Author: हिरेन कुमार बोस
भारत के ‘पुष्प ग्राम’ निकमवाड़ी में खिलते हैं पैसे
किसानों ने गेंदा एवं गुलदाउदी की ज्यादा रंगीन तथा लाभदायक फसलों के लिए, अत्यधिक पानी की जरूरत वाली गन्ने की खेती को लगभग छोड़ दिया है, जिससे उन्हें सालाना लगभग 10 लाख रुपये की आय होती है।
वर्षा जल संचयन: कैसे एक सूखाग्रस्त गाँव वर्षा जल को संचित कर समृद्ध हो रहा है
छह साल पहले, सूखा प्रभावित होट्टल के किसान अपनी आजीविका कमाने के लिए शहरों की ओर पलायन करते थे। लेकिन वर्षा जल संचयन की बदौलत, भूमिगत जलश्रोत भर गए हैं और अब वे साल में तीन जैविक फसलें उगा रहे हैं।
मधुमक्खी पालन से छत्तीसगढ़ की जनजातियों ने चखा सफलता का स्वाद
वन उपज, वर्षा आधारित कृषि और जंगल के शहद पर निर्भर, दंतेवाड़ा के खनन क्षेत्र में हाशिये पर जीवन जीने वाली स्थानीय जनजातियों ने आधुनिक मधुमक्खी पालन को सफलतापूर्वक अपना लिया है।
‘शानदार अंजीर’: पुणे के पश्चिमी घाट के अंजीर की मांग अधिक क्यों?
चाहे ताजा हों या जैम के रूप में हों, पुणे की पहाड़ियों के पुरंदर के बागों के अंजीर, अमरूद, कस्टर्ड सेब के लिए शहरों और विदेशों में ग्राहक मौजूद हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है।