जेंडर

यह विलेज स्क्वायर की 2016 में शुरुआत से, 2021 में पुनः लॉन्च होने तक की जेंडर-संबंधित अंतर्दृष्टिपूर्ण कहानियों का एक संग्रह है। जेंडर से सम्बंधित हाल की कहानियों के लिए “उसका जीवन” अनुभाग देखें।

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बारिश और हाथियों के कारण किसानों की लॉकडाउन चुनौतियाँ बढ़ी

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लगातार होने वाली बारिश और जंगली हाथियों ने तरबूज को नुकसान पहुंचाया, जिसे किसान लॉकडाउन में बेच नहीं सके। संगठनों ने सोशल मीडिया के माध्यम से उन्हें खरीदारों तक पहुंचने में मदद की

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लैंगिक समानता सुनिश्चित करने के लिए सहायक नीतियों का होना आवश्यक है

महामारी ने महिलाओं के सामने आने वाली बहुत सी बाधाओं को और भी बढ़ा दिया है। लैंगिक समावेश सुनिश्चित करने के लिए, जेंडर-विशिष्ट नीतियों और कार्यान्वयन में जवाबदेही की आवश्यकता है

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प्रतिबद्ध प्रयासों से बनेंगे प्रगतिशील गाँव

जोश के साथ, मिलकर काम करके, विकास संगठन और सरकारें ग्रामीण भारत में व्याप्त चुनौतियों से निपट सकती हैं और सकारात्मक बदलाव ला सकती है

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कश्मीर का आलू बुखारा, किसानों के लिए अब उतना अच्छा नहीं रहा

कई वर्षों से बढ़ती हुई उत्पादन लागत और स्थिर बिक्री मूल्य के कारण, किसानों को आलू बुखारा उगाना आर्थिक रूप से अव्यवहारिक लगता है। वे बेहतर कीमत के लिए नए बाजार तलाशने की उम्मीद करते हैं।

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ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम ने टनों कार्बन को प्रच्छादित (पृथक्करण) किया

गरीबी उन्मूलन योजना, मनरेगा ने लाखों लोगों के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की है, विशेषकर महामारी के दौरान। योजना के माध्यम से बनाई गई प्राकृतिक संपत्ति, कार्बन को नियंत्रित करने में मदद करती है।

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झारखंड का सामूहिक विवाह समारोह

जनजातीय समुदाय न केवल बड़े समारोह के लिए सामूहिक विवाह उत्सव आयोजित करते हैं, बल्कि लंबे समय से चले आ रहे संबंधों को वैधता प्रदान करने, महिलाओं और बच्चों को कानूनी मान्यता सुनिश्चित करने के लिए भी।

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मुहर्रम का मातम – ग्रामीण तरीके से

जब डिजिटल माध्यम से आमंत्रण एक रिवाज बन गया है, क्या आप जानते हैं कि घर-घर जाकर मौखिक आमंत्रण की प्राचीन परम्परा अब भी जारी है? यही एकमात्र रिवाज नहीं है, जो यूपी के गांवों को अलग करता है

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विलेज स्क्वायर की संकल्पना और शुरूआत

अनीश कुमार, ट्रांसफॉर्म रूरल इंडिया फाउंडेशन के सह-प्रमुख और विलेज स्क्वायर इंसेप्शन टीम के सदस्य है | अनिश कहते हैं कि विलेज स्क्वायर भारत के संस्थापकों से प्रेरणा लेकर शहरी और ग्रामीण भारत के बीच की खाई को पाटने के उद्देश्य से संकल्पित किया गया है|

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डिजिटल दुनिया में महात्मा का सपना

क्या गांधी का आत्मनिर्भर गांवों का विचार आज काम कर सकता है? ग्रामवासी प्रौद्योगिकी का उपयोग करके अपने प्राकृतिक घरेलू उत्पादों के लिए बाजार खोज सकते हैं