फोटो निबंध: नानकमत्ता के मौसमी मछुआरे
हवा के टकराने से टूटती अस्थायी झोपड़ियों में रहने से लेकर मच्छरों से जूझने तक, उत्तराखंड के नानकसागर बांध पर डेरा डाले एक मौसमी मछुआरे का जीवन कठिन है। लेकिन चुनौतियों के साथ कुछ ईनाम भी मिलते हैं।
हवा के टकराने से टूटती अस्थायी झोपड़ियों में रहने से लेकर मच्छरों से जूझने तक, उत्तराखंड के नानकसागर बांध पर डेरा डाले एक मौसमी मछुआरे का जीवन कठिन है। लेकिन चुनौतियों के साथ कुछ ईनाम भी मिलते हैं।
प्रदीप साना (45) अपने 20 मछुआरे दोस्तों के साथ, हर साल गर्मियों में उत्तराखंड के नानकसागर बांध के पास सूखी जमीन पर मछली पकड़ने के लिए नानकमत्ता आते हैं। प्रदीप कहते हैं – “मैं अपने घर से 30 किलोमीटर दूर सिर्फ़ मछली पकड़ने आया हूँ। यहाँ बहुत सारे मच्छरों के बीच और बिना रोशनी या बिजली के रहना बहुत मुश्किल है। हमें रात में रोशनी के लिए अपनी बाइक की बैटरी का इस्तेमाल करना पड़ता है।” (छायाकार – प्रकाश चंद)
वे अपनी अस्थाई झोंपड़ियाँ बनाने के लिए, बांध के आस-पास से बाँस, लकड़ी और पुआल इकट्ठा करते हैं। इसे बनाने में उन्हें सिर्फ़ एक दिन लगता है, लेकिन ये झोपड़ियाँ तेज़ हवा और बारिश से सुरक्षित नहीं रहती हैं। (छायाकार – प्रकाश चंद)
प्रवासी मछुआरे ज्यादा से ज्यादा मछलियाँ पकड़ने के लिए, विभिन्न तरीकों का उपयोग करते हैं – जलाशयों में बड़े जाल लगाने से लेकर, उन क्षेत्रों में बाँध बनाने तक जहाँ पानी की गति तेज़ होती है, जो छोटी मछलियों को पकड़ने के लिए उपयोगी होती है। (छायाकार – प्रकाश चंद)
मछली पकड़ने में मदद के लिए यांत्रिक उपकरणों का उपयोग सबसे प्रभावी है। जनरेटर के साथ, एक तरफ पानी छोड़ा जाता है, जिससे मछलियाँ रह गए कीचड़ में फंस जाती हैं और इसलिए उन्हें पकड़ना ज्यादा आसान होता है। इससे उन्हें ज़्यादा से ज़्यादा मछलियाँ पकड़ने और ज्यादा कमाई करने में मदद मिलती है। (छायाकार – प्रकाश चंद)
प्रदीप कहते हैं – “हमारा जीवन संघर्ष से भरा है। यहां आते ही, हमें जनरेटर, ईंधन, जाल और अन्य जरूरी चीजों पर 70-80 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। और फिर हमारा ठेकेदार कभी-कभी 10 से 15 दिन बाद तक भुगतान नहीं करता है।” (छायाकार – प्रकाश चंद)
मौसमी मछली पकड़ने के इस काम में जीवन कठिन है। लेकिन पुरुषों को रोमांच और उपलब्धि का अहसास भी होता है, क्योंकि वे अपने परिवार के लिए आजीविका कमाते हैं। प्रदीप कहते हैं – “मछलियाँ हर जगह हैं, लेकिन नानकमत्ता में हमें जो मज़ा आता है, वह कुछ और ही है।” (छायाकार – प्रकाश चंद)
मुख्य फोटो में नानकमत्ता में पकड़ी गई मछलियाँ दिखाई गई हैं (छायाकार – प्रकाश चंद)
प्रकाश चंद नानकमत्ता पब्लिक स्कूल (उत्तराखंड) में ग्यारहवीं कक्षा में पढ़ते हैं।
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