यह विलेज स्क्वायर की 2016 में शुरुआत से, 2021 में पुनः लॉन्च होने तक की जेंडर-संबंधित अंतर्दृष्टिपूर्ण कहानियों का एक संग्रह है। जेंडर से सम्बंधित हाल की कहानियों के लिए “उसका जीवन” अनुभाग देखें।
जेंडर
वंचित बच्चों को विश्वविद्यालय जाने में मदद
कर्नाटक में आजीवन सामाजिक कार्यकर्ता के नेतृत्व में, जुनूनी, सेवानिवृत पेशेवरों के एक छोटे समूह ने हाशिये पर रह रहे प्रतिभाशाली बच्चों को ढूंढ कर उन्हें पढ़ा रहा है। उनका लक्ष्य पचास बच्चों को आईआईटी में प्रवेश दिलाना है।
एथलिट से गांव की नेता बनी आदिवासी लड़की
गांव के लोगों के द्वारा पंचायत का मुखिया बनाए जाने तक, भाग्यश्री लेकामी का ध्यान खेल के पेशे में आने पर था। श्रमिकों का विश्वास जीतने से लेकर टीके के प्रति झिझक दूर करने तक, अब वह यह सुनिश्चित करने की कोशिश करती हैं कि उनके गांव की प्रगति हो।
नई संसद के लिए बने प्रसिद्ध कश्मीरी कालीन
प्रसिद्ध कश्मीरी कालीन भारत के नए संसद भवन के लिए विशेष रूप से बनाए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र के मशहूर हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।
खेत-समृद्धि को गति देता एक बस ड्राइवर
मिलिए एक बस ड्राइवर अमोल कदम से, जो अपने गांव में खेती में मदद कर रहे हैं।
आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के काम पर न आने के खतरे
आंगनवाड़ी में बच्चों की देखभाल करने वाली कार्यकर्ता गाँव का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है, जो ग्रामीण बच्चों के स्वास्थ्य और विकास को सुनिश्चित करती है। एक युवा विकास पेशेवर ने देखा कि कई महीनों तक कर्मचारी के उपस्थित नहीं होने के परिणाम क्या होते हैं।
देशी बीजों के संरक्षण के लिए छोड़ी कॉर्पोरेट नौकरी
प्रकृति की विविधता और संरक्षणवादियों के काम से अभिभूत, सौम्या बालासुब्रमण्यम के मन में एक विचार पैदा हुआ, जिसने उन्हें अपनी आईटी नौकरी छोड़ने और स्थानीय किसानों के साथ बीज संरक्षण समूह बनाने की चुनौतीपूर्ण भूमिका अपनाने के लिए मजबूर कर दिया।
स्क्रॉल के माध्यम से कहानी कहने की कला को कायम रखता पटुआ समुदाय
स्क्रॉल (लपेटा जा सकने वाली पेंटिंग) और गीतों के माध्यम से, कहानी कहने की पटुआ कला विभिन्न रूपांतरों में फल-फूल रही है, जिससे इस कला ने दुनिया के नक़्शे पर जगह बना ली है।
एक शिक्षक और कुछ अलग उनका ग्रामीण स्कूल
इस युवा विकास पेशेवर का कहना है कि वकील से शिक्षक बने व्यक्ति जैसे लोग, जो ग्रामीण बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करते है और ग्रामीण विकास के लिए काम करते हैं, समाज की प्रगति के लिए प्रेरणा हैं।
असम में कांस्य की आग बुझ रही है
कच्चे माल की बढ़ती कीमतों के साथ-साथ, महामारी और दूसरे राज्यों से मिलने वाली सख्त प्रतिस्पर्धा के कारण, असम के सार्थेबारी के प्राचीन पीतल और कांस्य (बेल मेटल) उद्योग को झटका लग रहा है।