शिक्षा
अपने मजबूत इरादों के साथ, शीला देवी जुडी हैं, गरीब आदिवासी बच्चों के भविष्य को बेहतर बनाने में।
एक अनौपचारिक शिक्षिका, जिसने समाज में अपनी पहचान बनाने और गरीब आदिवासी बच्चों को शिक्षा का बेहतर विकल्प देने की कोशिश की| उनकी इस कोशिश में बाधाएं तो बहुत सारी आई पर इनके मजबूत इरादों के सामने टिक ना पाई। अपनी प्रतिबद्धता के साथ आज शीला देवी अपने गांव के कई बच्चों को पढ़ा रही हैं।
लॉकडाउन दूरदराज के आदिवासी छात्रों की शैक्षणिक सीख को पलट देगा
दूरदराज के गांवों में रहने वाले पहली पीढ़ी के छात्रों के लिए, सरकार द्वारा कार्यान्वित लॉकडाउन के दौरान, घर पर रह कर पढ़ाई के लिए ऑनलाइन और सामुदायिक संसाधनों की कमी है। इस समय के नुकसान की भरपाई के लिए उन्हें दोबारा वही पढ़ाई करने की ज़रूरत होगी|
अविकसित क्षेत्रों के विकास की बाधा – कुशल पेशेवरों का अभाव!
भारत के बेहद अविकसित मध्य और पूर्वी पहाड़ी आदिवासी क्षेत्रों में सेवाएँ प्रदान करने वाले अध्यापक और स्वास्थ्य-कर्मियों जैसे जमीनी-स्तर के कुशल पेशेवर बहुत कम हैं। यह एक ऐसी समस्या है, जिसका कोई आसान समाधान भी नहीं है।
बाल पंचायतों ने गांव प्रमुखों को, सेवाओं में सुधार के लिए प्रेरित किया
जीवन और सामाजिक सुरक्षा के अपने अधिकारों के प्रति जागरूक, बाल पंचायतों के स्कूली छात्रों ने ग्रामीण प्रशासकों को अपने गांवों के विकास के लिए आवश्यक, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने के लिए मजबूर कर दिया