चित्र में: पंजाब के एक गांव में ‘यीशु का लंगर’

अमृतसर, पंजाब

पंजाब में अमृतसर के एक गांव में, क्रिसमस के दिन का मतलब है स्वादिष्ट भोजन, निस्वार्थ सेवा, नृत्य और ढेर सारी मस्ती। यह अनोखा क्रिसमस उत्सव सच्चे बहुसांस्कृतिक भारत को दर्शाता है, जहाँ हर कोई अपने धर्म, जाति और वर्ग से बेपरवाह, त्योहार मनाने के लिए एक साथ आता है।

पंजाब के अमृतसर जिले के बीरबलपुरा गांव के स्थानीय चर्च में क्रिसमस के दिन 500 से ज़्यादा लोगों को छोले पूरी, वेज पुलाव, मिक्स सब्जी और गुड़ चावल का एक सादा, पौष्टिक भोजन मुफ़्त परोसा जाता है।बीरबलपुरा की एक ईसाई महिला सुमन भट्टी कहती हैं – “हालांकि हर रविवार को यहाँ चर्च में ‘येसु दा लंगर’, कढ़ी चावल परोसा जाता है। लेकिन क्रिसमस और नए साल पर परोसा जाने वाला लंगर, सबसे
बढ़िया होता है।”(छायाकार – संस्कृति तलवार)

बिना जाति, वर्ग या धर्म देखे, सभी को ‘लंगर’ (निःशुल्क भोजन) की अवधारणा सैंकड़ों साल पहले, सिख धर्म के प्रवर्तक गुरू नानक द्वारा की गई थी। लंगर में लोग एक साथ फर्श पर बराबरी से बैठते हैं और खाना खाते हैं। पादरी कैप्टन सलामत मसीहा (35) कहते हैं – “यह भगवान के नाम पर परोसा जाने वाला भोजन
है। इसे ‘प्रभु का लंगर’ या ‘खुदा का लंगर’ भी कहा जा सकता है।” (छायाकार – संस्कृति तलवार)

मजीठा कसबे के पास रहने वाले खजान सिंह (53) कहते हैं – “भोजन तैयार करने की यह निस्वार्थ ‘सेवा’ करके मुझे बहुत अच्छा लगता है।” वे अपने दो इंजीनियर बेटों सहित, पाँच लोगों की टीम के साथ चर्च में
लंगर तैयार करने आए थे। खजान का कहना था कि भोजनावली पूरी मंडली से सलाह-मशविरा करने के बाद तय की जाती है। खजान कहते हैं – “हम सुबह 6.30 बजे खाना बनाना शुरू करते हैं। लंगर उत्सव के
अंत में, दोपहर 3.30 बजे परोसा जाता है।” (छायाकार – संस्कृति तलवार)

चर्च के लंगर के साथ-साथ, कई स्थानीय लोग बीरबलपुरा गांव से गुज़रने वाली क्रिसमस परेड के लोगों को
संतरे और केले के साथ-साथ घर का बना खाना और मिठाइयाँ भी देते हैं। जब वे गुज़रते हैं, सड़कों और छतों पर देखने के लिए ज़्यादा से ज़्यादा ग्रामीण बाहर निकल आते हैं। बहुत से लोग अपने फ़ोन पर जश्न को रिकॉर्ड करते हैं, कुछ हाथ हिलाते हैं और दूसरे खुशी से मुस्कुराते हैं। (छायाकार – संस्कृति तलवार)

अंत में, चर्च के परिसर में स्पीकरों पर बज रहे गीतों पर सभी नृत्य करते हैं, जैसे कि ‘येसु दा हैप्पी बर्थडे, बड़े चाव से मनाते हैं और हम येसु के बन्दे हैं, आजाद परिंदे हैं, नफ़रत के बदले हम, प्यार ही देते हैं।
(छायाकार – संस्कृति तलवार)

पंजाब में अमृतसर के गाँव बीरबलपुरा के चर्च परिसर में स्वयंसेवी महिलाएँ लोगों को लंगर परोसती दिखाई गई हैं (छायाकार – संस्कृति तलवार)

संस्कृति तलवार एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो जेंडर, मानवाधिकार और स्थिरता के बारे में लिखती हैं। वह यूथ हब, विलेज स्क्वेयर में ‘ग्रामीण मीडिया फेलो 2022’ हैं।