क्षेत्र पत्रिका
कहानी पवन चक्कियों और महिलाओं की
पवन चक्की संयंत्र आमतौर पर अक्षय ऊर्जा का एक लाभकारी स्रोत होते हैं। लेकिन क्या होता है, जब वे प्राचीन आदिवासी भूमि से हो कर गुजरते हुए, आजीविका और पहचान के खो जाने का डर पैदा करते हैं? ‘इंडिया फेलो’, अनीश मोहन पता लगाते हैं।
खरपतवार युद्ध – घुसपैठिए पौधे समाधान
बेहद आक्रामक पौधों की प्रजातियां, भारत के वनों और जैव विविधता को नष्ट कर रही हैं। श्रीधर अनंत और संजीव फणसळकर इस मुद्दे की व्यापकता के बारे में लिखते हैं और संभावित समाधानों पर चर्चा करते हैं।
हाथी और मधुमक्खी: क्या मेघालय और त्रिपुरा के लिए कुछ सबक हैं?
मधु मक्खियों, हाथियों और रबड़ के बागानों से बना एक वातावरण, आदिवासी परिवारों को अतिरिक्त आय कमाने में सक्षम बना रहा है। यहां के. शिवामुथुप्रकाश और संजीव फणसळकर उस आकर्षक परियोजना का वर्णन करते हैं, जो इस वातावरण की सुविधा प्रदान करती है।
गाय के मूत्राशय से
जैसा विकास अण्वेष फाउंडेशन के संजीव फणसळकर ने करीब से देखा, गाय के मल मूत्र के अक्लमंदी से इस्तेमाल पर आधारित प्राकृतिक खेती, आंध्र प्रदेश में जीवन बदल रही है।