Governance

अच्छी शासन पद्धति क्या है? कोई व्यक्ति या समुदाय कितनी अच्छी तरह से मदद प्राप्त कर सकता है या जरूरी बदलाव के लिए कोशिश कर सकता है? कितनी बार सुनवाई होती है? विलेज स्क्वायर उन लोगों और योजनाओं पर प्रकाश डालता है, जो सबसे ज्यादा प्रभाव डालती हैं या सबसे अनोखा समाधान प्रदान करती हैं।

her life

लवणता से निपटने के लिए तटीय किसानों ने अपनाए नवाचार उपाय

तटीय तमिलनाडु के किसान वर्षा जल संचयन और पारम्परिक जैविक खेती के तरीकों को पुनर्जीवित करके, सूखे और भूजल स्तर में गिरावट के कारण होने वाली लवणता का मुकाबला कर रहे हैं।

her life

मराठवाड़ा किसानों ने जलधाराओं का जल एकत्र कर प्राप्त की भरपूर पैदावार

महाराष्ट्र के सूखा संभावित मराठवाड़ा क्षेत्र के किसानों ने, बारिश के जल को जलधाराओं की तालाब जैसे खंडों में जल संग्रहित करके कृषि को लाभकारी बनाया है, जिससे भूजल पुनर्भरण भी हो रहा है।

her life

सामाजिक, आर्थिक चुनौतियों का सामना करते नेगामाम के बुनकर

तमिलनाडु की प्रसिद्ध नेगामाम सूती साड़ियों के पारम्परिक हथकरघा बुनकरों की संख्या घट रही है, क्योंकि वे बदलते सामाजिक मानदंडों और सस्ते उत्पादों की आर्थिक चुनौतियों से जूझ रहे हैं।

her life

अफ्रीकी दौरों से राजस्थानी ग्रामीण महिलाओं ने तोड़े सामाजिक बंधन 

शायद ही अपने राज्य से कभी बाहर गई राजस्थानी महिलाएं, पश्चिम अफ्रीका के माली की यात्रा से सम्मान अर्जित करती हैं और वहां की महिलाओं को स्वयं सहायता समूह के अलावा, रोटी बनाना और साड़ी पहनना सिखाती हैं।

her life

“तुम एक लड़की हो। खेल पोशाक में बाहर कैसे जा सकती हो?”

जल- क्रीड़ाओं के प्रति अपने जुनून के कारण किशोरावस्था के दौरान, रूढ़िवादियों द्वारा ताने और फटकार का सामना करने वाली बिलकिस मीर की माँ के उत्साहवर्धक शब्दों ने उन को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। अब 33-वर्षीय खिलाड़ी न केवल कश्मीर में एक घरेलू नाम और युवा आइकन है, बल्कि एक विश्वसनीय कोच और अंतरराष्ट्रीय जज भी है।

her life

बीज बमबारी करने वाले पर्यावरण-गुरिल्ला ने छेड़ा ग्रामीण ओडिशा के हरित आवरण के लिए युद्ध

प्रकृति प्रेमियों के परिवार में पले-बढ़े पत्रकार और डॉक्यूमेंट्री-मेकर शुभ्रांशु सत्पथी को पर्यावरण में गिरावट हमेशा परेशान करती थी। अब स्व-प्रशिक्षित पर्यावरणविद एक प्राचीन जापानी तकनीक से ग्रामीण ओडिशा की हरियाली बढ़ाने के मिशन पर हैं।

her life

कभी ‘बोझ’ रहा लद्दाख का दो कूबड़ वाला ऊँट, आज बेशकीमती

एक समय बोझ समझे जाने वाला और लद्दाख के दूरदराज के हिस्सों में सिर्फ सामान ढोने के लिए इस्तेमाल होने वाला, दो कूबड़ वाला ऊंट अब इस क्षेत्र के कई परिवारों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है।

her life

आदिवासी माताओं के काम में सहायक शिशुगृह

आदिवासी बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाने और महिलाओं को अपने छोटे बच्चों की चिंता किए बिना वनोपज इकट्ठा करने में मदद करने के लिए, ओडिशा सरकार ने बच्चों के लिए शिशुगृह (क्रेश) शुरू किए हैं।

her life

झारखंड की आदिवासी महिलाओं के प्राकृतिक कप और दोने का कोई खरीदार नहीं

सैकड़ों महिलाएं पर्यावरण-अनुकूल, साल के पत्ते के कप और दांत साफ करने वाली दातून बेचती हैं, लेकिन मुश्किल से 70 रुपये प्रतिदिन कमा पाती हैं। फिर भी, कठिन जीवन के बावजूद उनकी मुस्कुराहट बनी रहती हैं।