खुबानी हैं? कारगिल की सामिक चटनी बनाओ
कारगिल की मीठी खुबानी की गुठली से बनी ‘सामिक खुबानी चटनी’ के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, जिसे ऐसे ही या किसी व्यंजन के साथ खाया जाता है और जिसके बनने पर आस-पड़ोस में उत्सव का माहौल बन जाता है।
कारगिल की मीठी खुबानी की गुठली से बनी ‘सामिक खुबानी चटनी’ के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं, जिसे ऐसे ही या किसी व्यंजन के साथ खाया जाता है और जिसके बनने पर आस-पड़ोस में उत्सव का माहौल बन जाता है।
ईद की खुशनुमा सुबह, बारहवीं कक्षा की छात्रा ज़रीना बानो को जैसे ही पता चला कि उसके दादाजी आ रहे हैं, वह तेजी से पास के एक बगीचे में गई। उसने जमीन पर गिरी हुई कुछ पकी खुबानी उठाईं।
उसने फल के पीले गूदे को गुठलियों से अलग कर दिया। कारगिल जिले के शिल्कचाय गाँव की यह लड़की अपने दादा के लिए एक लोकप्रिय स्थानीय व्यंजन, सामिक बनाना चाहती थी।
बानो कहती हैं – “अपने दादाजी का स्वागत करने के लिए उन्हें पसंदीदा भोजन परोसने से बेहतर तरीका क्या हो सकता है! यहाँ हम सभी की तरह, उन्हें भी यह पसंद है।”
जैसा कि बानो ने कहा, खुबानी की गुठली से बनी सामिक, स्थानीय संस्कृति में एक हमेशा से पसंदीदा चटनी है।
सामिक की एक सांस्कृतिक विरासत है।
जब जुलाई और अगस्त में खुबानी की फसल शुरू होती है, तो पहले उत्सव के रूप में सामिक चटनी तैयार की जाती है।
अपने घर से भारी जिग और जिग्बो (सिल-बट्टा) खुली जगह पर रखते हुए, एक खुबानी उत्पादक, हाजी मोहम्मद अब्दुल्ला ने बताया – “क्योंकि मेरे बाग में फल तोड़ने के लिए काफी पक चुके थे, इसलिए मैंने अपने पड़ोसियों को चटनी की दावत के लिए आमंत्रित किया।”
हालांकि हर कोई सामिक चटनी के स्वाद का आनंद लेता है, लेकिन परम्परागत रूप से पड़ोस की महिलाएं ही इसे तैयार करती हैं।
शिल्कचाय की अमीना बानो कहती हैं – “जब भी फसल का उत्सव मनाने के लिए पड़ोस में सामिक तैयार होती है, तो मैं इसे बनाने के लिए स्वेच्छा से काम करती हूँ। मुझे एक समय में बहुत से लोगों के लिए पसंदीदा चटनी बनाने में बहुत मजा आता है।”
अमीना बानो ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “जब कुछ महिलाएँ लोकप्रिय चटनी तैयार करती हैं, दो अन्य महिलाएँ आसपास इकट्ठा हो जाती हैं। आप उत्सव के माहौल को महसूस कर सकते हैं।”
हालांकि चारों तरफ भूमि से घिरे इस क्षेत्र में ज्यादातर लोगों के पास आधुनिक रसोई उपकरण हैं, फिर भी वे पारम्परिक तरीके से सामिक बनाना पसंद करते हैं। वे इसे एक सपाट पत्थर (सिल) और हथेली के आकार के बट्टे (छोटा गोल पत्थर) का इस्तेमाल करके हाथ से बनाते हैं।
खुबानी की गुठली से खुबानी के गूदे को अलग करने के बाद, गुठली को तोड़कर अंदर की मीठी गिरी निकाल ली जाती है।
ज़रीना बानो ने कहा – “क्योंकि सामिक चटनी मीठी खुबानी की गिरी से बनाई जाती है, इसलिए ‘न्यारमो’ नाम की खुबानी की केवल एक खास किस्म का इस्तेमाल किया जाता है।”
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गिरी को पत्थर पर पीसने की गहन प्रक्रिया से गाढ़ा भूरा पेस्ट बनता है। इसे एक कटोरे में इकठ्ठा किया जाता है और इसमें एक चुटकी बारीक कटा हुआ प्याज मिलाया जाता है।
इसके साथ ही, बेहद पसंद की जाने वाली सामिक चटनी परोसे जाने के लिए तैयार है।
यह रोटी, जौ के आटे या चावल से बने मालपुए के साथ, या एक अलग व्यंजन के रूप में ऐसे ही खाया जा सकता है।
ज़रीना बानो कहती हैं – “हालांकि आप इसे रोटी या चावल जैसे किसी भी भोजन के साथ खा सकते हैं, लेकिन ज्यादातर लोग इसे जौ के आटे से बने ‘फापा’ के साथ खाना पसंद करते हैं।” .
सभी सामिक का आनंद लेते हैं, जिसके बारे में अमीना बानो कहती हैं – “यह सिर्फ भोजन की बात नहीं है, बल्कि यह भोजन से जुड़े उत्सव की बात है।”
इस कारगिल-विशेष को तैयार करने के लिए समुदाय फसल के मौसम में इकट्ठा हो सकता है, लेकिन यह हर अवसर का व्यंजन है।
एक स्कूल टीचर ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “इस मीठी चटनी का इस्तेमाल विवाह और जन्मदिन समारोह से लेकर धार्मिक समारोहों तक, सभी महत्वपूर्ण अवसरों पर किया जाता है। हम इसका इस्तेमाल अंतिम संस्कार के अवसरों पर भी करते हैं।”
सामिक चटनी लंगर या सामुदायिक रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है, जो मुहर्रम जुलूस के दौरान पहाड़ी क्षेत्र में व्यापक रूप से आयोजित किया जाता है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि इस पहाड़ी क्षेत्र में सामिक की लोकप्रियता इसकी भौगोलिक स्थिति के कारण है।
कश्मीर विश्वविद्यालय के एक समाजशास्त्री, अली मोहम्मद के अनुसार, कठोर सर्दियों के कारण यह क्षेत्र साल में लगभग सात महीने दुनिया से कटा रहता था।
अली मोहम्मद ने विलेज स्क्वेयर को बताया – “उन महीनों में लोग स्थानीय संसाधनों का उपयोग करते थे। क्योंकि कारगिल क्षेत्र के कई हिस्सों में खुबानी बहुतायत में उगती है, इसलिए लोग इससे कई व्यंजन बनाते हैं। और सामिक एक लोकप्रिय व्यंजन है।”
हालाँकि चटनी का उपभोग ज्यादातर स्थानीय स्तर पर किया जाता है, कुछ खुबानी उत्पादकों ने इसका व्यावसायिक उत्पादन शुरू कर दिया है।
हरदास गांव के खुबानी उत्पादक गुलाम अब्बास, आसपास के बाजारों में सैकड़ों किलोग्राम चटनी की आपूर्ति करते हैं।
लद्दाख क्षेत्र से सूखी खुबानी और खुबानी का तेल पूरे देश के बाजारों में बिकता है, और इस खुबानी-क्षेत्र के लोगों के लिए सामिक, आय का एक अच्छा स्रोत हो सकती है।
इस लेख के शीर्ष पर मुख्य फोटो में खुबानी के फल दर्शाए गए हैं, जिनका इस्तेमाल सामिक चटनी बनाने के लिए किया जाता है (छायाकार – नासिर यूसुफी)
नासिर यूसुफी श्रीनगर स्थित एक पत्रकार हैं।
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