ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमी असफल क्यों होते हैं?

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में ग्रामीण उद्यमिता के महत्व की चर्चा काफी समय से होती रही है, लेकिन ग्रामीण उद्यमी के सामने आने वाली बाधाओं और चुनौतियों को समझने और उस पर काम करने का शायद यह सही समय है।

ग्रामीण उद्यम का अर्थ ग्रामीण क्षेत्र में पंजीकृत उद्यम से है और जिसकी बाजार में आपूर्ति या मांग है। सरकार, गैर सरकारी संगठन और निजी कंपनियों की सामाजिक दायित्व पर काम करने वाली एजेंसियाँ ग्रामीण उद्यम विकसित करने के काम में लगी हैं। 

चुनौतियाँ एवं सुझाव

ग्रामीण उद्यमियों के साथ काम करने का हमारा अनुभव बताता है, ग्रामीण क्षेत्रों में चार में से केवल एक व्यवसाय सफल होता है। महिला उद्यमियों के मामले में यह दर और भी बदतर है। ग्रामीण उद्यमियों की यात्रा चुनौतियों से भरी होती है, चाहे वह आंतरिक हो या बाहरी दुनिया से।

उद्यमियों के लिए प्रेरणा के श्रोत भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। कुछ उद्यमी पहली पीढ़ी के होते हैं, तो कुछ पारिवारिक व्यवसाय का विस्तार करना चाहते हैं। कुछ अन्य सफल उद्यमियों से प्रेरणा लेते हैं, तो कुछ के लिए उद्यमिता ही अंतिम रास्ता होता है। 

रामगढ़ में उद्यमी निर्माण, व्यापार और सेवा-आधारित उद्यमों में लगे हुए हैं। प्रत्येक श्रेणी की अपनी समस्याएं हैं। समस्याओं की गंभीरता भिन्न हो सकती है। उद्यमिता विकास के लिए अतिरिक्त प्रयासों और सावधानियों की जरूरत होती है।

युवा उद्यमियों के लिए आयोजित एक उद्यमिता प्रशिक्षण सत्र
युवा उद्यमियों के लिए आयोजित एक उद्यमिता प्रशिक्षण सत्र (छायाकार – अभिषेक सिंह)

ग्रामीण उद्यमिता में पेश आने वाली समस्याओं का वर्गीकरण मोटे रूप से इस प्रकार किया जा सकता है –

  1. पारिवारिक चुनौतियाँ: परिवार के सहयोग का अभाव या असहयोग 
  2. सामाजिक चुनौतियाँ: समुदाय में उद्यमियों के लिए सम्मान की कमी और विफलता के साथ जुड़ा कलंक
  3. मूल योग्यताओं सम्बन्धी चुनौतियाँ: कौशल का अभाव, अपर्याप्त योग्यता और तकनीकी विशेषज्ञता में कमी
  4. वित्तीय चुनौतियां: धन की कमी 
  5. हालात का अनुकूल न होना

(श्रोत:https://datascience.foundation/datatalk/india-s-rural-entrepreneurs-opportunities-challenges-an-overview)

(श्रोत: डाटा साइंस फाउंडेशन) (रेखा-चित्र ऊपर दी गई चुनौतियों को दिखाता है)
(श्रोत: डाटा साइंस फाउंडेशन) (रेखा-चित्र ऊपर दी गई चुनौतियों को दिखाता है)

उद्यमिता एक विचार से शुरू होती है, जो मीडिया, बाहरी दुनिया और आसपास की समस्याओं जैसे स्रोतों के कारण उनके दिमाग में आता है। उसके बाद बाजार सर्वेक्षण और फीडबैक द्वारा विचार को मान्य करने का प्रयास होता है। तकनीकी और व्यवहारिक प्रशिक्षण प्राप्त किया जाता है और अंत में व्यवसाय योजना तैयार होती है। 

योजना तैयार होने के बाद, व्यवसाय के लिए धन की तलाश होती है। धन की व्यवस्था के बाद काम शुरू होता है और इसकी स्थिरता के लिए प्रयास होता है। ऊपर बताए गए सभी प्रकार के उद्यमियों के लिए यह 80% समान होता है। 

प्रत्येक चरण की चुनौतियाँ 

मानसिकता: उद्यमी की मानसिकता एक उद्यम को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका रखती है।कई बार इच्छुक युवा उचित योजना के बिना उद्यम शुरू करते हैं। यहां यह समझना महत्वपूर्ण है कि उद्यमी एकमात्र व्यक्ति है, जिस पर पूरी जिम्मेदारी और दायित्व होता है। इसलिए उद्यम के लिए बहुत गंभीर होने और अपनी 100% प्रतिबद्धता देने की आवश्यकता है। समर्पित प्रयासों और पूर्ण प्रतिबद्धता से सफलता की संभावना बढ़ सकती है। 

विशेषज्ञों की सहायता से उद्यमिता सम्बन्धी जानकारी के लिए आयोजित एक विशेष सत्र
विशेषज्ञों की सहायता से उद्यमिता सम्बन्धी जानकारी के लिए आयोजित एक विशेष सत्र (छायाकार – अभिषेक सिंह)

गुण और कौशल: कभी कभी धन को सबसे महत्वपूर्ण घटक मान कर कौशल और योग्यता विकास पर कम ध्यान दिया जाता है। समय प्रबंधन, नेतृत्व, लचीलापन, नेटवर्किंग आदि कुछ ऐसे गुण हैं, जो एक उद्यमी को सफल बनाते हैं। कुछ उद्यमों में संख्यात्मक, तकनीकी, मोलभाव जैसे कौशल जरूरी होते हैं। ग्रामीण उद्यमियों के पास सीखने के लिए सफल उद्यमी के अनुभव बेहद कम या नहीं होते हैं। ये उनके पाठ्यक्रम तक में नहीं मिलती। इसलिए वे इन पर जोर नहीं देते। सीखने और क्षमता वृद्धि के प्रति उनका उदासीन रवैया उनकी उद्यमिता यात्रा में एक बड़ी बाधा बन जाता है।

सही व्यवसाय का चुनाव और योजना: ग्रामीण युवा दूसरों के व्यवसाय में सफलता और उससे होने वाली कमाई को देखकर व्यावसाय चुन लेते हैं। वे अपने उस कौशल और योग्यता को देखना भूल जाते हैं, जिनकी जरूरत हो सकती है। कुछ लोग अपने इलाके में कुछ नया शुरू करने से डरते हैं। उन्हें उत्पाद और सेवा विविधता के महत्व को समझना चाहिए, न कि नक़ल करनी चाहिए। ऐसा करने से न सिर्फ मुनाफा सीमित होगा, बल्कि अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा या एकाधिकार के कारण स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी नुकसान होगा। कुछ लोग शुरू में ही बड़ा उद्यम शुरू करना चाहते हैं, जिसके असफल होने की संभावना अधिक होती है। उद्यम में सुविचारित जोखिम लिया जा सकता है, लेकिन अधिक जोखिम से पूरा सपना टूट सकता है। एक सही व्यवसाय चुनने का तकनीकी समाधान, निम्नलिखित में से किसी एक को ढूंढना है –

ए)  स्थानीय क्षेत्र में कच्चे माल की उपलब्धता होना जरूरी है

बी)  आसपास मजबूत बाज़ार-लिंकेज होना चाहिए

सी)  चुने गए उद्यम के लिए उद्यमी के पास उचित कौशल और दक्षता होनी चाहिए

विपरीत हालात के लिए लचीलापन: उद्यमिता यात्रा उतार-चढ़ाव से भरी है। बाजार, धन और यहां तक कि समाज भी उद्यम को प्रभावित करते हैं। कुछ को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन कुछ नियंत्रण से बाहर होते हैं। इसलिए एक उद्यमी के लिए विपरीत हालात में लचीला होना बहुत महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, COVID में कई उद्यमों को हालात नियंत्रण से बाहर होने के कारण नुकसान हुआ, जबकि कुछ अपने लचीलेपन के कारण बच गए। विपरीत परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए तैयार रहना होगा।

अनुकूल परिस्थितियों का अभाव: उद्यमिता एक एकाकी यात्रा है, लेकिन इसे परिस्थितियों के माध्यम से सहयोग मिल सकता है। इन परिस्थितियों में सरकार, समुदाय, संस्थान और यहां तक ​​कि बाजार भी शामिल हैं। सूक्ष्म व्यवसायों की सहायता के लिए सरकार की बहुत सी योजनाएं हैं, लेकिन यह अंतिम और सही व्यक्ति तक पहुंच रही हैं या नहीं, इस पर सवालिया निशान लग सकता है। RSETI, नाबार्ड और अन्य प्रशिक्षण देने वाले संस्थानों को, उद्यमियों के लिए अधिक प्रासंगिक होने की जरूरत है। प्रशिक्षण-पश्चात सहयोग बहुत जरूरी है। समुदाय द्वारा उद्यमियों को भावनात्मक सहयोग दिया जाना चाहिए। उनके सहयोग के लिए गठबंधन और सलाहकार समूह हो सकते हैं।

व्यक्तिगत काउंसलिंग के माध्यम से एक उद्यमी विशेषज्ञ से सलाह मशवरा कर सकता है
व्यक्तिगत काउंसलिंग के माध्यम से एक उद्यमी विशेषज्ञ से सलाह मशवरा कर सकता है (छायाकार – अभिषेक सिंह) 

ऊपर चर्चा की गई चुनौतियां हैं, लेकिन हम परिस्थिति तंत्र के माध्यम से जमीनी स्तर पर उद्यमियों को बढ़ावा देना जारी रख सकते हैं। हम उनकी मानसिकता और क्षमता पर काम कर सकते हैं। हम उन्हें सही व्यवसाय चुनने, नियोजित दृष्टिकोण अपनाने और उनके उद्यमों के लिए धन और बाजार लिंकेज बनाने में मदद कर सकते हैं। लगातार हाथ पकड़कर और मार्गदर्शन के माध्यम से उन्हें आगे भी सहयोग दिया जा सकता है। भावनात्मक रूप से सहयोग प्रदान करने के लिए एक सहकर्मी नेटवर्क बनाया जा सकता है। 

ग्रामीण उद्यमिता के विकास में अनेक चुनौतियों के बावजूद, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने, अधिक रोजगार पैदा करने और गांवों को आत्मनिर्भर बनाने की बहुत जरूरत है।