Author: संजीव फंसालकर

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खरपतवार युद्ध – घुसपैठिए पौधे समाधान

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बेहद आक्रामक पौधों की प्रजातियां, भारत के वनों और जैव विविधता को नष्ट कर रही हैं। श्रीधर अनंत और संजीव फणसळकर इस मुद्दे की व्यापकता के बारे में लिखते हैं और संभावित समाधानों पर चर्चा करते हैं।

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हाथी और मधुमक्खी: क्या मेघालय और त्रिपुरा के लिए कुछ सबक हैं?

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मधु मक्खियों, हाथियों और रबड़ के बागानों से बना एक वातावरण, आदिवासी परिवारों को अतिरिक्त आय कमाने में सक्षम बना रहा है। यहां के. शिवामुथुप्रकाश और संजीव फणसळकर उस आकर्षक परियोजना का वर्णन करते हैं, जो इस वातावरण की सुविधा प्रदान करती है।

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गाय के मूत्राशय से

जैसा विकास अण्वेष फाउंडेशन के संजीव फणसळकर ने करीब से देखा, गाय के मल मूत्र के अक्लमंदी से इस्तेमाल पर आधारित प्राकृतिक खेती, आंध्र प्रदेश में जीवन बदल रही है।

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भारत में टिकाऊ खेती की संभावनाओं का अभाव

हालांकि सरकार टिकाऊ कृषि की दिशा में छोटे-छोटे कदम उठा रही है, लेकिन भारत के कृषि कार्यबल से लेकर इसकी राजनीतिक अर्थव्यवस्था तक की कुछ चुनौतियाँ हैं, जिन्हें समझने और उनसे निपटने की जरूरत है।