Author: हिरेन कुमार बोस
कृषि-उद्यमिता: एक कप लेमनग्रास चाय में प्रेरक पारिवारिक कहानी
पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर ‘साईबाबा गावती चाय सेंटर’ की हस्ताक्षर चाय अपने मालिक की मामूली नौकरी करने वाले लड़के से लेकर सफल कृषि-उद्यमी तक की कहानी कहता है।
ग्रामीण अर्थव्यवस्था: आराम और इतिहास को सिलती कर्नाटक रजाई
आमतौर पर एक अतिरिक्त प्रयास के रूप में देखी जाने वाली, कर्नाटक की रजाई बनाने वाली कुशल महिलाएं, कपड़े के रंगीन टुकड़ों को खूबसूरत ‘पैबंद रजाई’ (पैचवर्क रजाई) में बदल कर अपनी विरासत को जीवित रखती हैं और अच्छा पैसा भी कमाती हैं।
देशी बीजों के संरक्षण के लिए छोड़ी कॉर्पोरेट नौकरी
प्रकृति की विविधता और संरक्षणवादियों के काम से अभिभूत, सौम्या बालासुब्रमण्यम के मन में एक विचार पैदा हुआ, जिसने उन्हें अपनी आईटी नौकरी छोड़ने और स्थानीय किसानों के साथ बीज संरक्षण समूह बनाने की चुनौतीपूर्ण भूमिका अपनाने के लिए मजबूर कर दिया।
स्क्रॉल के माध्यम से कहानी कहने की कला को कायम रखता पटुआ समुदाय
स्क्रॉल (लपेटा जा सकने वाली पेंटिंग) और गीतों के माध्यम से, कहानी कहने की पटुआ कला विभिन्न रूपांतरों में फल-फूल रही है, जिससे इस कला ने दुनिया के नक़्शे पर जगह बना ली है।