‘यूथ हब’ – विलेज स्क्वेयर में नई गूँज
‘विलेज स्क्वेयर’ ने उत्साह के साथ अपनी नई ‘यूथ हब पहल’ शुरू की है - बेहतर भारत के निर्माण के लिए, भारत के शहरी और ग्रामीण युवाओं को विचारों के संवाद, जांच और सक्रियता के लिए एक मंच।
‘विलेज स्क्वेयर’ ने उत्साह के साथ अपनी नई ‘यूथ हब पहल’ शुरू की है - बेहतर भारत के निर्माण के लिए, भारत के शहरी और ग्रामीण युवाओं को विचारों के संवाद, जांच और सक्रियता के लिए एक मंच।
भारत में युवा ही हैं, जो मुद्दों को उठाने में सबसे आगे हैं, चाहे वह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे हों, सामाजिक असमानताओं के हों या मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे हों। वे उस दुनिया को बदलने की दिशा में अपनी आवाज उठाने के लिए सामने और केंद्र में रहना चाहते हैं, जिसमें उनका सबसे अधिक दांव पर लगा है।
यही कारण है कि विलेज स्क्वेयर “यूथ हब” कार्यक्रम शुरू कर रहा है – एक ऐसा मंच, जहां भारत के शहरी युवा ग्रामीण युवाओं के साथ, समाज में हाशिये पर रहने वाले लोगों के मुद्दों पर विचार-विमर्श कर सकें और एक बेहतर भारत बनाने में सहयोग के लिए विचारवान व्यक्तियों को सुन सकें।
युवा पीढ़ी की खास बात यह है कि वे वास्तव में इस बदलाव के लिए व्यक्तिगत शक्ति में विश्वास करते हैं।
उनके पास पिछली पीढ़ियों के मुकाबले ज्यादा धन और औपचारिक शिक्षा के ज्यादा वर्ष भी हैं। मलाला के सबसे कम उम्र की नोबेल पुरस्कार विजेता बनने से लेकर, ‘अर्थशॉट पुरस्कार’ की अंतिम चक्र में पहुँचने वाली विनीशा उमाशंकर तक, युवा वैश्विक नेताओं का ध्यान उन मुद्दों पर ला रहे हैं, जो उनके लिए मायने रखते हैं और दुनिया को उतना प्रभावित कर रहे हैं, जितना पहले कभी नहीं हुआ।
परिवर्तन लाने वालों को दिशा-बद्ध करना
डिलॉयट द्वारा हाल ही में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, 25 से 40 वर्ष (Millennials) और 10 से 25 वर्ष (Gen Z) आयु वर्ग के युवाओं से असमानताओं को दूर करना और स्वयं और दूसरों को जवाबदेह ठहराने के लिए, अपनी ऊर्जा का उपयोग करना ज्यादा संभावित है। विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म भी इसे देखते हैं और युवा लोगों को अपनी अभिव्यक्ति के लिए मंच प्रदान करते हैं, बिना उन नियमों की बाधाओं के, जो तय करते हैं कि कौन बोलेगा और कौन सुनेगा।
क्या हम भारत के युवाओं के विचारों और ऊर्जा को, भारत के हाशिए पर रहने वाले लोगों के बारे में और उनके साथ, रचनात्मक जुड़ाव में लगा सकते हैं?
संभावित रूप से, ऐसे दो स्थान हैं, जिनसे शहरी भारत के युवा जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। पहला है उनकी कक्षाएं और पाठ्यक्रम। हालांकि भारतीय पाठ्यक्रम में जुड़ाव के लिए अनेक प्रकार के विषय हैं, लेकिन यह बात संदेहपूर्ण है कि इनमें से कितने असल में कक्षाओं तक पहुँचते हैं। दूसरा स्थान ऑनलाइन है।
भले ही इंटरनेट के सक्रिय ग्रामीण उपयोगकर्ताओं की संख्या शहरी लोगों के मुकाबले 3 गुणा तेजी से बढ़ रही हो, लेकिन हमें इस बात पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है कि क्या ग्रामीण और शहरी उपयोगकर्ता एक दूसरे के साथ जुड़ते हैं या नहीं।
संपर्क के मौजूदा अवसरों के साथ, यह जरूरी है कि ऐसे नए स्थान बनें, जहां शहरी युवाओं को, कम दिखाई देने वाले स्थानों के अपने भाइयों और बहनों की हिमायत और सहयोग के लिए प्रोत्साहन मिले।
भारत के युवा कार्यकर्ताओं के लिए नए स्थान बनाना
‘विलेज स्क्वेयर’ एकीकृत अनुसंधान और संचार का एक मंच है, जो विशेष रूप से युवा, शहरी लोगों को हमारे गांवों के बारे में एक समृद्ध समझ विकसित करने में मदद करता है।
हमारा विश्वास है कि जब हम लंबे समय से चली आ रही धारणाओं और सामाजिक मान्यताओं को चुनौती देते हैं, तो हम नए मानदंड स्थापित कर सकते हैं और एक अधिक न्यायसंगत, रहने योग्य दुनिया की कल्पना में मदद कर सकते हैं।
यही कारण है कि विलेज स्क्वेयर, विभिन्न क्षेत्रों में फैले विचारवान लोगों, पत्रकारों, प्रतिष्ठित युवाओं, कई सामाजिक संगठनों और विकास कार्यकर्ताओं को एक साथ ला रहा है, जो ग्रामीण भारत के महत्वपूर्ण मुद्दों में रुचि रखते हैं और लगे हुए हैं।
हम युवाओं के लिए उनके दृष्टिकोण को पोषित करने और उन्हें ग्रामीण भारत की कुछ जटिलताओं और बारीकियों से परिचित कराने के अवसरों का आयोजन करेंगे। इस डिजिटल मंच के अलावा, इन अवसरों में शामिल हैं:
‘विलेज वाइब स्पेसेस’: आयोजित स्थानों और प्रदर्शनियों की एक श्रृंखला, जो ग्रामीण भारत को इस तरह से प्रस्तुत करती है, ताकि उसके प्रति सोच एक वीरान और निःसहाय की बजाय संभावनाओं और विकास की बने। हाल ही में इस “विलेज वाइब” (गाँव का माहौल) की प्रस्तुति के लिए एक फोटो प्रतियोगिता शुरू की गई थी।
‘भारत युवा संवाद – परिवर्तन बनें (भारत युथ डायलॉग-बी द चेंज): ऐसे मंचों के आयोजन की कमी है, जो युवा शहरी भारत को, ग्रामीण भारत को प्रभावित करने वाले असंख्य मुद्दों से रूबरू होने में मदद करें। ‘भारत डायलॉग्स’ हाशिए पर रहने वाले लोगों के मुद्दों के लिए, बुद्धिमान और उत्साही युवा दिमाग की शक्ति का उपयोग करना चाहते हैं। हम शहरी क्षेत्रों में अनुभवी कार्यकर्ताओं और युवा प्रभावशाली लोगों के साथ संवाद की एक श्रृंखला तैयार करेंगे, जिसमें ग्रामीण मुद्दों और विचारों पर प्रकाश डाला जाएगा कि शहरी युवा उनके साथ कैसे जुड़ सकते हैं।
कैंपस एंबेसडर प्रोग्राम: कॉलेजों के मौजूदा छात्रों का एक नेटवर्क, जो अपने-अपने कॉलेजों में अपने साथियों के बीच संवाद और कार्यक्रमों का संचालन करेंगे और इस तरह एक बेहतर ग्रामीण भारत के लिए भूमिका अदा करेंगे।
फेलोशिप प्रोग्राम: दीर्घकालिक (इमर्सिव) फेलोशिप की एक श्रृंखला, जो शहरी युवाओं को गाँवों के नजदीक लाएगी और पत्रकारिता, थिएटर, फोटोग्राफी और कला सहित, कथा-वाचन के प्रारूप में ग्रामीण मुद्दों को दर्शाने के अवसर प्रदान करेगी।
इंटर्नशिप कार्यक्रम: एक संरचित अल्पकालिक पेशेवर जिम्मेदारी उन युवाओं के लिए, जो ग्रामीण मुद्दों में रुचि रखते हैं और लगे हुए हैं और ग्रामीण विकास क्षेत्र में करियर बनाने की इच्छा रखते हैं।
लिंडी प्रिकिट ‘विलेज स्क्वेयर’ की निदेशक हैं।
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