Author: अभिजीत मोहंती
कभी एक गौरव रहा मलकानगिरि टट्टू, जीवित रहने के लिए संघर्ष कर रहा है
ओडिशा की मुख्य भूमि से कटा, ‘स्वाभिमान आँचल’ का भीतरी इलाका सदियों से सामान और लोगों को ढोने के लिए घोड़ों पर निर्भर था, लेकिन आधुनिक सड़कों ने इन जानवरों को हाशिए पर धकेल दिया है।
व्यंजन-सूची में मछली: उलटे प्रवास, कुपोषण और ओडिशा के आदिवासियों की कहानी
ओडिशा में मल्कानगिरि के युवा आदिवासियों ने घर पर ही लाभदायक आजीविका मिलने से, काम की तलाश में होने वाले प्रवास को छोड़ दिया, जिससे मछली उत्पादन को बढ़ावा देने और कुपोषण से लड़ने में मदद मिली है।
देसी मुर्गों से हुआ ओडिशा की आदिवासी महिलाओं का सशक्तिकरण
दक्षिणी ओडिशा के मलकानगिरी जिले में, आदिवासी महिलाएं अपने परिवार की आय बढ़ाने और अपने परिवार के लिए बेहतर पोषण सुनिश्चित करने के लिए, खुला-फार्म विधि से स्थानीय नस्लों के मुर्गे पाल रही हैं।
मछली उनकी थाली में, और पैसा उनके बटुए में
ओडिशा के पिछड़े जिले, मयूरभंज में महिलाएं लगातार मछली पालन करती हैं, जिससे न सिर्फ उनको पैसा मिलता है, बल्कि उनके परिवार के लिए बेहतर पोषण भी सुनिश्चित होता है।