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बांस के प्रति जुनून – “दुनिया का रामबाण”

बांस के आकर्षण और शक्ति के प्रति नैना फेबिन के बचपन का सम्मोहन, जुनून में बदल गया। उनका मानना है कि मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए प्रसिद्ध यह मजबूत पौधा, उनके गृह राज्य केरल के लिए महत्वपूर्ण है, जो बाढ़ से तेजी से प्रभावित हो रहा है। यहां नैना फ़ेबिन 2000 से ज्यादा बांस के पौधे, जहां जगह मिली, लगाने के बारे में बता रही हैं।

नैना फेबिन बचपन में ही बांस के आकर्षण और शक्ति से मोहित हो गईं (फोटो – शटरस्टॉक से साभार)
बांस! यह शब्द ही मुझे उत्साहित कर देता है।

तो आप अंदाजा लगा सकते हैं कि बांस के पौधे के पास होने पर मुझे कैसा महसूस होता है। पता नहीं क्यों, बचपन में भी मैं बांस के पौधों को देखकर खुश होती थी। हम जहां भी जाते, मैं बांस के झुरमुटों की तलाश में निकल जाती थी। एक बच्चे के रूप में, जब भी मेरे माता-पिता पिकनिक या यात्रा की योजना बनाते, मैं हमेशा उन वनों और जंगलों में जाने पर जोर देती, जिनमें बांस हों।

मुझे वह दिन याद है, जब मैंने अपने घर के पिछवाड़े में बांस का पौधा लगाया था। मैं चौथी कक्षा में थी। वह मेरी जिंदगी का सबसे खुशी का दिन था।

तब तक मैं पर्यावरण के लिए बांस के फायदों के बारे में जान गई थी। जैसे कि यह एक बहुत अच्छा कार्बन सोखने का पात्र है, क्योंकि यह ज्यादा कार्बन डाइऑक्साइड सोखता है। और यह वनीकरण में मदद कर सकता है। और कई टिकाऊ सामग्रियों के उत्पादन के लिए इस्तेमाल हो सकता है।

इसलिए मैंने हर जगह बांस लगाना शुरू कर दिया। दोस्तों, पड़ोसियों के यहां। खाली प्लाटों में भी।

नैना फ़ेबिन बांस को दुनिया की समस्याओं के लिए रामबाण मानती हैं (छायाकार – सुबिन कोप्पम)
जब मैं छोटी थी, तो मेरे लिए बांस ही हर चीज का इलाज था।

बांस के बारे में सिर्फ एक दिलचस्प कहानी या लोककथा सुनना, मेरे घाव, दर्द और यहां तक ​​कि मेरी शरारतों को ठीक करने के लिए काफी था।

उसी तरह मैं बांस को हमारी दुनिया की सभी समस्याओं के लिए रामबाण के रूप में देखती हूं।

इसकी जड़-प्रणाली के कारण, बांस मिट्टी के कटाव और भूस्खलन को रोक सकता है, और हमें ज्यादा ऑक्सीजन दे सकता है। क्या आप जानते हैं कि बांस दूसरे पेड़ों के मुकाबले 35% ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ता है? इसके पोषण और औषधीय फायदे भी हैं।

यही कारण है कि मैं बांस लगाते रहना चाहती हूं।

बांस के फायदों के बारे में जानने के बाद, नैना फेबिन जहां भी खाली जगह मिले, वहां बांस के पौधे लगा रही हैं (छायाकार – साबिन कोप्पम)

एक सर्व-उपभोग जुनून से, अब यह मेरा मिशन बन गया है कि मैं हर जगह बांस लगाऊं।

कोई आश्चर्य नहीं कि लोग मुझे ‘मूलायुदेथोझी’, यानी बांस-मित्र कहकर पुकारते हैं।

मैं केरल के सभी गांवों को बांस से हरा-भरा बनाना चाहती हूँ। मैंने अपने गांव कोप्पम से शुरुआत की है, जहां मैं अभी तक 300 बांस के पौधे लगा चुकी हूँ।

लॉकडाउन के दौरान मैं खाली नहीं बैठी थी। अपने 8 साल के भाई, चिथु और दोस्तों के साथ, हमने स्कूलों, सरकारी दफ्तरों, सार्वजनिक भवनों के परिसरों में और यहां तक ​​कि कोप्पम की खाली जमीन में भी पौधे लगाए। हमने 941 पंचायतों से उनके गांवों में बांस के पौधे लगाने के लिए सहयोग के लिए संपर्क किया। अब तक 250 से सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है।

इस शक्तिशाली घास के फ़ायदों के बारे में जागरूकता पैदा करने और अपने बांस-मिशन के लिए धन जुटाने की उम्मीद में, नैना फेबिन बांस के लिए गाती हैं (छायाकार – सुबिन कोप्पम)

पर्यावरण के मुद्दों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बांस लगाने के लिए मेरा एक संगीत बैंड भी है।

मेरे लिए, उनके बीच से बहने वाली हवा और पत्तों की सरसराहट एक संगीत हैं। बेशक, हमें अपने संगीत प्रदर्शन से जो पैसा मिलता है, उससे हमें बांस के पौधे खरीदने और लगाने में मदद मिलती है।

लोग अक्सर पूछते हैं कि मेरा सपना क्या है।

देखिए, मैं बांस से ढकी एक हरी-भरी दुनिया का सपना देखती हूँ, जो जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसे शुद्ध करेगा और हमें एक शांतिपूर्ण और टिकाऊ जीवन जीने में मदद करेगा।

के. राजेंद्रन तिरुवनंतपु स्थित एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। विचार व्यक्तिगत हैं।