Author: शारदा बालासुब्रमण्यन
सामाजिक, आर्थिक चुनौतियों का सामना करते नेगामाम के बुनकर
तमिलनाडु की प्रसिद्ध नेगामाम सूती साड़ियों के पारम्परिक हथकरघा बुनकरों की संख्या घट रही है, क्योंकि वे बदलते सामाजिक मानदंडों और सस्ते उत्पादों की आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं।
संदेश फैलाने के लिए कठपुतली-शक्ति का उपयोग
थोल पावई कूथु, तमिलनाडु की चमड़े से बनी कठपुतली की पुरानी लेकिन लुप्त होती परम्परा, छोटे जानवरों की घटती संख्या और संरक्षण के महत्व के बारे में जागरूकता लाते हुए, खुद को फिर से स्थापित कर रही है।
कुरुम्बा कला को जीवित रखना
‘अला कुरुम्बा’ जनजातियों को कला के प्रति रुझान अपने पूर्वजों से विरासत में मिला, जो रोजमर्रा की जिंदगी शैलचित्रों (रॉक पेंटिंग) के रूप में व्यक्त करते थे। लेकिन जब ऐसे गिने-चुने कलाकार ही बचे हैं, वे इस सांस्कृतिक अभिव्यक्ति को जीवित रखने के लिए बेताब हैं।
सामुदायिक कॉलेज, आदिवासी महिलाओं को व्यावसायिक शिक्षा पाने में मदद करता है
दूरदराज के गांवों की युवा आदिवासी महिलाएं, एक नजदीकी कॉलेज से अपने समय-सुविधानुसार, अपनी आजीविका के लिए व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रही हैं