जैव-संसाधनों के संरक्षण से किसान की आजीविका में सुधार
गैर-इमारती वनोपज वर्ग की दुर्लभ और कीमती प्रजातियों का पुनरुद्धार, और उनकी बड़े पैमाने पर गुणात्मक वृद्धि, कृषि आय में वृद्धि के साथ-साथ संरक्षण भी सुनिश्चित करता है
रामू महादु गावटे (42) पालघर जिले के जौहर प्रशासनिक ब्लॉक के रुइचापाड़ा गांव के रहने वाले हैं। अपने हालात के कारण वह औपचारिक शिक्षा पूरी नहीं कर सके। लेकिन वह अपने परिवार का सहयोग करने के लिए, छोटी उम्र से ही खेती में लगे हुए हैं।
खेती ही उनकी आजीविका रही है। उनका पांच लोगों का परिवार खेती की आय पर निर्भर है। कृषि आय की अनिश्चितता गावटे को चिंतित करती थी। हाल के वर्षों में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से ये अनिश्चितताएं बढ़ी हैं।
लेकिन वर्ष 2015 में हालात बदलने शुरू हुए, जब वह ‘महाराष्ट्र जीन बैंक प्रोजेक्ट’ (MGBP) से जुड़े। MGBP विविध जैव-संसाधनों को पहचानने की एक पहल है, जो कुदरती तौर पर महाराष्ट्र के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में पाए जाते हैं। अब गावटे गैर-इमारती वनोपज प्रजातियों के संरक्षण में सफलतापूर्वक शामिल हो गए हैं।
जीन-बैंक परियोजना
महाराष्ट्र जीन बैंक परियोजना (MGBP) का लक्ष्य स्थानीय समुदायों की खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए विविध जैव-संसाधनों की निरंतर उपलब्धता सुनिश्चित करना है। यह जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरे के खिलाफ प्रतिरोध का निर्माण करने के साथ-साथ, समुदायों के लिए आजीविका और आर्थिक लाभ भी सुनिश्चित करेगा।
MGBP स्पष्ट रूप से गैर-इमारती वनोपज (NTFP) की उपज लेने के लिए, स्थानीय पेड़-पौधों, पशुधन की किस्मों और वन-प्रजातियों के सहभागितापूर्ण स्थानीय और अन्य स्थानों पर संरक्षण, पुनरुद्धार और प्रबंधन पर केंद्रित है। MGBP महाराष्ट्र भर के कुल 92 गांवों को कवर करता है।
गैर-इमारती वनोपज (NTFP) प्रजातियों का संरक्षण, MGBP का हिस्सा है और इसमें स्थानीय और अन्यत्र किए जाने वाले संरक्षण शामिल हैं, जिसके अंतर्गत गैर-विनाशकारी फसल लेने के तरीकों को अपनाकर, गुणात्मक पैदावार के लिए नर्सरी तकनीकों के मानकीकरण और NTFP के कटाई-पश्चात प्रबंधन के द्वारा NTFP की टिकाऊ और नियमित पैदावार प्राप्त करने को बढ़ावा मिलता है।
संरक्षण के दृष्टिकोण, दुर्लभता और बाजार मूल्य के आधार पर सात प्रमुख प्रजातियों के तौर पर महुआ, चरोली, हरड़, बेहड़ा, करया, बांस और बौहिनिया को चुना गया था। जौहर ब्लॉक में, 11 गांव संरक्षण कार्य में शामिल थे।
खेती से संरक्षण तक
गावटे सब्जियों की खेती करते थे और उनकी जमीन के एक हिस्से में चमेली के पौधे थे। सब्जियों और फूलों की बिक्री से उन्हें थोड़ी आमदनी होती थी। जब वे MGBP में शामिल हुए, तो उनकी गैर-लकड़ी वनोपज वर्ग की प्रजातियों के संरक्षण में रुचि हो गई।
महुआ ग्राफ्टिंग तकनीक सीखने के लिए वह प्रोजेक्ट टीम के साथ धाड़गाओं गए। उन्होंने नर्सरी तकनीक भी सीखी। पिछले पांच वर्षों में उन्होंने अपनी जमीन पर दो NTFP नर्सरी स्थापित की हैं। उन्होंने अपनी इस नर्सरी में महुआ, करया, हरड़, बेहड़ा, बौहिनिया और बांस लगाए हैं। वह और उनका परिवार नर्सरी की देखभाल करते हैं।
उन्होंने एक कम-लागत नर्सरी भी तैयार की, जिसमें 1 किलो बांस के बीज से लगभग 9,000 पौधे उगाए गए। इन पौधों को ग्रामीणों को बांटा गया और इनसे आवास संरक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत वृक्षारोपण भी किया गया। गावटे संरक्षण में उत्साह दिखाते हैं और हर आवास संरक्षण कार्यक्रम में भाग लेते हैं।
प्रशिक्षण स्थल के रूप में नर्सरी
गावटे की नर्सरी प्रायोगिक शिक्षा के लिए अच्छी है और एक सजीव जीन-केंद्र के रूप में कार्य करती है। वह NTFP से संबंधित गतिविधियों के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन व्यक्ति बन गए हैं। उनकी नर्सरी में एक प्रशिक्षण भी आयोजित किया गया था, और विशेषज्ञों ने दूसरे प्रतिभागियों को महुआ ग्राफ्टिंग तकनीक सीखने में मदद की।
MGB परियोजनाओं का दौरा करने वाले वैज्ञानिक, किसान और छात्र गावटे की NTFP नर्सरी पर भी जाते हैं। अपने ज्ञान और काम से वह इलाके में काफी लोकप्रिय हो गए हैं। वन विभाग के साथ-साथ पंचायत समिति के सदस्य, जब नर्सरी बनाना चाहते हैं, तो उनकी मदद लेते हैं।
वह संरक्षण कार्यक्रम के हिस्से के रूप में मिले सभी मासिक कार्यों और जिम्मेदारियों को समय पर पूरा करना सुनिश्चित करते हैं। इस परियोजना और अपने परिवार के सहयोग से, अपनी नर्सरी के माध्यम से वह NTFP प्रजातियों के संरक्षण में सक्रिय रूप से शामिल हैं।
आर्थिक स्थिरता
वह सब्जियों की खेती अब भी करते हैं, लेकिन NTFP से जुड़ी गतिविधियों में ज्यादा शामिल हैं। वह अपनी NTFP नर्सरी से हर साल 50,000 रुपये से 60,000 रुपये के बीच अतिरिक्त कमाई करते हैं। अगले एक या दो साल में, नर्सरी से संबंधित गतिविधियों से उन्हें लगभग 1 लाख रुपया प्राप्त होने की उम्मीद है। यह उनकी सब्जी और चमेली की खेती से होने वाली कमाई के अलावा होगा।
गावटे की कड़ी मेहनत ने उनकी आजीविका में सुधार किया है। वह सफल NTFP नर्सरी और संरक्षण गतिविधियों से खुश हैं। वह सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरा करने और बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने के लिए नियमित आय सुनिश्चित करते हैं।
MGB परियोजना समाप्त होने के बाद, वह उन कौशल के इस्तेमाल से अपनी आय के स्रोत को बनाए रख पाएंगे, जो उन्होंने अब सीखे हैं। अपने परिवार के लिए कुछ करने और प्रकृति की रक्षा करने के लिए उनकी कड़ी मेहनत, दृढ़ संकल्प और जुनून उन्हें कभी निराश नहीं करेंगे और वह एक मशाल-वाहक के रूप में सेवा करना जारी रखेंगे।
विट्ठल कौथाले और संजय पाटिल BAIF से जुड़े हुए हैं। विचार व्यक्तिगत हैं। ईमेल: vitthal.kauthale@baif.org.in / sanjay.patil@baif.org.in
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