पर्यावरण
वर्षा जल संचयन: कैसे एक सूखाग्रस्त गाँव वर्षा जल को संचित कर समृद्ध हो रहा है
छह साल पहले, सूखा प्रभावित होट्टल के किसान अपनी आजीविका कमाने के लिए शहरों की ओर पलायन करते थे। लेकिन वर्षा जल संचयन की बदौलत, भूमिगत जलश्रोत भर गए हैं और अब वे साल में तीन जैविक फसलें उगा रहे हैं।
बीज बमबारी करने वाले पर्यावरण-गुरिल्ला ने छेड़ा ग्रामीण ओडिशा के हरित आवरण के लिए युद्ध
प्रकृति प्रेमियों के परिवार में पले-बढ़े पत्रकार और डॉक्यूमेंट्री-मेकर शुभ्रांशु सत्पथी को पर्यावरण में गिरावट हमेशा परेशान करती थी। अब स्व-प्रशिक्षित पर्यावरणविद एक प्राचीन जापानी तकनीक से ग्रामीण ओडिशा की हरियाली बढ़ाने के मिशन पर हैं।
मणिपुर के किसानों को जल संकट से निपटने में सहायक किफायती जलकुंड
जलवायु-प्रेरित अनियमित वर्षा से कृषि प्रभावित होने के कारण, मणिपुर के किसान किफायती जल संचय संरचनाओं, ‘जलकुंडों’ की ओर रुख करते हैं, जो सिंचाई की जरूरतों से आगे हैं और उनकी आय को दोगुना करती हैं।
जलवायु परिवर्तन और बाढ़ के कारण बढ़ता असम में मिट्टी का कटाव
तेज़ होते मानसून और गहराते मिट्टी के कटाव के कारण, असम भारत के जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक बनता जा रहा है, जिससे इस प्रक्रिया में खाद्य उत्पादन और आजीविका को नुकसान पहुँच रहा है।