यूथ हब द्वारा ‘इंडिया हैबिटेट सेंटर’ में 5 अगस्त, 2022 को आयोजित एक गोलमेज सम्मेलन में, ग्रामीण विषयों को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के तरीकों का पता लगाने के लिए, विशेषज्ञ, विद्वान, शोधकर्ता और चिकित्सक इकठ्ठा हुए।
यह महसूस किया गया कि सामाजिक क्षेत्र अब युवाओं की पहली करियर पसंद नहीं रह गया है, क्योंकि उन्हें सामाजिक क्षेत्र की वास्तविकताओं के बारे में बहुत कम या कोई जानकारी नहीं है। अक्सर वे सोचते हैं कि यह एक स्थिर या फंसा हुआ क्षेत्र है, जो उनके विकास को रोकता है। उन्हें कोई जानकारी नहीं कि सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले संगठन किस प्रकार के हैं और वे किस तरह के मुद्दों से जूझते हैं।
‘ग्रामीण’ को ले कर घिसी पिटी सोच पर आधारित एक विषम समझ है, जो जमीनी वास्तविकताओं से अलग है। यह ग्रामीण भारत में तेजी से बदलते और परिवर्तनकारी विकास को नजरअंदाज करती है। देश का 70% हिस्सा अभी भी ग्रामीण बना हुआ है, लेकिन इसकी समस्याओं और अवसरों के प्रति जागरूकता और संवेदनशीलता की कमी के कारण, शहरी शिक्षित युवाओं द्वारा इस बढ़ती जगह को काफी हद तक अनदेखा किया जाता है। वे इस क्षेत्र में उपलब्ध अवसरों और विकास के रास्तों के बारे में नहीं जानते, जो एक व्यवहार्य पेशेवर विकल्प बन सकता है।
असल में सामाजिक क्षेत्र युवा लोगों को भागीदारी और योगदान के लिए, एक बहुत ही गतिशील और जीवंत माहौल प्रदान करता है। ग्रामीण विकास में लगे संगठन भी लगभग हर विषय और कार्यक्षेत्रों में एक अच्छी आजीविका के लिए बहुत ही आकर्षक और रोमांचक अवसर प्रदान करते हैं। पाठ्यक्रम, कार्यक्रमों और प्लेसमेंट में सामाजिक, विकास और ग्रामीण विषयों को जोड़ने में, नागरिक समाज संगठनों (सीएसओ) और शैक्षणिक संस्थानों के बीच, एक संयुक्त प्रयास के माध्यम से यह सब बदल सकता है, जो युवाओं को इस क्षेत्र में कोशिश करने के लिए आवश्यक ज्ञान, कौशल और आत्मविश्वास देता है।
यूथ हब द्वारा देश में सामाजिक और ग्रामीण विषयों को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाने की रणनीति पर चर्चा करने के लिए, शिक्षाविदों, सीएसओ हस्तियों, डिजाइन विशेषज्ञों और क्षेत्र के युवा पेशेवरों को एक उच्च स्तरीय संवाद-पैनल के रूप साथ लाया गया।
गोलमेज कार्यक्रम में चर्चा के दो व्यापक क्षेत्र थे –
विकास संगठनों में शामिल होने के इच्छुक युवाओं में इस क्षेत्र के अवसर और अपेक्षित कौशल एवं ज्ञान।
उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) में सामाजिक और ग्रामीण विषयों पर मौजूदा कार्यक्रम और उनमें सुधार की संभावनाएं।
गोलमेज सम्मेलन के परिणाम
उच्च शिक्षण संस्थानों में ग्रामीण और सामाजिक विषयों पर हस्तक्षेपों के स्वीकार्य परिणामों के कई स्तर हो सकते हैं: युवाओं को सामाजिक और ग्रामीण मुद्दों एवं चुनौतियों के बारे में संवेदनशील बनाना, क्षेत्र की विशालता, संभावनाओं और नौकरी के अवसरों के बारे में जागरूकता।
आयोजनों गतिविधियों और कार्यक्रमों के माध्यम से क्षेत्र के साथ निरंतर जुड़ाव की जरूरत है, जो सिर्फ प्लेसमेंट और इंटर्नशिप पर केंद्रित न हो।
क्षेत्र के संगठनों को अब भी कम पैसा देने और फील्ड की एकल-कार्य भूमिकाएं देने वाली संस्थाओं के रूप में देखा जाता है। सच्चाई यह है कि शिक्षा, पर्यावरण, आजीविका, स्वास्थ्य, पब्लिक पॉलिसी, आदि जैसे विषयों के साथ-साथ डिजाइन, मानव संसाधन, वित्त, आईटी, एनालिटिक्स, रणनीति, प्रौद्योगिकी, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, आदि जैसे क्षेत्रों में अच्छा पैसा देने वाली भूमिकाओं की विविधता है।
उच्च शिक्षण संस्थानों और नागरिक समाज संगठनों को जोड़ने वाला सुलभ और मान्य डेटाबेस, पारस्परिक रूप से उपयोगी होगा। CSOs को युवा समुदायों और शैक्षणिक संस्थानों को उनके द्वारा प्रदान किए जाने वाले मूल्य के बारे में जागरूक करने के लिए नेतृत्व करना चाहिए। एक मायने में, सामाजिक क्षेत्र का जॉब मार्केट, उच्च शिक्षा स्तर पर सर्वोत्तम प्रतिभा को आकर्षित करने में सक्षम होगा।
हालाँकि शैक्षिक संस्थान/शिक्षा जगत इस क्षेत्र और इसके संगठनों के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं, लेकिन वे खुद रुचि रखने वाले युवाओं को सामाजिक और ग्रामीण संगठनों के प्रति मशविरा देने और मार्गदर्शन करने के लिए जागरूक और संवेदनशील नहीं हैं।
शिक्षाविदों को सभी स्तरों पर पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम के 10-15% दोबारा सक्रिय करने की आजादी होती है और यहीं पर सामाजिक/ग्रामीण प्रासंगिक सामग्री को लाया जा सकता है। प्राध्यापक-वर्ग इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। विकास क्षेत्र-शिक्षा जगत के संयुक्त अध्ययन, परियोजनाओं और इमर्सन कार्यक्रमों जैसे पाठ्यक्रम और शैक्षणिक सहयोग के माध्यम से, कई संपर्क बनाए जा सकते हैं।
रुचि रखने वाले युवा विकास पेशेवरों ने स्कूल स्तर से शुरू करके पेशेवर शिक्षा तक सामाजिक/ग्रामीण/विकास क्षेत्र पर अधिक शैक्षणिक एकीकरण की जरूरत का सुझाव दिया। यह पेशेवर रूप से उनके लिए समझने या दूसरे भारत के बारे में ज्यादा जागरूक होने के लिए कई विकल्प खोलेगा। यह किया जा सकता है, यदि युवा लोगों के लिए उस दुनिया की जटिलता को कम करने में मदद करने वाले CSOs और उनके विशेषज्ञों, युवा पेशेवरों और अग्रणियों तक पहुंच हो। उन्होंने महसूस किया कि नौकरी के अवसरों, वेतन और आजीविका यात्रा की ज्यादा स्पष्टता, उन्हें इस क्षेत्र में और अधिक आकर्षित करेगी।
CSOs, शिक्षाविदों और युवा लोगों में कई स्तर पर एक-दूसरे के साथ जुड़ने की उत्सुकता है, फिर भी एक अंतर बना हुआ है, जिसे इस जुड़ाव को अनुकूल बनाने वाले एक मजबूत नेटवर्क की स्थापना के साथ पाटा जा सकता है।
गोलमेज कार्यक्रम अग्रणियों, युवा पेशेवरों, शिक्षाविदों और युवा लोगों का एक जोरदार संवाद सत्र था। इसमें ऑरो यूनिवर्सिटी से प्रो. रोहित वांचू, ISDM से श्री गौरव शाह, GLRA, PATH, डिजिटल ग्रीन, IPAS, TRIF, IMT गाज़ियाबाद, AURO यूनिवर्सिटी सूरत, शिव नादर यूनिवर्सिटी, जग्गनाथ यूनिवर्सिटी जयपुर, BIMTECH, इंडियन स्कूल ऑफ़ डेवलपमेंट मैनेजमेंट से प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
शीर्ष पर मुख्य फोटो में इंडियन हैबिटैट सेंटर में ‘’ग्रामीण विषयों को उच्च शिक्षा की मुख्यधारा में लाने’ के लिए तरीके तलाशने के लिए शामिल हुए वाले प्रतिभागियों को दिखाया गया है, जिनमें विशेषज्ञ, विद्वान, शोधकर्ता और चिकित्सक शामिल थे। (फोटो – यूथ हब, विलेज स्क्वेयर द्वारा)
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