आजीविका
लौट कर आए प्रवासियों ने आजीविका के लिए अपनाई तस्करी
भारत - बांग्लादेश सीमा के नजदीक पश्चिम बंगाल के गाँवों में, लॉकडाउन के दौरान घर वापस आए प्रवासियों को आर्थिक सहारे के लालच में तस्करी में डाल दिया गया है
ग्रामीण भारत में हैंडलूम क्या केवल गरीबी बुनने में सक्षम हैं?
हमें इस बात पर विचार करने की जरूरत है, कि जो कभी ख़ुशियाँ, संस्कृति और आय बुनता था, वो हैंडलूम (हथकरघा) क्यों आज केवल गरीबी बुनता है? यदि कुछेक बाहरी तत्वों को छोड़ दें, तो यह क्यों हमारे ग्रामीण लोगों की आजीविका को बनाए रखने में असमर्थ है?
लंबाणी कशीदाकारी ने बनाई, फैशन की एक पहचान
कर्नाटक के लंबाणी आदिवासी समुदाय की विशिष्ट कसुति केल्सा (एक तरह की कढ़ाई) से सजी आधुनिक पोशाकों ने पारम्परिक शिल्प को जीवित रखने और फलने-फूलने में स्थानीय महिलाओं की मदद की है
लॉकडाउन से, खानाबदोश (घुमन्तु) चरवाहों के रास्तों में आई, नई कठिनाइयाँ
ग्रीष्मकालीन चरागाहों की ओर प्रवास और संयोगवश पहले लॉकडाउन के उसी समय होने और आवाजाही पर भारी प्रतिबंधों के कारण, चरवाहों को भेदभाव के अलावा, चरागाहों, पानी और चारे का अभाव झेलना पड़ा