जलवायु परिवर्तन का असर दुनिया पर पड़ रहा है। सबसे ज्यादा गरीब सबसे ज्यादा पीड़ित है। फिर भी अक्सर ग्रामीण भारतीय सतत विकास और योजनाओं को आजमाने की दिशा में अगुआई कर रहे हैं – यदि इसे व्यापक स्तर पर शुरू किया जाए, तो वास्तविक परिवर्तन पैदा कर सकता है।
पर्यावरण
महिला नेताओं को ‘महिला सरपंच’ कहना अच्छा या बुरा?
महिला नेताओं को लैंगिक आधार पर पहचानना, जैसे 'महिला सरपंच' एक प्रतिगामी कदम लगता है, लेकिन एक विकास-कार्यकर्ता इसे महिलाओं द्वारा नेता बनने में आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करने के रूप में देखता है।
वह लेह के ठंडे पहाड़ों में लाई उपयोगी खेती
पंजाब के हरे-भरे खेतों से प्रेरित शोध वैज्ञानिक जिग्मेट यांगचिन, अपनी जन्मभूमि लेह के ठंडे पहाड़ी क्षेत्रों में महिलाओं को प्रेरित कर रही हैं। उन्होंने अपने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए आसान वर्मीकंपोस्टिंग और सिंध नदी की सफाई शुरू की है।
देसी मुर्गों से हुआ ओडिशा की आदिवासी महिलाओं का सशक्तिकरण
दक्षिणी ओडिशा के मलकानगिरी जिले में, आदिवासी महिलाएं अपने परिवार की आय बढ़ाने और अपने परिवार के लिए बेहतर पोषण सुनिश्चित करने के लिए, खुला-फार्म विधि से स्थानीय नस्लों के मुर्गे पाल रही हैं।
मातृ-शिशु स्वास्थ्य सुनिश्चित करती दिव्यांग महिलाएँ
अग्रिम पंक्ति की ये जुझारू स्वास्थ्य कार्यकर्ता, अपनी शारीरिक अक्षमताओं और चुनौतियों के बावजूद, अपने गांव की युवा महिलाओं और बच्चों के पोषण और विकास को सुनिश्चित करती हैं।
प्रोसेस्ड फ़ूड के प्रति आकर्षित ग्रामीण भारतीय
‘डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट’ (DIU) के एक नए सर्वेक्षण से पता चलता है कि मोटापा एक तेजी से विकसित होती समस्या है, खासतौर पर ग्रामीण भारत में, और इससे नीतियों और जागरूकता अभियानों के माध्यम से निपटने की जरूरत है।
प्रोसेस्ड खाने का शिकार होता ग्रामीण भारत
प्रोसेस्ड फास्ट फूड के प्रति आकर्षण सिर्फ शहरी भारत की समस्या नहीं है, ‘डेवलपमेंट इंटेलिजेंस यूनिट’ के एक हालिया सर्वेक्षण से पता चलता है कि ग्रामीण भारतीयों को आसानी से उपलब्ध जंक फूड से बचना मुश्किल होता जा रहा है।
आदिवासी महिलाओं को घर पर सुरक्षित प्रसव का प्रशिक्षण
दूरदराज के आदिवासी इलाकों में, जहां अस्पताल घंटों की दूरी पर हैं, सुरक्षित तरीके से पारम्परिक प्रसव करवाने में प्रशिक्षित सहायिकाओं की बदौलत, महिलाएं घर पर ही अपने बच्चों को सुरक्षित रूप से जन्म देती हैं।
जलवायु परिवर्तन और बाढ़ के कारण बढ़ता असम में मिट्टी का कटाव
तेज़ होते मानसून और गहराते मिट्टी के कटाव के कारण, असम भारत के जलवायु परिवर्तन के प्रति सबसे संवेदनशील राज्यों में से एक बनता जा रहा है, जिससे इस प्रक्रिया में खाद्य उत्पादन और आजीविका को नुकसान पहुँच रहा है।
घुमन्तु, पशुपालक गुज्जरों की कहानी
वन में रहने वाले गुज्जर, हर साल की तरह उत्तराखंड के आंशिक रूप से सूख चुके बांध की ओर प्रवास करते हैं, जहां उनके पशुओं को चरने के लिए अच्छी मात्रा में चारा और पानी मिलते हैं, और वे आसपास के कस्बों में दूध बेच आते हैं।