ग्रामीण भारत मूल गिग-इकोनॉमी (परियोजना आधारित अर्थव्यवस्था) के मजदूर का घर है। उद्यमी ग्रामीण, खेतों की जुताई से दुकान चलाने, रोज घर-घर जाकर सामान बेचने तक पहुँच जाते हैं। सूक्ष्म-उद्यमों, ग्रामीण स्टार्ट-अप और भारत के ग्रामीणों की बदलती आजीविकाओं के नवीनतम रुझानों के बारे में पढ़ें।
आजीविका
कश्मीर की भुनी हुई मछली की ‘फरी’ कथा
‘फरी’ कश्मीर की धुंए में पकी मछली है, जिसे ठंड के महीनों में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है। जब ताजा भोजन मिलना मुश्किल होता था, तब यह जीवित रहने के लिए प्रयोग होने वाला एक व्यंजन होता था। लेकिन आज यह एक कश्मीरी आरामदायक भोजन और खाने के शौकीनों के लिए एक स्वादिष्ट व्यंजन बन गया है।
तस्वीरों में: एक अप्रत्याशित जगह पर कॉफी की खेती
हम में ज्यादातर ने आंध्र प्रदेश के अराकू, कर्नाटक के कूर्ग और केरल के वायनाड की स्वादिष्ट कॉफी बीन्स के बारे में सुना है, लेकिन क्या आप छत्तीसगढ़ के बस्तर के आदिवासी क्षेत्रों में पैदा होने वाली खुशबूदार कॉफी के बारे में जानते हैं?
मणिपुर के छिपे रत्न खोजें
यह पूर्वोत्तर राज्य अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए जाना जाता है, जहां कई ऐसे स्थान हैं, जिन्हें जरूर देखना चाहिए।
नाटक-दर-नाटक लैंगिक भेदभाव को खत्म करना
नुक्कड़ नाटक बिहार के बांका में आदिवासी महिलाओं के एक समूह को, न केवल लैंगिक भेदभाव और डिजिटल विभाजन के बारे में जागरूकता बढ़ाने में मदद कर रहा है, बल्कि यह वास्तविक बदलाव लाने में भी मदद कर रहा है।
ग्रामीण महिला किसान वित्तीय स्वतंत्रता की ओर अग्रसर
स्वयं सहायता समूहों और गैर सरकारी संगठनों द्वारा प्रोत्साहन से, जो महिलाएं कभी बिना पुरुष के घर से बाहर नहीं निकलती थी, वे अब खेती से अच्छी आजीविका और काफी सम्मान अर्जित कर रही हैं।
इस सर्दी में कश्मीरी नूण चाय के साथ स्वस्थ रहें
कश्मीर की संस्कृति का प्रतीक - नमकीन, गाढ़ी नमक की चाय - वाष्पित दूध में बनाई जाती है और चाय की दुकानों और घरों में गर्मागर्म परोसी जाती है।
अलु कुरुम्बा कला जनजातियों के प्रकृति के साथ संबंध को दर्शाती है
तमिलनाडु के नीलगिरी के सुदूर जंगलों में, एक व्यक्ति सांस्कृतिक बदलाव के प्रभाव के बावजूद ‘अलु कुरुम्बा’ की कला को संरक्षित करने की कोशिश कर रहा है।
कभी सोचती थी बाउल गरीबी लाता है, आज वह अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बाउलिनी है
अपने पिता को जीविका चलाते हुए देखकर रीना दास बाउल किसी बाउल गायक से शादी नहीं करना चाहती थी, क्योंकि उन्हें डर था कि कहीं उन्हें गरीबी में न रहना पड़े। लेकिन उनके पति ने न केवल उन्हें बाउल संगीत सीखने के लिए प्रोत्साहित किया, बल्कि उन्हें अपने साथ प्रस्तुति के लिए भी राजी किया, जिसने अंततः उन्हें अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर पहुँचाया।
भारत के ‘पुष्प ग्राम’ निकमवाड़ी में खिलते हैं पैसे
किसानों ने गेंदा एवं गुलदाउदी की ज्यादा रंगीन तथा लाभदायक फसलों के लिए, अत्यधिक पानी की जरूरत वाली गन्ने की खेती को लगभग छोड़ दिया है, जिससे उन्हें सालाना लगभग 10 लाख रुपये की आय होती है।