्रण आदेश जारी किया।
इस बाढ़-श्रृंखला का दूसरा और अंतिम भाग, जिला स्तर पर संभावित साथ-साथ आने वाली इन विपत्तियों पर, एक व्यापक रास्ता सुनिश्चित करने के लिए कुछ अतिरिक्त उपायों के साथ, आपदा प्रबंधन विभाग और जल संसाधन विभाग द्वारा पहचाने गए बाढ़ पूर्व तैयारी उपायों पर प्रकाश डालेगा। लेख इस बात पर भी जोर देगा कि मौजूदा स्थिति और साथ-साथ आने वाली आपदाओं की संभावनाओं के अनुसार तैयारियों की रणनीति कैसे तैयार की जा सकती है।
एकलव्य प्रसाद बिहार और झारखण्ड में कार्यरत सार्वजनिक धर्मार्थ ट्रस्ट, ‘मेघ पाईने अभियान’, अर्थात बादल जल अभियान, का नेतृत्व करते हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।
‘फरी’ कश्मीर की धुंए में पकी मछली है, जिसे ठंड के महीनों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। जब ताजा भोजन मिलना मुश्किल होता था, तब यह जीवित रहने के लिए प्रयोग होने वाला एक व्यंजन होता था। लेकिन आज यह एक कश्मीरी आरामदायक भोजन और खाने के शौकीनों के लिए एक स्वादिष्ट व्यंजन बन गया है।
हम में ज्यादातर ने आंध्र प्रदेश के अराकू, कर्नाटक के कूर्ग और केरल के वायनाड की स्वादिष्ट कॉफी बीन्स के बारे में सुना है, लेकिन क्या आप छत्तीसगढ़ के बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों में पैदा होने वाली खुशबूदार कॉफी के बारे में जानते हैं?