आजीविका
ग्रामीण महिला किसान वित्तीय स्वतंत्रता की ओर अग्रसर
स्वयं सहायता समूहों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा प्रोत्साहन से, जो महिलाएं कभी बिना पुरुष के घर से बाहर नहीं निकलती थी, वे अब खेती से अच्छी आजीविका और काफी सम्मान अर्जित कर रही हैं।
भारत के ‘पुष्प ग्राम’ निकमवाड़ी में खिलते हैं पैसे
किसानों ने गेंदा एवं गुलदाउदी की ज्यादा रंगीन तथा लाभदायक फसलों के लिए, अत्यधिक पानी की जरूरत वाली गन्ने की खेती को लगभग छोड़ दिया है, जिससे उन्हें सालाना लगभग 10 लाख रुपये की आय होती है।
महाराष्ट्र के सूखाग्रस्त गाँव में, मोती की खेती से आया धन
सूखा प्रभावित मराठवाड़ा में फसल उगाना बेहद मुश्किल है, लेकिन मोती की खेती किसानों के लिए आय का एक वैकल्पिक और व्यवहार्य स्रोत बन गई है।
मणिपुर में बांस की घटती आपूर्ति से कारीगरों को नुकसान
शहरीकरण एक अन्य प्राचीन उद्योग, बाँस कारीगरी को लील रहा है, क्योंकि विशाल निर्माण कार्यों का मतलब न सिर्फ बाँस की मात्रा कम होना है, बल्कि मचान बनाने वालों की ओर से बाँस की मांग बढ़ना गुरविंदर सिंहभी है।