विशेष लेख
किशोरी बालिकाओं में बढता कुपोषण: स्वस्थ भारत के अस्वस्थ युवाओ की कहानी बताता हुआ
कोरोना महामारी के इस दौर में ऐसी बहुत सी बीमारियां हैं, जो मानव जीवन को धीरे धीरे अपना शिकार बना रही हैं। महामारी के दौर में ऐसी समस्याओं पर सरकार एवं समाज का ध्यान कम ही जा रहा है| ऐसी ही एक व्यापक समस्या कुपोषण को है, जो युवाओं विशेषकर किशोरी बालिकाओं में काफी पाया जा रहा है। ऐसी ही परिस्थिति राजस्थान के ग्रामीण अंचलो में धीरे धीरे बढती जा रही है| इसके लिए सामाजिक रीती-रिवाज़ एवं जागरुकता की कमी के साथ साथ सरकारी कार्यक्रमों की पहुँच जिम्मेदार है|
मछली पकड़ने का अधिकार, जीने की लड़ाई
“हमारी नाव ज़ब्त क्यों की जाती है और हमें पेट पर लात क्यों मारा जाता है?”
गोमूत्र एवं मानव-मल: आस्था, लोककथाएँ और विज्ञान
जबकि चमत्कारी सामग्री के रूप में गोमूत्र पर लोकगीतों की एक झलक है, अन्य मवेशियों और मनुष्यों का अपशिष्ट, जो भरोसेमंद संसाधन भी हैं, उन्हें प्रभावकारिता के लिए जाँचना चाहिए
मौसम की अनिश्चितताओं से निपटने के लिए, बिहार के किसान मखाना उगाते हैं
जलवायु-प्रभाव से चरम मौसम की मार से, मक्का और धान की पारम्परिक फसलों को बार बार नुकसान होने के कारण, किसानों ने अधिक सहनशील और अपने पोषण-मूल्य के लिए प्रसिद्ध, मखाना पैदा करना शुरू कर दिया है।