यह विलेज स्क्वायर की 2016 में शुरुआत से, 2021 में पुनः लॉन्च होने तक की जेंडर-संबंधित अंतर्दृष्टिपूर्ण कहानियों का एक संग्रह है। जेंडर से सम्बंधित हाल की कहानियों के लिए “उसका जीवन” अनुभाग देखें।
जेंडर
गाँव की लड़कियों ने माहवारी से जुड़े डर और शर्म से पाई मुक्ति
खेल और कहानियों के प्रयोग से, माहवारी सम्बन्धी वहम दूर करने वाली स्वास्थ्य पहल के माध्यम से, ग्रामीण झारखंड में स्कूली लड़कियां माहवारी-सम्बन्धी स्वास्थ्य और पोषण के महत्व के बारे में सीख रही हैं
गरीबी के विरुद्ध सबसे मजबूत उपाय है, जल नियंत्रण
जब एक बार हम यह समझ लेते हैं कि एक ही उपाय हर स्थिति में कारगर नहीं होता, तो सरकार और नागरिक समाज संगठनों के लिए, देश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में जल प्रबंधन की स्थिति-अनुसार वैसी रणनीति बनाना आसान होगा, जो सही मायनों में ग्रामीण गरीबों को लाभान्वित कर सके
आजीविका के नुक्सान के चलते भूमिहीन परिवारों को लॉकडाउन का भुगतना पड़ रहा है खामियाजा
भूमिहीन आदिवासी समुदायों के उद्यमी ग्रामवासियों ने आजीविका के दूसरे तरीके अपनाए। लॉकडाउन में ढील के बावजूद, मौजूदा चुनौतियां उन्हें गरीबी की ओर धकेल रही हैं
सुंदरगढ़ की आदिवासी महिलाओं ने जैविक खेती को अपने जीवन को बदलने वाली आर्थिक गतिविधि बना लिया
ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले के आदिवासी समुदायों ने रासायनिक खाद के बिना, खाद्य उत्पादन की परम्परागत पद्यति को पुनर्जीवित किया है और इसमें व्यावहारिक बदलाव करके आर्थिक रूप से लाभदायक बनाया है।
लॉकडाउन के दौरान बच्चे नवाचार-आधारित वीडियो के माध्यम से सीख रहे हैं
मोबाइल फोन पर विशेष रूप से तैयार वीडियो सामग्री प्राप्त करते हुए, शिक्षकों, स्वयंसेवकों और माता-पिता के समन्वित प्रयास से दूरदराज के गांवों में प्राथमिक कक्षाओं के बच्चों को उनके पाठ से जुड़े रहने में मदद मिलती है
ग्रामीण भारत को एक संशोधित एनजीओ क्षेत्र की आवश्यकता है
गैर-सरकारी क्षेत्र में समय की आवश्यकता है, कि सरकार ठीक काम न करने वाले गैर-सरकारी संगठनों (एन.जी.ओ.) पर पारदर्शितापूर्ण नियंत्रण रखे और उन संगठनों एवं उनकी टीमों को सम्मान देते हुए सहयोग प्रदान करे, जो ग्रामीण विकास के लिए सकारात्मक योगदान देते हैं
झारखंड के आदिवासी किसान कृषि-आधारित आय कैसे बढ़ाते हैं
मध्य भारतीय आदिवासी क्षेत्र में, किसानों की आय में टिकाऊ वृद्धि के लिए चल रहे कार्यक्रम - “लखपति किसान”, के माध्यम से किसानों ने कृषि-आधारित विभिन्न आजीविकाओं को सफलतापूर्वक अपनाया है
आदिवासी क्षेत्रों के लिए दूध उत्पादन में बहुत बड़ी संभावनाएं मौजूद हैं
सरकार और विशेषज्ञ एजेंसियों की थोड़ी सी मदद से, मध्य और पूर्वी भारत के आदिवासी लोगों में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा देने से, लाखों को गरीबी से मुक्ति दिलाने की क्षमता है
बहु-आयामी योजना से मिलेगी पूर्वोत्तर में टिकाऊ अर्थव्यवस्था बनाने में मदद
अपनी गत समय की सामाजिक अस्थिरता और आजीविका अवसरों की कमी के कारण विकास में पिछड़ गया। महामारी से क्षेत्र को एक नई अर्थव्यवस्था विकसित करने का अवसर मिला है