Author: संजीव फंसालकर
ग्रामीण भारत में हैंडलूम क्या केवल गरीबी बुनने में सक्षम हैं?
हमें इस बात पर विचार करने की जरूरत है, कि जो कभी ख़ुशियाँ, संस्कृति और आय बुनता था, वो हैंडलूम (हथकरघा) क्यों आज केवल गरीबी बुनता है? यदि कुछेक बाहरी तत्वों को छोड़ दें, तो यह क्यों हमारे ग्रामीण लोगों की आजीविका को बनाए रखने में असमर्थ है?
केवल उपेक्षित भारत गाँवों में रहता है!
महात्मा गांधी के जन्मदिवस के अवसर पर, ग्रामीण भारत पर एक नज़र डालने पर पता चलता है कि हम उनके ‘आत्मनिर्भर गाँव’ के आदर्शों से बहुत पीछे रह गए हैं। इसका एक कारण आधुनिक समय में बदली हुई आकांक्षाएँ हैं।
पारंपरिक फड़ सिंचाई व्यवस्था के चैंपियन को श्रद्धांजलि
महाराष्ट्र की एक पारम्परिक सिंचाई प्रबंधन व्यवस्था, फड़, अस्त-व्यस्त हो गई। एक विकास कर्मी सुनील पोते ने इसे पुनर्जीवित किया, जिससे अनेक किसान अपनी भूमि की सिंचाई कर सके और उनकी आय में वृद्धि हुई
कॉकरोचों और डिजिटल स्वास्थ्य दस्तावेजों के लिए
भले ही डिजिटल स्वास्थ्य नीति और स्वास्थ्य दस्तावेजों का प्रस्तावित डिजिटल-करण कागज पर अच्छा दिखता हो, लेकिन इसके प्रभावी होने के लिए, बुनियादी ग्रामीण स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं को का ठीक काम करना जरूरी है