पक्षियों के प्रति जुनून को लेकर, पक्षी-गाइड मूसा खान को उम्मीद है कि उनके काम से, थार रेगिस्तान में बिजली की तारों के कारण पक्षियों की बढ़ती मौतों के बारे में जागरूकता के लिए अन्य ट्विचर्स भी प्रेरित होंगे।
नई पीढ़ी के ज्यादातर युवा, सोशल मीडिया पर घंटों बिताते हैं।
लेकिन इस 27 साल के राजस्थानी का पक्षियों के प्रति जुनून है, जिसने ट्विटर पर समय बिताने की बजाय, एक ट्विचर, यानि एक पक्षी-गाइड बनना पसंद किया।
जहां हम में से ज्यादातर, ‘लार्क’ या यहां तक कि ‘पिपिट्स’ की विभिन्न प्रजातियों के बीच अंतर नहीं बता सकते हैं, जो मामूली अंतर से परे एक जैसे दिखते हैं, मूसा खान बता सकते हैं।
वह राजस्थान के जैसलमेर जिले में, भारत के ‘डेजर्ट नेशनल पार्क’ (DNP) में पक्षी प्रेमियों और वैज्ञानिकों के लिए, भारत के सबसे युवा और सम्मानित गाइड्स में से एक हैं।
लेकिन उनका भी एक मिशन है।
पक्षियों को बचाने का जुनून
खान चाहते हैं कि लोग डेजर्ट नेशनल पार्क के नवीकरणीय बिजली घरों से, बढ़ती संख्या में बिजली लाइनों के करंट से पक्षियों की मौत के बारे में जागरूक हों।
पक्षियों के प्रति उनके जुनून के चलते, खान के दिमाग में यह हमेशा चलता रहता है।
वह पूछते हैं – “बिजली की लाइनों से पक्षियों का मरना कब बंद होगा?”
पार्क में पक्षियों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों को ला कर और उनमें जागरूकता पैदा करके, वह बिजली लाइनों से पक्षियों की मौत को रोकने की उम्मीद करते हैं।
प्रशिक्षित पक्षी-गाइड
क्योंकि उनका गांव, नीभा, डेजर्ट नेशनल पार्क के अंदर था, इसलिए खान का पक्षियों की पर्यावरण संबंधी विशेषताओं को ले कर भारी आकर्षण था।
उनके जीवन में 2015 में एक मोड़ आया, जब उन्होंने वन विभाग द्वारा टूर-गाइड को प्रशिक्षित करने के लिए आयोजित एक कार्यशाला में भाग लिया। उन्होंने कार्यशाला में न सिर्फ पक्षियों के बारे में बहुत कुछ सीखा, बल्कि प्रशिक्षकों को भी प्रभावित किया।
उन्होंने खान को बताया कि वह पक्षी प्रेमियों के लिए एक अच्छा गाइड बनेगा। निश्चित रूप से, वह सर्वश्रेष्ठ गाइड्स में से एक निकला है।
पक्षी गाइड के रूप में उड़ान
सर्दियों में, जब पक्षियों का मौसम अपने चरम पर होता है, तो उन्हें लगभग 100 पक्षी प्रेमियों के समूह मिलते हैं।
‘बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी’ (BNHS) के पूर्व निदेशक और एक प्रमुख पक्षी विज्ञानी, असद रहमानी ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “मूसा डेजर्ट नेशनल पार्क में पक्षी-अवलोकन (बर्ड-वाचिंग) को एक ऊंचे स्तर पर ले गए हैं, जो पार्क को लोकप्रिय बनाने में मदद करेगा।”
रहमानी कहते हैं – “मूसा पक्षियों की 200 से ज्यादा प्रजातियों को पहचान सकते हैं। वह डेजर्ट नेशनल पार्क|थार रेगिस्तान के पक्षियों के बुनियादी पर्यावरण, व्यवहार, प्रवास, गतिविधि, पंखों के अंतर के बारे में भी जानते हैं। यदि मुझे पार्क की किसी प्रजाति के बारे में अतिरिक्त जानकारी चाहिए, तो मैं उनसे संपर्क करता हूं।”
खान को डेजर्ट नेशनल पार्क में पाए जाने वाले नर और मादा लाल सिर वाले गिद्धों (Sarcogyps calvus) के नर-मादा के बीच मामूली अंतर, या फिर 10 अलग-अलग लार्क और 10 अलग-अलग पिपिट प्रजातियों के पंख, आवाज और व्यवहार के सूक्ष्म अंतर के बारे में जानते हैं।
रहमानी कहते हैं – “लार्क और पिपिट पक्षियों को पहचानना मुश्किल होता है, क्योंकि कई प्रजातियां बेहद सूक्ष्म विविधताओं के साथ एक जैसी दिखती हैं। उदाहरण के लिए, एक किशोर धान खेत के पिपिट (Anthus rufulus) और एक किशोर पीले पिपिट (Anthus campestris) के बीच पहचान करने के लिए एक विशेषज्ञ की दृष्टि चाहिए। मैं अपने 45 साल के पक्षी-अवलोकन के अनुभव के बावजूद भ्रमित हो जाता हूं, लेकिन मूसा खान ने उन्हें पहचानने का कौशल विकसित कर लिया है।”
पार्क के पक्षियों के बारे में खान का ज्ञान कुछ ऐसा है, जिसका आने वाले आनंद लेते हैं। विशेष रूप से विभिन्न पक्षियों की खूबियां और अलग-अलग मौसम में उनका व्यवहार। उदाहरण के लिए, उन्होंने आसानी से देख लिया कि प्रजनन के मौसम के बाद सर्दियों में, पीले बाज़ (Aquila rapax) का वजन कम हो जाता है। रहमानी इसकी पुष्टि करते हुए कहते हैं कि ऐसा पक्षी के लंबे प्रजनन काल के कारण होता है।
पक्षियों के बारे में चिंता मज़ाक नहीं
पक्षियों के प्रति अपने जुनून के चलते, यह हैरानी की बात नहीं है कि वह पक्षियों के लिए खतरों के बारे में चिंतित हैं। वह विशेष रूप से बिजली की लाइनों के कारण, पार्क में पक्षियों के मरने को लेकर चिंतित हैं।
खान कहते हैं – “मैंने सुना है कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से इस बारे में कुछ करने को कहा है। लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ है। पक्षी अब भी मर रहे हैं। मैं आशा करता हूँ कि सरकार जरूरी कदम उठाएगी।”
एक जनहित याचिका के जवाब में, सुप्रीम कोर्ट ने 09 अप्रैल 2021 को आदेश जारी किया था। इसमें सरकार को निर्देश दिया गया था कि नवीकरणीय बिजली घरों से बिजली लाइनों को जमीन के ऊपर की बजाय, भूमिगत बिछाया जाए।
विशेष रूप से, राजस्थान और गुजरात के गंभीर रूप से लुप्तप्राय पक्षियों के संभावित आवासों में, जहां कई सौर और पवन ऊर्जा पार्क हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश में भारतीय वन्यजीव संस्थान (WII) की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा गया था कि “WII द्वारा 80 किलोमीटर बिजली की लाइनों पर एक साल में सात बार किए गए सर्वेक्षणों में पाया गया कि थार (रेगिस्तान) में ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ सहित लगभग 40 प्रजातियों के 289 शव मिले।”
WII के वैज्ञानिकों के नवीनतम अध्ययन से अनुमान लगाया गया है कि जैसलमेर के थार रेगिस्तान में 4,200 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा क्षेत्र में फैले उनके अध्ययन क्षेत्र में बिजली लाइनों के कारण एक साल में 87,966 पक्षियों की मृत्यु हो जाती है।
इसलिए वैज्ञानिकों ने थार मरुस्थल में बिजली की लाइनों के कारण होने वाली पक्षियों की मृत्यु को रोकने के लिए तत्काल उपाय करने का आह्वान किया है।
पक्षियों का राजदूत
खान अब पक्षी विज्ञानियों और पक्षी प्रेमियों के लिए सबसे ज्यादा लोकप्रिय पक्षी-गाइड बन गए हैं। वन विभाग के अधिकारी जब ग्रामीणों के लिए वन्यजीव संरक्षण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करते हैं, तो खान ही उनके लिए खास होते हैं।
रहमानी कहते हैं – “मुझे मूसा खान पसंद हैं, क्योंकि वह एक स्व-निर्मित व्यक्ति हैं। वह न सिर्फ एक अच्छे पक्षी प्रेमी हैं, बल्कि एक अच्छे इंसान भी हैं। वह अपने पक्षी प्रेमी ग्राहकों की अच्छी देखभाल करते हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात, वह पक्षियों से प्यार करते हैं और उनसे एक सुरक्षित दूरी बनाए रखने की कोशिश करते हैं, ताकि उनकी सामान्य गतिविधियों में बाधा न आए। मूसा खान डेजर्ट नेशनल पार्क का “बर्डिंग स्टार” है।
उन्होंने विलेज स्क्वेयर को बताया – “खान सभी पक्षियों के लिए एक तरह के राजदूत हैं। सिर्फ ‘ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ ही नहीं, बल्कि सभी पक्षी महत्वपूर्ण हैं।”
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