ग्रामीण जीवन की कला, संस्कृति और त्योहारों का जश्न मनाना। केवल शहरी ही नहीं हैं, जो सोशल मीडिया स्टार बनते हैं, शानदार कला का निर्माण करते हैं, भोजन का आनंद लेते हैं या सेहत के प्रति जूनून रखते हैं। और जहाँ तक त्योहारों की बात है, तो गाँव में एक बिलकुल अलग माहौल होता है।
ग्राम अनुभूति
सिंचाई सुविधाओं से ओडिशा में किसानों का जीवन बेहतर हुआ
ओडिशा में बहुत से आदिवासी किसान सिंचाई सुविधाओं की कमी के कारण गरीबी रेखा से नीचे रह रहे थे। ‘हर्षा ट्रस्ट’ के एक सामाजिक कार्यकर्ता के अनुसार, नए बोरवेल और कृषि प्रशिक्षण से उन्हें अब अधिक कमाई करने में मदद मिल रही है।
कभी ‘बोझ’ रहा लद्दाख का दो कूबड़ वाला ऊँट, आज बेशकीमती
एक समय बोझ समझे जाने वाला और लद्दाख के दूरदराज के हिस्सों में सिर्फ सामान ढोने के लिए इस्तेमाल होने वाला, दो कूबड़ वाला ऊंट अब इस क्षेत्र के कई परिवारों के लिए आजीविका का मुख्य स्रोत है।
मणिपुर के असामान्य ‘पृथ्वी के नमक’ की विरासत के लिए खतरा
मणिपुर के पारम्परिक नमक-केक आज भी अनुष्ठानों के लिए उपयोग किए जाते हैं, लेकिन पैक किए व्यावसायिक नमक के प्रसार के साथ, रोजमर्रा के उपयोग के लिए उनकी मांग कम हो गई है।
कृषि-उद्यमिता: एक कप लेमनग्रास चाय में प्रेरक पारिवारिक कहानी
पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर ‘साईबाबा गावती चाय सेंटर’ की हस्ताक्षर चाय अपने मालिक की मामूली नौकरी करने वाले लड़के से लेकर सफल कृषि-उद्यमी तक की कहानी कहता है।
बारपेटा सत्र: ब्रह्मचारी साधुओं की कम होती संख्या से परेशान असम के आध्यात्मिक केंद्र
परिवारों के एकल और छोटे होने से, वैष्णव मठों में ब्रह्मचर्य और कठोर सादगीपूर्ण जीवन जीने के लिए, कम बच्चे ‘केवलिया भक्त’ बनने की शपथ ले रहे हैं।
संत-कवि जनाबाई के जीवन-गीतों को जीवित रखती मराठी महिलाएँ
वारकरी धार्मिक परम्परा का पालन करते हुए, महाराष्ट्र में महिलाएँ 13वीं सदी की मराठी धार्मिक कवयित्री और संत जनाबाई के बारे में और उनके गीत गाने में गर्व महसूस करती हैं।
छठ पूजा: बिहार के हिन्दू त्योहारों में मुस्लिम महिलाओं का योगदान
प्रसाद को मिट्टी के चूल्हे पर पकाना महत्वपूर्ण है, जिन्हें मुसलमान अपनी पारिवारिक परम्परा को जारी रखते हुए चूल्हे बनाते हैं। वे कम मुनाफे के बावजूद, हिंदू त्योहार छठ पूजा में अपने योगदान पर गर्व करते हैं।
नागालैंड: रिवाज़ तोड़, युवा लड़की ने अपने सपनों की ओर कदम बढ़ाए
एक किशोरी खुद ड्रम बजाना सीखती है, अन्य लड़कियों को अपनी कुदरती प्रतिभा को निखारने के लिए प्रेरित करती है और पितृसत्ता को ख़त्म करते नागालैंड के अपने गांव के लिए भविष्य के सपने संजोती है।
भारत के त्यौहार: लेह के हेमिस महोत्सव में मुखौटों के पीछे क्या है?
त्योहारों के इस सीजन में हम लद्दाख के हेमिस महोत्सव पर नजर डालते हैं, जो मायनों से भरपूर नृत्यों और मुखौटों की समृद्ध संस्कृति को प्रदर्शित करता है।