मणिपुर के छिपे रत्न खोजें 

मणिपुर

यह पूर्वोत्तर राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें जरूर देखना चाहिए।

यदि आप छुट्टियों में मणिपुर की यात्रा के लिए कोई कारण ढूंढ रहे हैं, तो “रत्नों की भूमि” में आपको कई कारण मिलेंगे।

बरेल पर्वतमाला के हरे-भरे, स्वास्थ्यप्रद पहाड़, कल-कल करती नदियाँ और झरने, हरी-भरी घाटी – यदि आप उन्हें समय दें, तो ये छिपे हुए रत्न थोड़ा-थोड़ा, अप्रत्याशित तरीके से खुद को प्रकट करते हैं।

और निश्चित रूप से वहां के लोग और उनकी समृद्ध संस्कृति भी देखने लायक है।

उदहारण के लिए, रास-लीला की सुखदायक, लहराती हुई हरकतें, ‘सागोल कांगजेई’ के दिल की धड़कन बढ़ाने वाले स्थानीय पोलो खेल के बाद आपकी नसों को शांत कर देंगी, एक खेल जो 3100 ईसा पूर्व के आसपास मणिपुर में शुरू हुआ था।

यह पूर्वोत्तर राज्य पर्यटन मानचित्र पर एक अनछुए क्षेत्र के रूप में जाना जाता है, लेकिन हाल के वर्षों में यह पर्यटन के लिए एक पसंदीदा स्थान बन गया है।

इसके छिपे हुए आनंद को खोजने की कुंजी है – धीमे हो जाइये। माहौल का आनंद लें।

लोकतक झील के किनारे

‘लोकतक’ दक्षिण एशिया की सबसे बड़ी मीठे पानी की झील है, जो 287 वर्ग किलोमीटर में फैली हुई है। यह राजधानी इम्फाल से लगभग 31 किलोमीटर दूर, बिष्णुपुर जिले के मोइरांग शहर के करीब है। ‘लोकतक’ एक मिश्रित शब्द है। स्थानीय मैतेई भाषा में ‘लोक’ का मतलब धारा होता है और तक का मतलब आखिर होता है। एक धारा के आखिर में। 

मणिपुर की मीठे पानी की झील का एक सुंदर दृश्य, जिसमें बिंदु जैसे तैरते हुए द्वीप हैं (छायाकार – गुरविंदर सिंह)

यह कोई साधारण झील भी नहीं है।

यह ‘फुमदी’ नामक तैरते द्वीपों से युक्त है, जो असल में विषम वनस्पतियों, विघटित कार्बनिक पदार्थों और मिट्टी का एक समूह है। देश-विदेश से हज़ारों पर्यटक सूर्योदय और सूर्यास्त को देखने के लिए झील पर आते हैं, जब तिरछी किरणें पानी में जड़ाऊ कालीन की तरह चमकती हैं। 

झील तक पहुंचने का सबसे अच्छा तरीका हवाई मार्ग है। सबसे नजदीक इम्फाल का बीर टिकेंद्रजीत अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा है। इम्फाल के लिए कोई सीधा रेल संपर्क नहीं है और निकटतम रेलवे स्टेशन नागालैंड के दीमापुर में है, जो इम्फाल से लगभग 150 कि.मी. दूर है।

और यात्रा के लिए सबसे अच्छा समय अब है।

लोकतक में एक गार्ड, निंगथौजन गीतेन कहते हैं – “सर्दियाँ सबसे अच्छा समय है, अक्टूबर से मार्च तक। पर्यावरण संबंधी कारणों से सरकार ने फुमदियों पर तैरते हुए घरों को हटा दिया है। लेकिन पर्यटक झील के किनारे के रिसॉर्ट में रह सकते हैं, या इम्फाल में होटलों में ठहर सकते हैं और एक दिन की यात्रा कर सकते हैं। वे झील के किनारे के भोजनालयों में स्थानीय व्यंजनों का आनंद ले सकते हैं।” 

नेताजी और इसका इतिहास

लोकतक से करीब 2 किलोमीटर दूर, उनींदा क़स्बा मोइरांग, भारत के स्वतंत्रता संग्राम के गौरवशाली इतिहास में अपना नाम दर्ज कराता है। यहीं पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) ने अंग्रेजों को हराकर पहली प्रांतीय सरकार बनाई थी और 14 अप्रैल 1944 को तिरंगा फहराया था।

मणिपुर में संग्रहालय और निर्मित ढांचे स्वतंत्रता सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के संघर्ष को दर्शाती है (छायाकार – गुरविंदर सिंह)

एक शताब्दी पुरानी जर्जर, टिन की छत वाली इमारत पर हो सकता है अब ध्यान न जाए, लेकिन यह आईएनए मुख्यालय था।

इसके बगल में एक भव्य संरचना बनाई गई है तथा पास में एक संग्रहालय भी है।

संग्रहालय के गैलरी अटेंडेंट एनडी सिंह ने बताया – “इस संग्रहालय में नेताजी और आईएनए के सदस्यों द्वारा इस्तेमाल की गई ज़्यादातर चीज़ें मौजूद हैं। इसमें नेताजी के यात्रा दस्तावेज़ भी हैं, जो जर्मनी से सिंगापुर पहुँचने के लिए तीन महीने से ज़्यादा समय तक पनडुब्बी में सवार रहे थे।”

संगाई को ढूंढें

लोकतक से 9.3 कि.मी. दूर, केबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान देखे बिना मोइरांग की यात्रा पूरी नहीं होती।.

यह लुप्तप्राय भौंह-मृग हिरण, संगाई का घर है।

मणिपुर के खूबसूरत संगाई हिरण को केबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान में आसानी से देखा जा सकता है (फोटो – किसोर मीतेई, ‘शटरस्टॉक’ के सौजन्य से)

पार्क के एक कर्मचारी ने बताया – “1951 में बेतहाशा शिकार के कारण यह प्रजाति विलुप्त हो गई थी। लेकिन 1953 में पर्यावरणविद् और फोटोग्राफर ई.पी. गी ने इस प्रजाति को फिर से खोज निकाला। इसके बाद इस जानवर के संरक्षण के लिए इसे रिजर्व पार्क घोषित कर दिया गया।”

“जंगल में संगाई की सही संख्या का पता लगाने के लिए अभी तक कोई नई जनगणना नहीं हुई है। लेकिन 2016 में यह लगभग 260 थी। इसके अलावा, पार्क में 500 हॉग हिरण और 600 जंगली सूअर भी हैं। पहले रोज 200 से ज़्यादा पर्यटक आते थे, लेकिन कोविड के बाद संख्या में गिरावट आई है।”

संगाई को देखने के लिए सबसे अच्छी जगह जंगल के बीच में एक ऊँची कंक्रीट की बालकनी है। यहाँ किसी वाहन की अनुमति नहीं है और न ही उपलब्ध कराया जाता है। लगभग 1.4 कि.मी. की पैदल यात्रा ही एकमात्र विकल्प है। मज़बूत जूते पहनना ज़रूरी है।

इमा बाज़ार को न भूलें

आपकी मणिपुर की यात्रा सूची में ‘इमा कीथेल’ ज़रूर शामिल होना चाहिए – “माँ का बाज़ार” या सभी बाज़ारों की माँ, जिसे 3,000 से ज़्यादा सिर्फ महिलाएँ चलाती हैं। यह 500 साल पुराना है और एशिया का सबसे बड़ा महिला बाज़ार है।

महिलाओं का प्रसिद्ध ‘इमा मार्केट’, जहां देशी जड़ी-बूटियां, सब्जियाँ, फल, हथकरघा और हस्तशिल्प से लेकर हर चीज बिकती है (छायाकार – गुरविंदर सिंह)

यह एक भूलभुलैया जैसा बाज़ार है, जहां विक्रेता एक दूसरे से सटकर बैठते हैं और हर वो चीज़ बेचते हैं, जिसकी एक परिवार को ज़रूरत होती है। इम्फाल शहर के बीचों-बीच स्थित यह बाज़ार रविवार को छोड़कर हफ़्ते में छह दिन खुला रहता है।

शीर्ष पर मुख्य फोटो में केबुल लामजाओ राष्ट्रीय उद्यान का सुन्दर दृश्य दिखाया गया है (छायाकार – गुरविंदर सिंह)

गुरविंदर सिंह कोलकाता स्थित पत्रकार हैं।