ओडिशा में बहुत से आदिवासी किसान सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण गरीबी रेखा से नीचे रह रहे थे। ‘हर्षा ट्रस्ट’ के एक सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार, नए बोरवेल और कृषि प्रशिक्षण से उन्हें अब अधिक कमाई करने में मदद मिल रही है।
पानी के बिना किसान कुछ नहीं कर सकते। कोरापुट जिले में हाल ही तक यही सच्चाई थी। सिंचाई सुविधाओं की कमी सबसे बड़ी बाधाओं में से एक है, जो कृषि को लाभहीन बनाती है। ओडिशा के कोरापुट जिले के केन्दुगुड़ा गाँव में भी यही स्थिति थी।
केन्दुगुड़ा एक आदिवासी बहुल गाँव है। गाँव के 195 परिवारों में से 125 आदिवासी हैं। बाकी 70 परिवार दलित हैं। 80% से ज्यादा परिवार आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं।
उनकी औसत भूमि 2 एकड़ है। सिंचाई सुविधाओं के अभाव में, लगभग 50% परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे थे।
लेकिन नए बोरवेल के साथ केन्दुगुड़ा के किसानों का जीवन बदल गया है।
सीमांत किसानों की आजीविका कैसे सुधारें?
सीमांत किसानों की आजीविका में सुधार के लिए, ओडिशा में भूख और कुपोषण को खत्म करने के लिए काम करने वाली, भुवनेश्वर स्थित संस्था, हर्ष ट्रस्ट ने दिसंबर, 2021 में केन्दुगुड़ा के लोगों से मुलाकात की।
ज्यादातर ग्रामीणों ने सिंचाई सुविधाओं की कमी के बारे में बताया। ग्रामीणों के अनुरोध के आधार पर, सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाने का निर्णय लिया गया।
ट्रस्ट ने किसानों और प्रखंड कृषि अधिकारी के बीच बैठक करायी। अधिकारी ने ‘पूर्वी भारत में हरित क्रांति’ (बीजीआरआई) योजना के अंतर्गत तीन सौर क्लस्टर बोरवेल को मंजूरी दी।
जल उपयोक्ता समूहों का गठन
इस योजना के लिए ‘जल उपयोगकर्ता समूह’ (WUG) के गठन की जरूरत है। सभी के बीच विश्वास पैदा करने के कुछ प्रयासों से, हाशिए पर रहने वाले 21 किसानों ने ‘राधाकृष्ण जल उपयोगकर्ता समूह’ का गठन किया।
तहसील कार्यालय से औपचारिक मंजूरी मिलने के बाद, WUG ने एक बैंक खाता खोला। बोरवेलों के सुचारू संचालन और ख़राब होने पर समय पर मरम्मत सुनिश्चित करने के लिए, किसानों से उपयोगकर्ता शुल्क लेने का निर्णय लिया गया। इसके बाद उपयोगकर्ता शुल्क बैंक में जमा कर दिया गया।
हालाँकि सीमांत किसानों के लिए यह मुश्किल था, फिर भी प्रत्येक किसान ने 2,000 रुपये का योगदान दिया। उपयोगकर्ता समूह को किस तरह काम करना चाहिए, इस बारे में किसानों को जानकारी देने के लिए एक अभिमुखीकरण बैठक आयोजित की गई।
सिंचाई सुविधाएं स्थापित करना
तीन सौर बोरवेल लगाने का कुल बजट 15,42,000 रुपये था, जिसमें से समुदाय का योगदान 42,000 रुपये था। कृषि विभाग ने बाकी धनराशि उपलब्ध कराई।
केन्दुगुड़ा गाँव की कृषि भूमि में मई, 2022 में तीन बोरवेल लगाए गए। इन तीन बोरवेल से 21 एकड़ क्षेत्र की सिंचाई की जा सकेगी।
हालाँकि किसानों को जलवायु प्रभाव से अनियमित वर्षा का सामना करना पड़ता है, लेकिन बोरवेल किसानों को बैंगन और करेला जैसी कई बागवानी फसलों को उगाने में मदद करते हैं।
किसानों की आय बढ़ी
बोरवेल की खुदाई के अतिरिक्त, हर्ष ट्रस्ट की परियोजना टीम ने किसानों को फसल चयन, कम समय में धन देने वाली सब्जियों जैसी नकदी फसलों की खेती, नई तकनीकों के प्रयोग तथा कीट एवं रोग प्रबंधन के बारे में प्रशिक्षित किया।
बाजार संपर्क व्यवस्था प्रदान करके, टीम किसानों को आसानी से अपनी उपज बेचने और बेहतर आय प्राप्त करने में मदद करती है। केन्दुगुड़ा गाँव के 21 किसानों के परिवारों का जीवन बदल गया है।
21 किसानों की 17 एकड़ जमीन में, 52,000 रुपये की लागत से खरीफ सीजन में बैंगन और करेले का उत्पादन किया गया। कुल उत्पादन 33.7 टन हुआ। वे सब्जियाँ 3.37 लाख रुपये में बेचने में सफल रहे।
प्रत्येक किसान परिवार अपने खेत में उत्पादित सब्जियों की बिक्री से प्रति सीजन 20,000 से 30,000 रुपये कमाता है।
कुछ कार्यों की साझा जिम्मेदारियों ने सदस्य किसानों के समय और मेहनत को कम कर दिया है। वे अपनी उपज बेचने के लिए किसी एक स्थानीय बाजार पर निर्भर रहने के बजाय, कई बाजारों तक पहुंचने में सक्षम हैं। परिवार को अपने खेत से ही ताजी और पौष्टिक सब्जियाँ मिलती हैं। इससे किसानों के जीवन की गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार होता है।
सदस्य किसान अब 10 एकड़ में फूलगोभी और 7 एकड़ में टमाटर उगाने के लिए नर्सरी तैयार कर रहे हैं, जिसके बाद वे परवल जैसी लताओं वाली सब्जियाँ उगाने की योजना बना रहे हैं।
शीर्ष के मुख्य फोटो में एक खेत में सिंचाई पम्प दिखाया गया है (फोटो – प्रदीपगौर्स, ‘शटरस्टॉक’ से साभार)
गणेश मोहनंदिया सामाजिक कार्य में स्नातकोत्तर हैं। वह हर्षा ट्रस्ट में प्रोजेक्ट एक्जीक्यूटिव हैं।
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