बिहार
कभी तस्करी का शिकार हुए युवा, बाल शोषण के विरुद्ध चलाते हैं साइकिल
कभी बाल श्रम के लिए मजबूर हो चुके युवा बिहारी, बाल तस्करी की भयावहता के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए साइकिल चलाते हैं, क्योंकि आर्थिक जरूरतों के कारण परिवारों को, बेहतर आजीविका के झूठे वादों पर अपने बच्चों को भेजना पड़ता है।
बिदियों से जन्मी – टिकुली कला
महिलाओं द्वारा 17वीं सदी में पहनी जाने वाली चमकदार, सजावटदार डिज़ाइन वाली बिंदियों ने, पेंटिंग की टिकुली शैली को जन्म दिया, जो लुप्त होने से पहले बेहद लोकप्रिय थी। आज महामारी के झटके के बावजूद, इस कला का पुनरुद्धार हो रहा है।
बंजर भूमि को हरी भरी बनाते – बिहार के ‘अमरूद-गुरू’
भारत के 'पहाड़-पुरुष (माउंटेन मैन)’' की प्रेरणादायक सलाह की बदौलत, कभी ‘गुरूजी’ पुकारे जाने वाले एक शिक्षक, सत्येंद्र मांझी अब बंजर भूमि को अमरूद के बागों में बदल रहे हैं।