कोविड-19 के खिलाफ जंग में झारखंड की ढ़ाल बने सखी मंडल

झारखण्ड

आपदा की घड़ी में हर मोर्चे पर लोहा लेती झारखंड के सखी मंडल की महिलाएँ

कोविड-19 संक्रमण के इस दौर में हालात डराने वाले हो रहे हैं| गांव-शहर, सब मास्क के भीतर सिमटते जा रहे हैं। सोशल डिस्टेंसिंग समाज का नया सच बन गया है, जिससे लोग अब दूरियां बनाने लगे हैं। मुसीबत की इस घड़ी में सरकारें कोरोना वायरस से सुरक्षा को लेकर, जी-जान से जुटी हैं| एक तरह से सभी अपने हौसलों से मिलजुल कर इस अंधेरे को छांटने की कोशिश में जुटे हैं।

झारखंड जैसे छोटे एवं सीमित संसाधन वाले राज्य के लिए भी हालात असामान्य हैं। लाखों मजदूर अपने गांव की ओर रुख कर चुके हैं और लगातार पहुंच रहे हैं। ऐसे में देश के हर वर्ग को आगे आकर अपनी भूमिका निभाने की जरूरत है।

अवसर के अनुसार पहल

इन विपरीत स्थितियों में देश भर के स्वयं सहायता समूह (सखी मंडल/एसएचजी) की महिलाएं लगातार सरकार दे रही हैं और इमरजेंसी सेवाओं में अपनी भूमिका सुनिश्चित कर रही हैं। वे समाज के अंतिम व्यक्ति एवं नि:शक्त वर्ग तक तुरंत राहत पहुंचाने के लिए सरकार को महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान कर रही हैं।

डीएवाई एनआरएलएम के अंतर्गत, पूरे देश में 62 लाख स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से 6.8 करोड़ ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं। आपदा की इस घड़ी में सरकार सुदूर गांवों के अंतिम व्यक्ति तक अपनी पहुंच बना सके, इसके लिए आज स्वयं सहायता समूह की महिलाओं से बेहतर विकल्प नहीं है।

झारखंड ने कोविड-19 के खिलाफ जंग में सखी मंडल की प्रभावी भागीदारी सुनिश्चित करके और उन्हें कोरोना वॉरियर्स के रुप में पहचान देकर, देश को रास्ता दिखाने का कार्य किया है। सखी मंडल की प्रेरित एवं प्रतिबद्ध महिलाएं, ग्रामीण इलाके में सामुदायिक स्तर पर आर्थिक एवं सामाजिक जरुरतों को पूरा कर रही हैं। ये महिलाएं अपनी नियमित आजीविका गतिविधियों के अतिरिक्त, जागरुकता फैलाकर सरकारी योजनाओं का का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर रही हैं। 

भोजन की आपूर्ति

सखी मंडल की महिलाओं के द्वारा पूरे देश में 12,374 सामुदायिक किचन का संचालन किया जा रहा है। इनमें अकेले झारखंड राज्य में, सखी मंडलों के माध्यम से 6700 से ज्यादा ‘मुख्यमंत्री दीदी किचन’ संचालित किए जा रहे हैं। सखी मंडल की करीब 30 हजार महिलाओं ने इसमें लॉकडाउन-2 तक निशुल्क योगदान दिया| अभी भी वे मात्र 500 रुपये प्रतिदिन सेवा शुल्क पर अपनी सेवाएं प्रदान कर रही हैं।

सखी मंडल की दीदियाँ लगभग दो करोड़ लोगों को भोजन प्रदान कर चुकी हैं (फोटो – कुमार विश्वास)

राज्य के हर पंचायत क्षेत्र में, असहाय, लाचार, दिव्यांग एवं मजदूरों को खाना उपलब्ध कराया जा रहा है। मुख्यमंत्री दीदी किचन के जरिए अब तक करीब 2 करोड़ थालियां परोसी जा चुकी हैं| इस तरह, राज्य के दूरदराज इलाकों तक दीदी किचन की पहुंच सुनिश्चित हुई और ‘कोई भी भूखा न रहे’ के मूल लक्ष्य को प्राप्त किया जा सका।

झारखंड के 2.40 लाख सखी मंडल से करीब 31 लाख ग्रामीण महिलाएं जुड़ी हैं| इस नेटवर्क का उपयोग जिला प्रशासन एवं सरकार के द्वारा दूरस्थ इलाकों तक सामाजिक दूरी, व्यक्तिगत स्वच्छता समेत अन्य जागरूकता संदेशों के प्रसार के लिए भी किया जा रहा है। सुदूर गांव पंचायत के स्तर पर लोग पंचायत प्रतिनिधियों से ज्यादा, इन दीदियों से कार्य ले रहे हैं| 

मास्क, सैनिटाइज़र, पीपीई की आपूर्ति

आजीविका मिशन की ये दीदियां गांव में बाहर से आए लोगों की स्वास्थ्य जांच में सहयोग और क्वारंटीन किए गए लोगों की जानकारी स्थानीय प्रशासन को उपलब्ध कराने का काम भी कर रही हैं। रामगढ़ जिले के पतरातु समेत, कई पंचायतों में गांव को सैनिटाइज करने का कार्य भी सखी मंडल कर रही है।

ग्रामीण महिलाओं के इन संगठनों द्वारा आज हर जिले में मास्क, सैनिटाइजर एवं अन्य जरुरत की चीजों का उत्पादन किया जा रहा है, ताकि ये महत्वपूर्ण वस्तुएं कम कीमत पर लोगों के लिए उपलब्ध रहें। झारखंड में सखी मंडलों ने अब तक करीब 14 लाख मास्क और 5 लाख सैशे-सैनिटाइजर के अलावा फ्रंटलाइन वर्कर्स के लिए 10 हजार से ज्यादा प्रोटेक्टीव किट एवं फेसवाइजर्स तैयार किए हैं। 

रांची के प्रोडक्शन कम ट्रेनिंग सेंटर में काम कर रही, देवी दुर्गा महिला समिति की बबीता देवी बताती हैं – “हमे इस बात की ख़ुशी है कि कोरोना वायरस से जंग में हम अपना योगदान दे पा रहें हैं| हम सभी सखी मंडल की बहनें मिलकर कोरोना वारियर्स के लिए सुरक्षा गियर्स, जैसे मास्क, फेसवाइज़र, पी.पी.ई. किट आदि का निर्माण कर रहें हैं| प्रत्येक दीदी हर रोज़ 200-250 मास्क का निर्माण कर लेती हैं|”

राज्य के खूंटी जिले में अनिगड़ा ग्रामीण सेवा केंद्र की महिलाओं द्वारा तुलसी व लेमनग्रास युक्त अनूठे सैनीटाईजर का निर्माण किया जा रहा है| इन महिलाओं के द्वारा अब तक 44,000 सैनीटाईजर बोतल का निर्माण किया जा चूका है| (फोटो – कुमार विश्वास)

वहीं रांची के रातू ब्लाक के चटकपुर गाँव की आरती देवी कहती हैं – “सुरक्षा गियर्स के निर्माण के माध्यम से जहाँ एक तरफ हम कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ रहे स्वास्थ्य-कर्मियों आदि तक अपनी मदद पहुँचातें हैं, वहीँ दूसरी तरफ इस मुश्किल समय में हमे भी आमदनी का एक माध्यम मिला है| प्रत्येक मास्क एवं फेस वाइज़र के उत्पादन के लिए हमें 3 रूपए प्राप्त होते हैं, वहीँ पी.पी.ई किट के लिए 70 रूपए प्राप्त हो जाते हैं|”

होम डिलीवरी और बैंकिंग सुविधाएं

आपदा को अवसर में बदलते हुए, सखी मंडल की महिलाओं ने सब्जी उत्पादों को आजीविका फार्म फ्रेश मोबाइल एप्प के जरिए, सीधे होम डिलीवरी की सुविधा शुरू की है| अब तक करीब 1500 लोगों को होम डीलिवरी की जा चुकी है। इस मोबाइल एप्प के निर्माण में झारखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की महत्वपूर्ण भूमिका है।  

कोविड-19 संक्रमण की इस घड़ी में, गांव में बैंकिंग सुविधाएं पहुंचाने के लिए 1463 बी.सी. (बैंकिंग कॉरेस्पान्डेंट) सखी लगातार जुटी हैं। लॉकडाउन के समय में अब तक करीब 8 लाख लोगों ने इनसे बैंकिंग सेवाएं ली है, जिसमें करीब 125 करोड़ का लेन-देन हुआ है।

जागरूकता अभियान

कई जिला प्रशासनों ने कोरोनावायरस की इस मुश्किल लड़ाई में, सखी मंडल की महिलाओं से राहत सामग्री की पैकिंग के लिए बैग के निर्माण, क्वारंटीन सेंटर्स में खान-पान की जिम्मेदारी, ग्रामीण इलाकों में कोरोना के लक्षण वाले लोगों की पहचान एवं नुक्कड़ नाटक एवं जागरुकता संदेश का कार्य भी कराया जा रहा है।

हर मोर्चे पर सेवाएं दे रही सखी मंडल की बहनें, राज्य में पीवीटीजी डाकिया योजना के अंतर्गत ‘टेक होम राशन’ आंगनबाडी तक पहुंचाने का कार्य भी कर रही हैं। सखी मंडल की महिलाओं ने दीदी हेल्पलाइन के माध्यम से दूसरे राज्यों में फंसे लोगों की परेशानियों को भी सरकार तक पहुंचा कर एक अनूठी पहल की है। यहीं नहीं सखी मंडल एवं इनके ग्राम संगठन, आवश्यकतानुसार गांव के लाचार एवं अतिजरुरतमंदों  को सामाजिक एवं आर्थिक सहयोग भी करते हैं। वहीं अपने कौशल का इस्तेमाल करके जरूरी वस्तुओं का उत्पादन भी करती हैं।  

कल तक चार दिवारी  के भीतर अपनी जिंदगी काटने वाली ये महिलाएं, आज अपने गांव के आर्थिक एवं सामाजिक विकास की धुरी बन चुकी हैं। ये महिलाएं आज हर जरुरत को पूरा करते हुए, संक्रमण काल में अपने राज्य की ढ़ाल बनकर खड़ी हैं और हर कदम पर नई उम्मीदों को पंख देकर आसमां छू रही हैं। और यह केवल शुरुआत है|

कुमार विकास एक पूर्व पत्रकार हैं, वर्तमान में JSLPS मे कार्यक्रम प्रबंधकसंचार एवं मीडिया  है।  विचार व्यक्तिगत हैं|