पुरस्कार ने कैथापराम के चिकित्सीय संगीत को पहुँचाया ऊँचे स्तर पर
संगीत की उपचार शक्तियों का अनुभव कर चुके, पद्म श्री से सम्मानित कैथापराम दामोदरन नम्बूदिरी का मानना है कि संगीत-चिकित्सा बीमारियों और विकलांगता को ठीक कर सकती है।
संगीत की उपचार शक्तियों का अनुभव कर चुके, पद्म श्री से सम्मानित कैथापराम दामोदरन नम्बूदिरी का मानना है कि संगीत-चिकित्सा बीमारियों और विकलांगता को ठीक कर सकती है।
कैथापराम दामोदरन नम्बूदिरी घोषणा करते हैं – “संगीत एक अमृत है। यह कायाकल्प करता है, यह ठीक करता है।”
उन्हें पता होगा। न सिर्फ उनके पिता एक संगीतकार थे, जो बीमार पड़ने पर अपने बेटे को गाने के लिए कहते थे, न सिर्फ वह संगीत में करियर बनाते हुए बड़े हुए, बल्कि उन्होंने खुद भी इसकी उपचार शक्ति का अनुभव किया।
वर्ष 2012 में एक गंभीर मस्तिष्क रक्तस्राव के कारण उन्हें लकवा मार गया। कई महीनों तक उनका उन्नत उपचार हुआ।
वह कहते हैं – “मैं हर समय डफली या ओम संगीत सुनता हूँ। मैं संगीत को कसकर पकड़ता हूं। यह मेरे दर्द और मेरी निराशा को कम करता है। संगीत ने मुझे संतुलन बनाने में मदद की। संगीत की वजह से मेरी गतिशीलता में काफी सुधार हुआ है।”
इसलिए 2021 में यह दुगने गर्व की बात थी, कि कर्नाटक संगीतकार पद्म श्री पुरस्कार प्राप्त करने के लिए मंच पर पहुंचे।
वह न सिर्फ अपने संगीत-सम्बन्धी योगदान की मान्यता के रूप में पुरस्कार प्राप्त करते हुए रोमांचित थे, बल्कि वह चलने में सक्षम होने के लिए आभारी भी थे।
71-वर्षीय गीतकार, संगीतकार, कवि, गायक, पटकथा लेखक, अभिनेता और निर्देशक, जो कैथापराम के नाम से प्रसिद्ध हैं, ने 450 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। लेकिन उनके दिल के सबसे करीब वह उपचार-संगीत है, जो स्वास्थ्य समस्याओं और विकलांगता से प्रभावित लोगों की मदद करता है। कैथापराम गर्व के साथ कहते हैं – “पद्म श्री के कारण, मेरे संगीत और इसकी चिकित्सीय शक्ति को सम्मानित किया गया है।”
वर्ष 1988 में एक संगीत विद्यालय, ‘स्वाति थिरुनल कलाकेन्द्रम’ शुरू करने के बाद, कैथापराम ने कोझीकोड में ‘संगीत चिकित्सा फाउंडेशन’ की शुरुआत की, जिसकी अब दूसरे जिलों में भी शाखाएँ हैं।
उन्होंने तिरुवन्नूर के अपने फाउंडेशन के चिकित्सा केंद्र के माध्यम से संगीत चिकित्सा को लोकप्रिय बनाया, जिसे भारत में अपनी तरह का एकमात्र केंद्र माना जाता है। वह संगीत चिकित्सा के तीन सप्ताह के सत्र का सुझाव देते हैं, जिसमें योग, आयुर्वेद और प्राकृतिक भोजन भी शामिल है।
उनके सुझाव के अनुसार पहले कुछ समय के लिए एक प्रशिक्षित चिकित्सक की देखरेख में शुरुआत करें और फिर जरूरत के अनुसार मार्गदर्शन प्राप्त करते हुए, रोगी स्वयं अभ्यास करें।
उनका कहना है – “लेकिन गंभीर ऑटिज़्म जैसे मामलों में, वांछित परिणामों के लिए यह लम्बे समय के लिए होना चाहिए। सर्वोत्तम परिणामों के लिए, मैं संगीत से भरी जीवन शैली का आनंद लेने का सुझाव देता हूं।”
‘ब्रिटिश एसोसिएशन फॉर म्यूज़िक थेरेपी’ के अनुसार, संगीत चिकित्सा भावनात्मक विकारों और मानसिक बीमारी वाले लोगों की मदद कर सकती है और लोगों के जीवन जीने के तरीके को प्रभावित कर सकती है।
संगीत चिकित्सा का सबसे सरल रूप संगीत सुनना है। गायन और वाद्ययंत्र बजाना अगला कदम है।
महरूफ राज टी.पी. एक गायक और चिकित्सक हैं, जो आमतौर पर वैज्ञानिक उपचार के साथ संगीत चिकित्सा का सुझाव देते हैं।
राज कहते हैं – “अकेले संगीत से किसी भी बीमारी का इलाज नहीं हो सकता। लेकिन वैज्ञानिक रूप से सिद्ध उपचार के साथ, संगीत चमत्कार कर सकता है। यह मनोवैज्ञानिक इलाज में बहुत मददगार है।”
यह इंगित करते हुए कि कुछ अस्पताल अपने प्रसव कक्षों में संगीत का उपयोग सुकूनदायक वातावरण बनाने के लिए करते हैं, वह कहते हैं कि संगीत का उपयोग दर्द निवारक के रूप में भी किया जा सकता है।
राज कहते हैं – “जब हम बीमार महसूस करते हैं या तेज दर्द का अनुभव करते हैं, तो यह मानसिक और भावनात्मक आघात का कारण बन जाता है। संगीत हमें सुकून देता है। यह शांति प्रदान करता है।”
कैथापराम का मानना है कि मधुर आवाज में गाया जाने वाला राग, रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ाता है। वह कहते हैं – “हमने केरल के कई अस्पतालों में संगीत चिकित्सा आजमाई है। अस्पताल के अधिकारियों ने इसके लाभ का मूल्यांकन करने के लिए, सत्रों का दस्तावेजीकरण किया है। कोझीकोड मानसिक अस्पताल सहित सभी सत्रों में सकारात्मक परिणाम मिले हैं।”
अस्पतालों से प्राप्त अनुरोधों के आधार पर, कैथापराम की टीम रोगी की बीमारी के अनुसार उपयुक्त रागों का चयन करती है।
उन्होंने कहा – “उपयुक्त राग चमत्कार कर सकते हैं। कल्याणी, मोहना, श्री रागम के विशेष सुकूनदायक प्रभाव हैं।”
संगीत प्रेरणादायक और आरामदायक, दोनों हो सकता है।
कैथापराम ने संगीत के माध्यम से लोगों को अनिद्रा से छुटकारा पाने में मदद की है, साथ ही ऑटिज्म से पीड़ित लोगों को कुछ हद तक शांति भी दी है।
वह कहते हैं – “संगीत मानसिक विकारों, संवेदी दुर्बलताओं, विकास और सीखने में कमजोरी और बातचीत संबंधी विकारों के लिए प्रभावी है। और संगीत चिकित्सा सभी आयु वर्ग के लिए लागू होती है।”
रेमानंदन दंपत्ति बौद्धिक रूप से विकलांग अपनी बेटी कीर्तना के लिए कैथापराम की संगीत चिकित्सा चाहते थे। कीर्तना के लिए अपनी दिनचर्या को पूरा करना भी मुश्किल होता था।
मंजुला रेमानंदन याद करती हैं – “हम उनके महत्वपूर्ण बदलाव के आश्वासन की पुष्टि कर सकते हैं। मुझे आज भी वो दिन याद हैं, जब मुझे उसे जबरदस्ती बाथरूम में ले जाना पड़ा था।”
धीरे-धीरे होने वाले बदलावों को देखते हुए, मंजुला रेमानंदन ने यह सुनिश्चित किया कि उनकी बेटी संगीत कक्षाओं में भाग ले और अभ्यास जरूर करे। लॉकडाउन में कक्षाएं ऑनलाइन चलती रहीं
माँ का कहना है – “तीन साल बाद, अब वह बेहतर है। वह बेचैन हो जाया करती थी और उसमें एकाग्रता की कमी थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब वह हमारी सलाह मानती है और अपनी दिनचर्या को मेरे मामूली सहयोग से पूरी कर सकती है।”
दंपत्ति ने कीर्तना के संगीत और संगीत चिकित्सा की शक्ति को प्रदर्शित करने के लिए, एक सोशल मीडिया चैनल शुरू किया है।
वर्ष 2008 में कैथापराम और उनकी टीम ने कोझीकोड सरकारी मानसिक अस्पताल में प्रदर्शन किया, जिसके लिए उन्हें एक न्यायाधीश से अनुमति की जरूरत थी, क्योंकि मानसिक अस्पतालों के परिसर में किसी भी प्रदर्शन के लिए अदालत आदेश की जरूरत होती है। अस्पताल के एक पूर्व अधिकारी, जो अपना नाम जाहिर नहीं करना चाहते थे, याद करते हैं – “जब कैथापराम और उनकी टीम ने गाया, तो इसने एक अलग मूड बना दिया। यह जादुई था। कुछ मरीज चुपचाप सुनते रहे, कुछ ताली बजाने लगे और कुछ रोने लगे।”
अधिकारियों ने 24 सप्ताह की मुफ्त चिकित्सा के बाद, एक सकारात्मक बदलाव देखा और इसकी अनुमति देने वाले उच्च न्यायालय के न्यायाधीश, थोट्टाथिल राधाकृष्णन ने अस्पताल द्वारा रिपोर्ट किए गए प्रभाव को दर्ज किया और उपचार जारी रखने का सुझाव दिया।
तब से कैथापराम और उनकी टीम ने ‘कोचीन जनरल अस्पताल के ‘कोचीन द्विवार्षिक (बाईन्नल)’ के हिस्से ‘आर्ट ऐज़ मेडिसिन’ सत्र सहित कई सरकारी और निजी अस्पतालों में चिकित्सा प्रदर्शन और उपचार किया है।
टीम, जो अब केवल ऑनलाइन कक्षाएं संचालित करती है, गायकों को संगीत-चिकित्सक बनने के लिए प्रशिक्षण देने के लिए तैयार है, ताकि महामारी के समय और बाद में लोगों की मदद हो सके।
कैथापराम ने राज्य सरकार से महामारी के बाद के तनाव को कम करने के लिए संगीत चिकित्सा के लिए धन आवंटित करने को कहा है।
वह कहते हैं – “यदि सरकार इसे अपनाती है, तो महामारी के कारण अपनी आजीविका खोने वाले हजारों कलाकार अपने कौशल का इस्तेमाल समाज की भलाई के लिए कर सकते हैं। संगीत ने मुझे प्रसिद्धि, खुशी, स्वास्थ्य, धन एवं और बहुत कुछ दिया। इसलिए मैं इसकी सकारात्मकता को फैलाने के लिए तैयार हूं।”
चित्रा अजित केरल के कोझीकोड में स्थित एक पत्रकार हैं।
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