भारत के ग्रामीण स्थल, जो हैं लीक से हटकर

विलेज स्क्वेयर में हम ग्रामीण भारत के कम ज्ञात, लेकिन जीवंत क्षेत्रों के बारे में जानकारी देना पसंद करते हैं, इसलिए विश्व पर्यटन दिवस पर हम अपनी कुछ पसंदीदा कहानियों और स्थानों को आपकी "जरूर देखें" सूची में जोड़ने की पेशकश करते हैं।

हमारे कुछ पसंदीदा गुप्त और लीक से हट कर ग्रामीण स्थलों पर नज़र डालिये और एक शानदार ग्रामीण विश्राम स्थल बुक करने की तैयारी कीजिये।

कश्मीर, साग इको विलेज – ‘खेत से मेज’ भोजन और पहाड़ी ट्रैक

कश्मीर के गांदरबल में ग्रामीण जीवन, विरासत और संस्कृति एकीकृत करता एक इको-विलेज, ‘साग इको विलेज’ में ‘खेत से मेज’ भोजन से लेकर पहाड़ी ट्रेक तक, सब कुछ है। यह बच्चों के लिए शैक्षिक और मनोरंजक शिविरों, बाइक की सवारी और ‘इको थेरेपी’ (पर्यावरण-चिकित्सा) जैसी गतिविधियों के साथ कश्मीरी जीवन के बारे में जानने के लिए पर्यटकों और स्थानीय लोगों के बीच बातचीत की सुविधा भी प्रदान करता है। साथ ही खेत से लाई ज्यादातर जैविक सामग्रियों से बने ताज़ा शेक और बढ़िया चटनी जैसे पारम्परिक व्यंजनों के साथ, कश्मीर यात्रा के अनुभव को समृद्ध बनाते हैं। 

इको-विलेज में काम करने और आराम करने के लिए एक लाउंज है (फोटो – ‘साग इको विलेज’ से साभार)

छत्तीसगढ़ का ‘इको कैम्प कोडार’ – तंबू में रहिये और गाइड के साथ पदयात्रा

छत्तीसगढ़ में कोडार बांध के पास का इको-पर्यटन सुविधा में बदला गया सुन्दर स्थान, ग्रामीण युवाओं के लिए स्थानीय रोजगार और बेहतर आय सुनिश्चित करते हुए, एक सप्ताहांत छुट्टियों के लिए एक आदर्श माहौल प्रदान करता है। बारनवापारा वन्यजीव अभयारण्य में गाइड के साथ पदयात्रा करें, नाव की सवारी करें, जंगली प्राणियों की तस्वीरें लें और सिरपुर के पुरातत्व विरासत स्थल के बारे में जानें। और रात को झील किनारे तम्बू में बैठ कर कैंपिंग का पूरा अनुभव प्राप्त करें।

शिविरों के पास सूर्योदय का प्राकृतिक सौंदर्य (फोटो – दीपन्विता नियोगी के सौजन्य से)

हिमाचल प्रदेश का बीर: कॉस्मिक क्रिया – पैराग्लाइडिंग से ध्यान तक, सब कुछ

अपनी पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध, बीर से आधा मील की दूरी पर स्थित, ‘कॉस्मिक क्रिया’ हिमाचल प्रदेश में घूमने के लिए एक आकर्षक जगह है। एक बैकपैकर छात्रावास के साथ, सांस्कृतिक नृत्य और संगीत कार्यक्रमों से लेकर स्वास्थ्य लाभ पाने वाले लोगों के लिए आराम करने के लिए ध्यान सत्रों और ब्यास नदी की सुंदरता का आनंद लेने में मदद प्रदान करता है। 

संगीत जैमिंग के लिए सांस्कृतिक और संगीत कार्यक्रम (फोटो – ‘कॉस्मिक क्रिया’ से साभार)

हरियाणा के सोनीपत की चोखी ढाणी – साल भर चलने वाला राजस्थानी मेला

जयपुर की चोखी ढाणी का सार लेकर, दिल्ली से केवल 90 मिनट दूर सोनीपत में एक राजस्थानी मेला शुरू हुआ, जिसमें मंदिर में स्वागत तिलक, बाज़ार, जानवरों की सवारी, पारम्परिक आग के साथ प्रदर्शन, जादू शो, मिट्टी के बर्तन बनाना और बहुत कुछ और।

मेले में पूरा राजस्थानी माहौल बनाते रंगीन पगड़ी और सजे हुए ऊंट (फोटो – चोखी ढाणी, सोनीपत से साभार)

झारखंड का चित्रकारी ग्राम – खोवर और सोहराई आदिवासी भित्ति चित्र देखिए

मिट्टी के घरों की दीवारें पारम्परिक खोवर और सोहराई कला के लिए कैनवास का काम करती हैं। इन गांवों की चित्रकारी और आस-पास के पास की गुफाओं में बने लिखित इतिहास से पहले के चित्रों में उल्लेखनीय समानता हैं। ये गुफा चित्र फीके पड़ रहे थे, जब तक कि कला संरक्षण के लिए एक जुनूनी दंपत्ति ने इसका पुनरुद्धार नहीं किया, जिससे कलाकारों को अंतरराष्ट्रीय दीर्घाओं में प्रदर्शन करने और पर्यटकों को गाँवों में लाने में मदद मिली।

लिखित इतिहास से पहले की गुफा-चित्रकला को संरक्षित करने के लिए चित्रित दीवारों की घाटी (फोटो – हिरेन कुमार बोस से साभार)

ओडिशा का बेलगाडिया महल – मयूरभंज का पौराणिक छाऊ नृत्य

शास्त्रीय और मार्शल आर्ट रूपों का मिश्रण, यह नृत्य शाही परिवारों और सरकारी सहयोग के संयुक्त प्रयास से लोक और शास्त्रीय संगीत की संगत के साथ किया जाता है। इसके अलावा, यदि आप ओडिशा में एक शानदार आवास का आनंद लेना चाहते हैं, तो बेलगड़िया महल के इस जीवंत संग्रहालय के घर जैसी सुविधा में प्रवास जरूरी है।

ओडिशा का मयूरभंज छाऊ नृत्य रूप (फोटो – बेलगाडिया पैलेस के सौजन्य से)

राजस्थान में जोधपुर का अरणा झरणा – भोजन और प्रकृति द्वारा ग्रामीण संस्कृति के निर्माण को दर्शाता संग्रहालय

झाड़ुओं की अनेक किस्मों के प्रदर्शन के कारण ‘”झाड़ू संग्रहालय” के नाम से प्रसिद्ध, राजस्थान का अरणा झरणा संग्रहालय दर्शाता है कि रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली बुनियादी वस्तुओं के माध्यम से संस्कृति और भोजन कैसे जुड़ते हैं।

संग्रहालय का निर्माण ग्रामीणों ने अपने हाथों से दीवारों पर नक्काशी करके किया है ( फोटो – रूपायन संस्थान के सौजन्य से)

केरल, ग्रामीण जीवन का अनुभव – मछली पकड़ें, ताड़ी का स्वाद चखें और नारियल रेशे का सामान बनाएं

केरल के प्रसिद्ध बैकवॉटर में केवल नाव की सवारी ही न करें, धान के खेतों में बाइक और साइकिल चलाएं, मछली पकड़ने जाएं और देखें कि नारियल के बाहरी रेशे से कॉयर का सामान कैसे बनाया जाता है और हो सके तो फरमेंट किए नारियल की प्राकृतिक शराब ताड़ी का स्वाद भी चखें। 

केरल में नारियल पेड़ (फोटो – कैनवा के सौजन्य से)

लेख के शीर्ष की फोटो में दीवारों पर बनाए गए जनजातियों के भित्तिचित्रों को दिखाती है (फोटो – दीपन्विता नियोगी के सौजन्य से)

लेख के शीर्ष की फोटो में दीवारों पर बनाए गए जनजातियों के भित्तिचित्रों को दिखाती है (फोटो – दीपन्विता नियोगी के सौजन्य से)