मणिपुर के लोक-रॉक बैंड ने पकड़ा सही सुर
उखरुल का एक स्वदेशी संगीत बैंड ‘फेदरहेड्स हाओकुई’, अपने लोक-रॉक संगीत के माध्यम से तांगखुल नागा समुदाय की अनूठी संस्कृति और मौखिक परम्पराओं को बढ़ावा देता है।
उखरुल का एक स्वदेशी संगीत बैंड ‘फेदरहेड्स हाओकुई’, अपने लोक-रॉक संगीत के माध्यम से तांगखुल नागा समुदाय की अनूठी संस्कृति और मौखिक परम्पराओं को बढ़ावा देता है।
“आप कौन हैं और आपकी जड़ें कहां हैं?”
इस साधारण प्रश्न ने ऑगस्टीन होर्चुइंगम को अपनी जड़ों की खोज करने के लिए प्रेरित किया और इसकी शुरुआत 2012 में मुंबई में आयोजित लॅक्मे फैशन वीक से हुई।
ऑगस्टीन अपने दोस्त आसा काजिंगमेई की मदद कर रहे थे, जो नई पीढ़ी के एक डिजाइनर के रूप में लॅक्मे फैशन वीक में अपनी रचना ‘इम्मोर्टल’ का प्रदर्शन कर रहे थे। आसा के डिज़ाइन उनकी तांगखुल जनजाति की शानदार शॉल स्कर्ट से प्रेरित थी, जो भारत के उत्तर पूर्व में मणिपुर के उखरुल और कामजोंग जिलों और म्यांमार के सोमरा क्षेत्र में रहने वाली एक नागा जनजाति है।
अपने दोस्त के डिजाइन की थीम के साथ तालमेल बिठाने के लिए, ऑगस्टीन ने टॉमहॉक जैसे दिखने वाले तांगखुल नागा हेअरकट, ‘हाओ कुइरेट’ पहना था और अपने सिर को पंखों से सजाया था। रैंप पर आसा की रचना से प्रभावित होकर और ऑगस्टीन के अनोखे हेयर स्टाइल और टोप से प्रभावित होकर, शो में मौजूद लोग उनकी संस्कृति के बारे में जानने के लिए उत्सुक थे।
ऑगस्टीन को यह देखकर हैरानी हुई कि वह उस संस्कृति और परम्पराओं के प्रति कितने अनजान थे, जिसने उसके समुदाय की यात्रा को आकार दिया था और जिसे कभी बाहरी दुनिया सिर काटने के लिए कुख्यात असभ्य लोगों से कम नहीं समझती थी।
पश्चिमी शिक्षा और ईसाई धर्म पहली बार 1896 में ईसाई मिशनरी विलियम पेटीग्रू के माध्यम से उनके कबीले में पहुँचा और यह पश्चिमी मानकों के आधार पर आचरण और नैतिक शुद्धि को अपने साथ लाया। एक ऐसे कबीले के लिए, जिसके पास अपनी कोई लिखित ऐतिहासिक लिपि नहीं थी, एक नई संस्कृति में आत्मसात होने से उन मौखिक परम्पराओं को बहुत बड़ा झटका लगा, जो उनके जीवन और उत्पत्ति के बारे में एकमात्र विवरण था। इसके कारण तांगखुल नागाओं के लोकाचार को कई अपरिवर्तनीय नुकसान हुए और ऑगस्टीन उस भूलने की बीमारी का सामना कर रहे थे।
उखरुल में जन्मे लेकिन नगालैंड के दीमापुर में पले-बढ़े, ऑगस्टीन का अपनी जड़ों से एकमात्र जुड़ाव उन लोकगीतों और लोककथाओं से था, जो उनकी दादी ने बचपन में गाए और सुनाए थे। एक ऐसी पीढ़ी का हिस्सा होने के नाते, जो अतीत की कथित पुरानी परम्पराओं के प्रति कुछ हद तक मोहभंग की स्थिति में थी, ऑगस्टीन तब हैरान रह गए, जब उनसे महानगर मुंबई में उनकी जड़ों के बारे में पूछा गया।
उस दिन को याद करते हुए ऑगस्टीन मानते हैं – “तब मुझे एहसास हुआ कि मैं अपनी जड़ों के बारे में कितना कम जानता था। यह विडंबना थी कि दुनिया के दूसरे छोर से किसी ने मुझे मेरी संस्कृति और जड़ों के महत्व का एहसास कराया। यह मेरे लिए एक बोध जैसा था और मैंने समझ लिया था कि मुझे अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए कुछ करना होगा।”
बॉम्बे यात्रा के चार साल बाद, ऑगस्टीन ने 2016 में तांगखुल नागा जनजाति की संस्कृति और मौखिक परम्पराओं को सुरक्षित रखने और बढ़ावा देने के उद्देश्य से बैंड ‘फेदरहेड्स हाओकुई’ की स्थापना की। बैंड सप्ताह के दिनों में अपने जाम सत्रों के लिए मिलते थे और रविवार की सुबह चर्चों में प्रदर्शन करते थे। लोगों को मंच पर उनके द्वारा प्रस्तुत माहौल बहुत पसंद आया और वे चर्च के बाहर के कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने के लिए उनसे संपर्क करने लगे।
शुरू में, ऑगस्टाइन बैंड के एकमात्र गायक थे और बैंड की एक महिला लीड की तलाश 2017 में चोन शिमरे की भर्ती होने पर तलाश समाप्त हुई। ऑगस्टाइन और चोन में केमिस्ट्री मंच से आगे तक गई और वे जल्द ही दंपत्ति बन गए।
ऑगस्टीन, जिनके अब चोन के साथ दो सुंदर बच्चे हैं, भावुकता से कहते हैं – “वह मेरे और बैंड के लिए वरदान साबित हुई है।”
देश भर में महोत्सवों में संगीत प्रदर्शन के साथ बैंड की लोकप्रियता तब तक बढ़ी, जब उन्होंने 2019 में थाईलैंड के बैंकाक में ‘पूर्वोत्तर भारत महोत्सव’ में अपनी अंतरराष्ट्रीय शुरुआत की। लेकिन जैसे-जैसे उनकी लोकप्रियता बढ़ी, वैसे-वैसे इस बात की पड़ताल भी होने लगी कि वे तांगखुल संस्कृति को कैसे चित्रित कर रहे थे।
ऑगस्टीन ने बैंड की संगीत शैली के बारे में बात करते हुए कहा – “हमारा उद्देश्य युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति से परिचित कराना है और हम जो लोकगीत गाते हैं, उनमें रॉक तत्व का भी समावेश होता है। युवा पीढ़ी इसे पसंद करती है, लेकिन हमें रूढ़िवादी पुरानी पीढ़ी के कुछ वर्गों से कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा है, जो परम्पराओं को ऐसी चीज़ मानते हैं, जिसे बदला नहीं जा सकता।”
जब उनसे पूछा गया कि क्या इससे बैंड को कोई नुकसान पहुँचा है, तो ऑगस्टीन ने संयमित तरीके से जवाब दिया – “मेरा मानना है कि संस्कृति कोई स्थिर चीज नहीं है, हम हमेशा इसमें कुछ जोड़ते रहते हैं। और जब तक हम अपनी संस्कृति का दुरुपयोग नहीं करते, तब तक मेरा विवेक साफ है। नकारात्मक लोग हमेशा होते हैं।”
बैंड के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अपने गाए ज्यादातर खूबसूरत लोकगीतों को रिकॉर्ड नहीं कर पाते हैं। बहुत से लोकगीत विशेष मौसम से जुड़े होते हैं और केवल मौसम के अनुसार ही गाए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए, फसल के बारे में लोकगीत केवल फसल के मौसम में ही गाया जा सकता है। वैसे भी इन गानों को रिकॉर्ड करना और उन्हें प्रदर्शित करना प्रथा के नियमों को तोड़ना होगा।
खेद के साथ वह कहते हैं – “हमारी एकमात्र आशा यह है कि हमारे शो में इन गीतों को गाने से इसे बढ़ावा मिल सकेगा।”
पिछले कुछ सालों में तांगखुल नागा युवाओं की अपनी जड़ों के प्रति रुचि में बहुत बड़ा बदलाव देखा गया है, जिसका श्रेय बैंड के प्रदर्शनों और संगीत वीडियो में जनजाति की परम्परा और संस्कृति के समृद्ध चित्रण को जाता है। बैंड के संगीत ने अन्य समुदायों और देशों के लोगों को भी तांगखुल नागा संस्कृति में रुचि लेने में मदद की है।
और हालांकि ऑगस्टीन इस बदलाव का श्रेय लेने में बहुत विनम्र हैं, फिर भी वे इस तथ्य पर अपनी प्रसन्नता नहीं छिपा पाते कि बैंड का अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने का उद्देश्य सफल हो रहा है, और उनका मानना है कि अभी उन्हें और अधिक काम करना है।
उन्होंने विलेज स्क्वेयर को बताया – “हमने अपनी संस्कृति को बढ़ावा देने को अपना कर्तव्य मान लिया है और समाज से मिले सहयोग ने हमें और प्रोत्साहित किया है। अब हमें लगता है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने काम को जारी रखें, ताकि हमारी संस्कृति और परम्पराएँ जीवित रहें।”
लोकगीतों के अलावा, बैंड अपनी जीवंत मंच प्रस्तुतियों और मूल गीतों के लिए जाना जाता है, जिनमें सांस्कृतिक और पर्यावरण सम्बन्धी संदेश अंतर्निहित होते हैं। ऑगस्टीन को उम्मीद है कि बैंड के गीत श्रोताओं, तांगखुल या किसी और के लिए रोटी के टुकड़ों की तरह काम कर सकते हैं, जो उन्हें उनकी जड़ों की ओर वापस ले जा सकते हैं।
बैंड ने हाल ही में Spotify पर एक EP जारी किया है, जिसमें YouTube पर जारी एकल ‘हाओनाओ’ का संगीत वीडियो शामिल है। ‘फ़ेदरहेड्स हाओकुई’ इस समय देश भर के विभिन्न समारोहों में प्रदर्शन करता है, जिसमें सालाना लगभग 15-20 शो होते हैं।
मुख्य फोटो में ‘फेदरहेड्स हाओकुई’ बैंड को ‘जस्ट हैंगआउट 2.0 म्यूजिक फेस्टिवल’ में अपनी प्रस्तुति के बाद प्रशंसकों के साथ दिखाया गया है (फोटो – जस्ट हैंगआउट 2.0 के सौजन्य से)
वोर्नगाचन ए शत्संग मणिपुर के उखरुल में रहने वाले एक स्वतंत्र पत्रकार हैं। वह फुटबॉल, ग्रामीण जीवन, खेती और पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर लिखते हैं। वे विलेज स्क्वेयर के ‘यूथ हब’ में ‘रूरल मीडिया फेलो 2022’ हैं।
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