विशेष
आर्थिक लोकतंत्र के बारे में महात्मा गांधी की अवधारणा से सबक
ग्राम स्वराज पर महात्मा गांधी की सोच और रचनात्मक स्थानीयकरण के माध्यम से आर्थिक लोकतंत्र पर उनके विचार, ग्रामीण समाज और अर्थव्यवस्था के सतत विकास का अधिक जीवंत मॉडल तैयार के लिए, नया लॉन्च पैड साबित हो सकते हैं।
मध्यप्रदेश के किसान लैंटाना के हमले से निपटने के लिए हुए एकजुट
भारत की 4% भूमि पर कब्ज़ा कर चुकी घुसपैठिया प्रजाति, लैंटाना से अपनी भूमि को छुटकारा दिलाने के लिए पूर्वी मध्य प्रदेश के गांव एक साथ आ गए, और बाजरे और तिलहन की खेती करके, अपने खेतों को बहाल कर लिया
असम की महिलाएं फली-फूली, मूल्य-वर्द्धित उद्यान-उत्पादों से
अपने आंगन में उगाए ताजे फल और सब्जियों से बने, मूल्य-वर्द्धित उत्पादों की आपूर्ति करके, असम के नागांव जिले के गांवों की महिलाएं आर्थिक रूप से स्वतंत्र हुई
लॉकडाउन सम्बन्धी आर्थिक राहत प्राप्त करने में, ‘बैंक सखियों’ ने की ग्रामीणों की मदद
जिन गाँवों में बैंकिंग सुविधाओं का अभाव है, वहां बैंक के प्रतिनिधियों के रूप में, बैंकिंग अभिकर्ता संबंधित कार्य करते हैं। लाभार्थियों तक लॉकडाउन कल्याण सहायता पहुँचाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है