Author: संजना कौशिक
‘उल्टा दहेज – सशक्तिकरण या अधीनता?
हालांकि बरेला आदिवासियों द्वारा "दुल्हन मूल्य" यानि उल्टा दहेज देकर महिलाओं से शादी करने की प्रथा महिलाओं को सशक्त बनाने वाली प्रतीत होती है, लेकिन एक विकास कार्यकर्ता को लगता है कि यह असल में दुल्हनों को "खरीदना" है।
जब शादी का उपहार, भारी ब्याज वाला ऋण बन जाए
विकास पेशेवर संजना कौशिक को पता चलता है कि कभी उदारता और एकता की एक सुंदर संस्कृति, ‘नोत्रा’ परम्परा, जिसमें भील जनजाति में हर कोई शादियों की मेजबानी में मदद करता था, कैसे पैसे उधार देने का एक दुष्चक्र बन गया है।