ग्रामीण जीवन की कला, संस्कृति और त्योहारों का जश्न मनाना। केवल शहरी ही नहीं हैं, जो सोशल मीडिया स्टार बनते हैं, शानदार कला का निर्माण करते हैं, भोजन का आनंद लेते हैं या सेहत के प्रति जूनून रखते हैं। और जहाँ तक त्योहारों की बात है, तो गाँव में एक बिलकुल अलग माहौल होता है।
ग्राम अनुभूति
जल क्रीड़ा ने कश्मीरी लड़कियों को दिए नए करियर विकल्प
प्रेरणा-कोच बिल्किस मीर की बदौलत, कश्मीर की लड़कियों में जल क्रीड़ा की लोकप्रियता बढ़ रही है, जिनकी राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय जल स्पर्धाओं में सफलता ने उन्हें एक रोल मॉडल बना दिया है।
आदिवासी फिल्मकार कम बजट में बनाते हैं शानदार फ़िल्में
अप्रशिक्षित और युवा आदिवासी फिल्म निर्माता ग्रामीण भारत की सामाजिक बुराइयों और पर्यावरण संबंधी मुद्दों को उजागर करते हैं, लेकिन धन की कमी उन्हें अपने सिनेमा को व्यापक दर्शकों तक ले जाने से रोकती है।
हिमाचल के जल अभाव वाले गांव में आधुनिक सुविधाएं
फागू, शिमला की एक भविष्य-परक विला, सौंदर्य और उपयोगिता की पुनर्कल्पना प्रस्तुत करता है। जल अभाव वाले क्षेत्र में, यह व्यावहारिक परख प्रदान कर रहा है कि बढ़ते जल संकट से कैसे निपटा जा सकता है।
भारत के ग्रामीण स्थल, जो हैं लीक से हटकर
विलेज स्क्वेयर में हम ग्रामीण भारत के कम ज्ञात, लेकिन जीवंत क्षेत्रों के बारे में जानकारी देना पसंद करते हैं, इसलिए विश्व पर्यटन दिवस पर हम अपनी कुछ पसंदीदा कहानियों और स्थानों को आपकी "जरूर देखें" सूची में जोड़ने की पेशकश करते हैं।
फोटो निबंध: “फटसींगु” – कारगिल का “चमत्कारी” खुबानी पेय
फटसींगु, लद्दाख के कारगिल क्षेत्र का खुबानी से बना एक पेय है, जो सभी आयु वर्गों में बेहद लोकप्रिय है। फोटो निबंध में, मैंने इसकी अत्यधिक लोकप्रियता के कुछ कारणों पर प्रकाश डाला है।
पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता राजस्थान का ग्रामीण जीवन संग्रहालय
विभिन्न प्रकार की झाड़ू प्रदर्शित करता, "झाड़ू संग्रहालय" के उपनाम से प्रसिद्ध, राजस्थान का ‘अरना झरना संग्रहालय’ दर्शाता है कि रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाली बुनियादी वस्तुओं के माध्यम से संस्कृति और भोजन कैसे जुड़ते हैं।
कारगिल का खुबानी से बना “चमत्कारी पेय” – फटसींगु
लद्दाख के कारगिल क्षेत्र के लोगों का मानना है कि खुबानी से बना पेय ‘फटसींगु’ न सिर्फ उन्हें स्वस्थ, लम्बा जीवन प्रदान करने वाला एक पेय है, बल्कि सभी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए "इलाज" भी है।
क्या “फ़िल्मी गाँव” असली ग्रामीण भारत दिखाते हैं?
अतीत की फिल्मों के गाँव या तो मनोहर होते थे या फिर निराशाजनक। लेकिन आजकल की फ़िल्में ज्यादा यथार्थवादी हैं, जो शहरी और ग्रामीण दृष्टिकोण के बीच की खाई को पाटती हैं।
नई संसद के लिए बने प्रसिद्ध कश्मीरी कालीन
प्रसिद्ध कश्मीरी कालीन भारत के नए संसद भवन के लिए विशेष रूप से बनाए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र के मशहूर हस्तशिल्प उद्योग को बढ़ावा मिलेगा।