महिलाओं ने खरगोश पालन पर लगाया बड़ा दांव
खरगोश के मांस की भारी मांग और इसके पालन की लागत कम होने के कारण, नागालैंड में महिलाओं के लिए खरगोश पालन सबसे आकर्षक और लाभदायक व्यवसायों में से एक बन रहा है।
खरगोश के मांस की भारी मांग और इसके पालन की लागत कम होने के कारण, नागालैंड में महिलाओं के लिए खरगोश पालन सबसे आकर्षक और लाभदायक व्यवसायों में से एक बन रहा है।
निबुनो कुओत्सु राज्य की राजधानी से लगभग 50 किलोमीटर दूर, नागालैंड के कोहिमा जिले में पहाड़ों की हरी छतरी और नीले आसमान से घिरे एक पुराने गाँव में रहती हैं।
हालांकि वह एक शांत स्थान पर रहती हैं, जिसकी बहुत से प्रकृति प्रेमी चाह रखते हैं, लेकिन उसका घर टिन से बना और बांस के खंभों पर टिका है। उनके परिवार को खेती से जो मामूली आमदनी होती है, वह उन्हें एक बेहतर घर बनाने में मदद करने के लिए काफी नहीं है।
यही कारण है कि 50-वर्षीय इस गृहिणी को खरगोश पालन से उम्मीदें हैं, जो वह अपने घर के पिछवाड़े में आसानी से कर सकती हैं।
दूसरे जानवरों से अलग, खरगोश को विशेष भोजन, बड़ी जगह या महंगे खरगोश-गृह की जरूरत नहीं होती है, जिससे यह ज्यादा लाभदायक उद्यम बन जाता है।
खरगोश पालन के लाभ
निबुनो कुओत्सु ने, लकड़ी और लोहे की जाली से बना और कीलों द्वारा जुड़े पिंजरे में छह खरगोश पाल रखे हैं। इन्हें चराना भी सरल है।
वह कहती हैं – “खरगोश रसोई के कचरे, हरी पत्तियों और गाजर तक पर भी जीवित रहते हैं। इससे हमारा उनके खाने खर्च बच जाता है।”
अपने स्वाद और पोषण महत्व के कारण, इस क्षेत्र में इसके मांस की भी बहुत मांग है।
मुस्कराकर वह कहती हैं – “लोग इसके लिए पहले से बुकिंग करते हैं।”
खरगोश पालन से वह आसानी से 5,000 रुपये तक कमा सकती हैं, लेकिन आमतौर पर वह इन्हें उपहार में दे देती हैं। “क्योंकि हम सब ज्यादातर मांसाहारी हैं, हम खरगोश उपहार में देना पसंद करते हैं। खरगोश का मांस बहुत पौष्टिक और गुणयुक्त होता है, खासकर बीमार लोगों के लिए इसे एक अच्छी खुराक के रूप में देखा जाता है।”
उनकी पड़ोसी, 30-वर्षीय पेलेंगुनो कुओत्सु, छोटे खरगोशों की एक जोड़ी 700 रुपये में और एक खरगोश 350 रुपये प्रति किलो बेचती हैं। स्थान के आधार पर कीमत अलग-अलग होती है, शहरों के मुकाबले गांवों में कम कीमत होती है।
पेलेंगुनो कुओत्सु कहती हैं – “आम तौर पर हम खरगोशों को दूसरे ग्रामवासियों को बेचते हैं, जो खाने के लिए या प्रजनन के लिए इन्हें खरीदते हैं। हम अपने वयस्क नर खरगोश नहीं बेचते हैं, क्योंकि उन्हें प्रजनन के उद्देश्य से रखा जाता है।”
बढ़ता कुटीर उद्योग
देश के दूसरे हिस्सों से अलग, चारों ओर से भूमि से घिरे नागालैंड में दूरदराज होने और दुर्गमता के कारण, आजीविका के ज्यादा अवसर नहीं हैं। ऊंची-नीचे क्षेत्र में पशुओं पर नज़र रखना एक समस्या है, लेकिन इससे भी ज्यादा मुश्किल है उन तक चारे का पहुंचना। यह न आसान है और न ही सस्ता। इसलिए अपने परिवार की आय की पूर्ती के लिए महिलाओं के लिए खरगोश पालन एक आदर्श तरीका साबित हो रहा है।
सरकार इस फलते-फूलते कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन दे रही है।
पशु चिकित्सा और पशुपालन विभाग, नागालैंड की उप निदेशक, एलिजाबेथ योम कहती हैं – “सरकार पिंजरे बनाने के लिए गरीबों को आर्थिक सहायता देती है। यह दूसरे पशुओं को पालने के मुकाबले ज्यादा लाभदायक है, क्योंकि नागालैंड में फ़ीड का खर्च काफी ज्यादा है, जबकि खरगोश को रसोई का बचा हुआ कचरा खिलाया जा सकता है।”
खाने में छोटे लेकिन प्रजनन में तेज
यह केवल खरगोश का सरल आहार या उसका छोटा आकार ही नहीं है, जिसके कारण यह पालने के लिए आसान होता है। उनकी एक और जन्मजात विशेषता है जो उन्हें आदर्श बनाती है, वह है उनकी तेजी से प्रजनन की योग्यता।
कोहिमा स्थित एक पशु चिकित्सक रोकोनीनुओ का कहना है – “खरगोश साल में 4-5 बार प्रजनन कर सकता है। गर्भावस्था की अवधि 30 दिन है। एक औसत खरगोश एक साल में 20-25 बच्चे पैदा कर सकता है। यह तेजी से परिपक्व होता है, और 6-7 महीनों में बच्चे पैदा करने के लिए तैयार हो जाता है।”
रोकोनीनुओ कहते हैं – “खरगोश के फर का इस्तेमाल जैकेट, दस्ताने, टोपी आदि बनाने के लिए भी किया जा सकता है।”
कस्बों और शहरों की महिलाएं भी खरगोश पालती हैं
हालाँकि खरगोश पालन की संस्कृति जिलों तक सीमित नहीं है। कस्बों और शहरों में भी महिलाएं खरगोश पालती हैं।
नागालैंड में 30,000 से ज्यादा महिलाएं खरगोश पालन करती हैं।
राज्य की राजधानी कोहिमा में रहने वाली, 45-वर्षीय गृहिणी, अचिला झोत्सो पिछले पांच वर्षों से खरगोश पालन कर रही हैं।
वह कहती हैं – “मैं एक पूरी तरह विकसित वयस्क खरगोश और छोटे खरगोशों की एक जोड़ी 2,000 रुपये में बेचती हूँ। अपने उपभोग के लिए और इसी तरह का प्रजनन व्यवसाय शुरू करने के लिए लोग इन्हें खरीदते हैं।”
व्यवसाय बढ़ाने में दिक्कतें
यह छोटा, प्यारा स्तनपायी का प्रजनन भले ही तेजी से होता है, लेकिन खरगोश पालन व्यवसाय को बढ़ाना मुश्किल है।
बड़े व्यवसायों की बात तो दूर, सभी मौसमों में जानवर पालने के बारे में उचित ज्ञान की कमी, ज्यादातर महिलाओं को अपने खरगोश के व्यवसाय को बढ़ाने से रोकती है।
निबुनो कुओत्सु कहती हैं – “देश के अन्य हिस्सों से अलग, आमतौर पर मौसम पूरे साल ठंडा रहता है और सर्दियों में बहुत ठंडा रहता है। कुछ हफ्ते पहले मेरे छह खरगोश मर गए, जिससे बड़ा नुकसान हुआ। इसने मुझे खरगोश पालन में पूरी तरह लग जाने से रोक दिया।”
योम ने कहा – “सर्दियों में खरगोश को समस्याओं का सामना करना पड़ता है और आम तौर पर लोग क्रिसमस से पहले उन्हें बेच देते हैं, ताकि नए साल में नई शुरुआत कर सकें।”
उन्होंने कहा कि सरकार समय-समय पर खरगोश के रखरखाव पर प्रशिक्षण सत्र आयोजित करती है। लेकिन अधिकांश छोटे किसानों के लिए यह काफी नहीं है।
गुरविंदर सिंह कोलकाता स्थित पत्रकार हैं। वह आजीविका, जैविक खेती और ग्रामीण मुद्दों के बारे में लिखते हैं।
‘फरी’ कश्मीर की धुंए में पकी मछली है, जिसे ठंड के महीनों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। जब ताजा भोजन मिलना मुश्किल होता था, तब यह जीवित रहने के लिए प्रयोग होने वाला एक व्यंजन होता था। लेकिन आज यह एक कश्मीरी आरामदायक भोजन और खाने के शौकीनों के लिए एक स्वादिष्ट व्यंजन बन गया है।
हम में ज्यादातर ने आंध्र प्रदेश के अराकू, कर्नाटक के कूर्ग और केरल के वायनाड की स्वादिष्ट कॉफी बीन्स के बारे में सुना है, लेकिन क्या आप छत्तीसगढ़ के बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों में पैदा होने वाली खुशबूदार कॉफी के बारे में जानते हैं?
यह पूर्वोत्तर राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें जरूर देखना चाहिए।